भारत लगातार अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा करता जा रहा है। अब भारत समंदर में अपना नया सूरमा उतारने जा रहा है, जो पनडुब्बियों का काल होगा। जी हां हम बात कर रहे हैं भारत के नए ‘एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट’ INS अर्नाला की। ये उन 16 छोटे युद्धपोतों में से एक है, जिसे भारतीय नौसेना में कमीशन किया जा रहा है। ये छोटे स्तर के समुद्री अभियानों और सबमरीन वॉरफेयर में माहिर होगा।
18 जून को नौसेना के बेड़े में होगा शामिल
आईएएनएस अर्नाला को इसी माह 18 जून को विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के डॉकयार्ड में शामिल किया जाएगा। इसके आने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हो गया है। लाइव हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्धपोत को लेकर बात करते हुए इंडियन नेवी के एक प्रवक्ता ने कहा कि 80 फीसदी स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल से निर्मित इस पोत में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, महिंद्रा डिफेंस, एलएंडटी और भारत इलेक्ट्रानिक्स समेत कई अन्य रक्षा कंपनियों की हाई टेक टेक्नॉलॉजी से इसे लैस किया गया है।
क्या है खासियत
आईएनएस अर्नाला की खासियतों की बात करें तो इसे काफी कम लागत में तैयार किया गया है। 12,622 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया यह युद्धपोत 77.6 मीटर लंबा और 1490 टन वजनी है। इसे यह नाम माराठा योद्धा चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में मराठाओं के द्वारा 1737 में महाराष्ट्र के वसई में तैयार किए गए अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है। वैतरणा नदी के मुहाने पर स्थित यह किला उस दौरान कोंकण तट पर पहरेदार की तरह था।
अब ये अर्नाला युद्धपोत एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट जैसी खासियतों से लैस है, जो कि समुद्र तट से 150 नॉटिकल मील की दूरी से ही पनडुब्बियों का पता लगा लेगा। इसके साथ ही यह 30 से 40 मीटर पानी के नीचे अर्नाला किसी भी अभियान को संचालित करने में सक्षम है। करीब 25 नॉटिकल मील प्रतिघंटे की रफ्तार वाला यह युद्धपोत एक बार ईंधन लेने के बाद 3300 किलोमीटर तक की दूरी को तय कर सकता है।
इसमें अगर हथियारों की बात करें तो इस पर एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, 30 एमएम नेवल गन एएसडब्ल्यू कॉम्बैट सूट, लाइट वेट टारपीडो, लो फ्रिक्वेंसी वाला रडार, हल माउंटेड सोनार से लैस होगा।
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