अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दूसरे देशों पर मनमाने तरीके से टैरिफ लगाने का भारत सरकार ने भी विरोध किया है। भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच अर्ली हार्वेस्ट व्यापार समझौते की दिशा में चल रही वार्ताओं में 10 फीसदी बेस टैरिफ को हटाने का आग्रह भारत सरकार ने किया है। भारत के अधिकारियों ने अमेरिकी प्रशासन के समक्ष ये स्पष्ट कर दिया है कि वे ब्रिटिश मॉडल को स्वीकार करने वाले नहीं हैं।
लाइव हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार की ओर से अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे अधिकारी ने अमेरिकी प्रशासन से 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ और अगले माह जुलाई से प्रस्तावित 16 फीसदी आयात शुल्क को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की है। भारत ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका इस पर राजी नहीं होता है तो भारत के पास काउंटर टैरिफ लगाने का अधिकार होगा।
क्या है ब्रिटिश टैरिफ मॉडल
ब्रिटिश मॉडल वह मॉडल है, जिसके तहत अमेरिका ने ब्रिटेन के साथ समझौते के बाद भी वहां से आयातित वस्तुओं पर बेसलाइन शुल्क लगा रखा है। यही है अमेरिका का ब्रिटिश मॉडल।
मिशन 500
गौरतलब है कि इसी साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे, जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत के दौरान दोनों ही पक्षों में मिशन-500 यानी कि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। एक अधिकारी ने भारत सरकार के रुख को स्पष्ट किया था कि केवल वही समझौता टिकाऊ और लंबे वक्त तक चलने वाला हो सकता है, जो कि पूरी तरह से संतुलित और दोनों ही पक्षों के लिए लाभकारी हो। अमेरिका भले ही सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, लेकिन भारत भी सबसे तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था है।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक घाटे का हवाला देकर डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के साथ ही दुनियाभर के देशों पर जबर्दस्त आय़ात शुल्क लगा दिया है। इस कारण से दुनिया भर में ट्रेड वॉर शुरू हो गया है।
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