नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अपने बयानों से पूरे विश्व में भारत की बदनामी कर रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा नेता प्रतिपक्ष का पद प्राप्त करने के बाद भी गंभीर बयान देने से बचना काफी आश्चर्यजनक है। राहुल गांधी जी ने जिस प्रकार से हमारी सेना द्वारा दिखाए गए शौर्य और सेना के अधिकारियों द्वारा — जिनमें डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन, डायरेक्टर जनरल एयर ऑपरेशन, और डायरेक्टर जनरल नेवी ऑपरेशन शामिल हैं — द्वारा ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का विवरण दिया गया, उसकी तुलना “सरेंडर” से करना यह दर्शाता है कि उनकी मानसिकता कितनी गहरी और खतरनाक हो चुकी है।
एक तरफ भारत द्वारा भेजे गए संयुक्त संसदीय दल में तमाम विपक्षी दलों के सांसद — जिनमें कांग्रेस के सांसद भी हैं — दुनिया के अलग-अलग देशों में भारत के पक्ष को गंभीरता और राष्ट्र की एकजुटता के साथ रखकर वापस आ रहे हैं।
कांग्रेस के नेता अपने बयानों से पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खियां बटोरते हैं और पाकिस्तानी संसद में उनके बयानों का उदाहरण दिया जाता है। पाकिस्तान अपने डोजियर में राहुल गांधी जी का नाम और बयान भारत के विरुद्ध दर्ज कर चुका है। मगर राहुल गांधी जी ने ऐसा बयान दिया, जो पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भी नहीं बोला है। यहाँ तक कि पाकिस्तान के किसी आतंकी संगठन ने भी नहीं बोला कि भारत ने सरेंडर किया है। बल्कि उन लोगों ने अपनी तकलीफों का इज़हार गाहे-बगाहे किया है। लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के नेता पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को कवर फायर देते रहे हैं। अब उनके सिरमौर बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह देश के स्वाभिमान, सेना के शौर्य और सेना का अपमान है।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की घोषणा भारत सरकार ने नहीं बल्कि सेना ने की है। कांग्रेस पार्टी ने “सरेंडर” शब्द का उपयोग करके सेना का अपमान किया है क्योंकि सीधे-सीधे कांग्रेस ने सेना के बयान की तुलना “सरेंडर” से की है। इसका सीधा अर्थ है भारत और भारतीय सेना का सिर झुकाने का वह कार्य और वह शब्द, जो पाकिस्तान की सेना, पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा डेजिग्नेटेड आतंकवादी जैसे मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद भी नहीं बोल पाए हैं।
राहुल गांधी को अपने परिवार और पार्टी के “सरेंडर” के इतिहास की जानकारी नहीं है। कांग्रेस पार्टी का “सरेंडर” का लंबा इतिहास रहा है। राहुल गांधी ने विदेश में कहा था: “Why not the defenders of democracy—America and Europe—are silent and not interfering in India?”
- 15 जुलाई 2011 को राहुल गांधी ने कहा था: “It’s impossible to totally control terrorism”, जो आतंक के आगे सरेंडर था।
- 26/11 हमले के बाद आपकी सरकार ने शर्म-अल-शेख में कहा कि कंपोजिट डायलॉग प्रभावित नहीं होगा, जो आतंकी मानसिकता के आगे सरेंडर था।
- 1995 में नरसिम्हा राव सरकार के समय एक फोन आया और भारत ने अपना एटॉमिक एक्सप्लोजन रोक दिया — जो सरेंडर था।
- 1971 में 93,000 प्रिजनर ऑफ वॉर थे, इसके बावजूद भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को क्यों सरेंडर कर दिया गया? 160 कि.मी का जीता हुआ इलाका क्यों सरेंडर कर दिया गया? 13,000 कि.मी पाकिस्तान के पंजाब और सिंध का जीता हुआ क्षेत्र क्यों सरेंडर कर दिया गया? हमारे 54 सैनिकों को वापस क्यों नहीं लिया गया? उन्हें क्यों सरेंडर कर दिया गया?
- 1965 में जीता हुआ हाजी पीर दर्रा सरेंडर कर दिया गया। लाहौर से 20 कि.मी दूर तक सेना पहुंच गई थी — वह भी सरेंडर कर दिया गया।
- 1962 में भी जवाहरलाल नेहरू के काल में सरेंडर का लंबा इतिहास है। 19 नवंबर 1962 को जवाहरलाल नेहरू का केनेडी को लिखा गया पत्र, जिसमें उन्होंने सीधे कहा है कि अमेरिकन पायलट्स हमारी एयरफोर्स को संभालें।
- 1960 में सिंधु का 80.48% जल सरेंडर कर दिया गया।
- 1948 में आपने कश्मीर का बड़ा हिस्सा सरेंडर कर दिया।
- 1947 में मुस्लिम लीग के आगे 1/3 भारत सरेंडर कर दिया।
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