हरिद्वार: कहते हैं आज ही के दिन पावन गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई हुई थी, इसीलिए आज गंगा दशहरा मनाया जाता है और जीवनदायनी गंगा का पूजन किया जाता है। हरिद्वार ऋषिकेश देवप्रयाग में आज सुबह से ही गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वालों का तांता लगा था, हजारों की संख्या में साधु संतों सहित श्रद्धालुओं ने जी गंगा घाटों पर स्नान किया।
श्री गंगा दशहरा क्या है कथा
सृष्टि के निर्माता ब्रह्माजी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी मां गंगा के धरती पर अवतरण पर्व ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतरित होने से पहले मां गंगा स्वर्ग का हिस्सा हुआ करती थीं। गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है, इस कारण उन्हें सम्मान से माँ गंगा अथवा गंगा मैया पुकारते हुए माता के समान पूजा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार – मां गंगा को स्वर्ग लोक से धरती पर राजा भागीरथ लेकर आए थे, इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया था, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने भागीरथ की प्रार्थना स्वीकार की और भागीरथ से कहा – पृथ्वी पर उनके अवतरण के समय उनके वेग को रोकने वाला कोई चाहिए अन्यथा वे धरती को चीरकर रसातल में चली जाएंगी, तब पृथ्वी पर उनके पूर्वज अपने पाप से मुक्त नहीं हो पाएंगे। भागीरथ ने मां गंगा की बात सुनकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की, भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया, जहां से मां गंगा का एक धारा के रूप में धरा पर अवतरण हुआ।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गंगा मां की आराधना करने से व्यक्ति को दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। मां गंगा के ध्यान एवं स्नान से प्राणी काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, परनिंदा जैसे पापों से मुक्त हो जाता है। गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम दशहरा पड़ा है। स्कन्द पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि संवत्सर मुखी मानी गई है, इस योग में स्नान और दान अनिवार्य रूप से करें, किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य पूजादिक एवं तिलोदक तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण अवश्य करें। मां गंगा की आराधना इस मंत्र से करें – नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:
भावार्थ – हे भगवती, दस पाप हरने वाली मां गंगा, नारायणी, रेवती, शिव, दक्षा, अमृता, विश्वरूपिणी, नंदनी को मेरा नमन
गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का धन्यवाद करने हेतु उनकी विशेष पूजा करते हैं। गंगा दशहरा के दिन असंख्य भक्त प्रयागराज इलाहाबाद, गढ़मुकेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, पटना और गंगा सागर में पवित्र डुबकी लगाते हैं. गंगा दशहरा के दिन दशाश्वमेध घाट वाराणसी और हर की पौड़ी हरिद्वार की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। पवित्र यमुना नदी के पास बसे पौराणिक शहर जैसे मथुरा, वृंदावन और बेटेश्वर में भी भक्त यमुना को गंगा मैया मानकर स्नान करते हैं। गंगा जी में डुबकी लगा कर स्वयं को पवित्र करते हुए दान पुण्य, उपवास, भजन एवं गंगा आरती का आयोजन करते हैं। इस दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। गंगा दशहरा के दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है।
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