उत्तराखंड

उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज : 24 साल में 16 प्रतिशत हुई देवभूमि में मुस्लिम आबादी

उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी की तेज़ वृद्धि से डेमोग्राफिक बदलाव चिंता का विषय, धामी सरकार सख्त कार्रवाई की तैयारी में, भू-कानून समीक्षा जारी।

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उत्तराखंड ब्यूरो

देहरादून । उत्तराखंड में अगले कुछ सालो मे डेमोग्राफी चेंज समस्या, एक चैलेंज बनने जा रही है,धामी सरकार को केंद्र के तरफ से  भी इस समस्या को गंभीरता बरतने को कहा है, खबर है कि डेमोग्राफी चेंज को रोकने के लिए धामी सरकार भविष्य में कुछ कड़े फैसले ले सकती है।

उल्लेखनीय  है कि हिमाचल राज्य जब 1971 में बना  तबसे अब तक मुस्लिम आबादी दो प्रतिशत के ही आसपास है। हिमाचल में भू कानून की वजह से मुस्लिम आबादी ने विस्तार नही पाया और यही वजह है कि आजतक कोई मुस्लिम एमएलए विधानसभा में नही पहुंच पाया।

गौरतलब बात ये है कि  उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी सोलह प्रतिशत तक हो जाने का अनुमान है। 2000 में उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मुस्लिम आबादी डेढ़ प्रतिशत के आसपास थी। यूपी से लगे उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों की मुस्लिम आबादी 32 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

जनगणना आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी है। इस बढ़ती आबादी को राज्य में डेमोग्राफी चेंज की समस्या माना जा रहा है।

उत्तराखंड के मैदानी जिलों की सामाजिक और राजनीतिक समीकरण ऐसे हो गए है कि यहां मुस्लिम वोट निर्णायक हो गए है। हालात ये हो गए है कि कुछ मैदानी सीटों पर बीजेपी के लिए जितना अब एक सपने जैसा है।

उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों में हरिद्वार में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी हो गई है यहां कुल आबादी का करीब 38 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम  है, इसी तरह उधम सिंह नगर जिले में भी 32 फीसदी,नैनीताल जिले और देहरादून जिले में 30 से  32 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, और अब पौड़ी जिले के मैदानी क्षेत्रों में भी मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ने लगी है।

उल्लेखनीय है कि 2001 में राज्य के पहाड़ी जिलों में मुस्लिम आबादी डेढ़ प्रतिशत थी , हरिद्वार जुड़ जाने से यहां मुस्लिम आबादी ने तेज़ी से विस्तार पाया। उत्तराखंड राज्य के जनगणना आंकड़े बताते है कि ,2011 में 13.9 प्रतिशत थी और अब 2025 में इसके 17 प्रतिशत से ज्यादा हो जाने का अनुमान है।

उत्तराखंड भारत में असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी वाला राज्य हो गया है। केरल और बंगाल में मुस्लिम आबादी वृद्धि दर देवभूमि उत्तराखंड से कम है।

बात करे हिमाचल जिसकी भगौलिक सरंचना उत्तराखंड से मेल खाती है, सांस्कृतिक दृष्टि से हिमाचल को भी देव भूमि कहा जाता था है और उत्तराखंड को भी देव भूमि का दर्जा प्राप्त है।

25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था तब यहां मुस्लिम आबादी कुल राज्य की आबादी का दो प्रतिशत से कुछ कम थी और आज भी ये आबादी प्रतिशत 2.1प्रतिशत ही है और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह हिमाचल का भू कानून है ।इस कानून की वजह से राज्य से बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां जमीन नही खरीद सकता अलबत्ता उसे लीज पर  ले सकता है। इस कानून की वजह से हिमाचल में अभी तक हिंदू आबादी वाले राज्य के रूप में संरक्षित है।

2001में हिमाचल में मुस्लिम आबादी 119512 दस साल बाद यानि 2011में 149881और अब 2022 में इसके 163820 हो जाने का अनुमान है।

हिमाचल की तुलना में उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी ने सशक्त भू कानून नही होने की वजह से पांव पसार लिए है।  हर दस साल में दो प्रतिशत मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर दर्ज हो रही है। असम में हर दस साल में 3.3 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, जबकि केरल में 1.9 और बंगाल में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि दर है। ये वो आबादी है जोकि उत्तराखंड के जनसंख्या रजिस्टर में दर्ज होगी,अभी यहां लाखो की संख्या में बाहरी राज्यो से आए मुस्लिम लोग किराए पर रह रहे है।

और धीरे धीरे वे भी यहां स्थाई निवासी हो जाने है क्योंकि यहां उनके बसने में हिमाचल की तरह कोई रोक टोक नही है।

राज्य प्रशासन की राजस्व विभाग की भ्रष्ट कार्य प्रणाली  भी एक बड़ी वजह है। जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुस्लिम आबादी को यहां बसने दे रही है।इसके उदाहरण देहरादून जिले में ही मिल जाएंगे।

मुस्लिम आबादी में अवैध मदरसों,मस्जिदो की भरमार हो गई है, सरकारी जमीनों पर कब्जे हो चुके है। यहां तक की जंगल की जमीनों पर भी अवैध रूप से मुस्लिमो ने अंदर तक जाकर कब्जे कर लिए है और वहां से बहुमूल्य वन संपदा का दोहन किया जा रहा है।

मुस्लिम आबादी में यूपी बिहार के लोग तो है ही जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में बंगलादेश और म्यांमार से आए रोहिंग्या भी बसते जा रहे है।

ये लोग पहले असम,बंगाल ,झारखंड से अपने आधार कार्ड बनवाते है, फिर उत्तराखंड आकर, यहां के मुस्लिम जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में बसावट कर रहे है।

मुस्लिम जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक संरक्षण मिला रहा है वो इन्ही के दम पर विधानसभा में पहुंचते रहे है।

एक जानकारी के मुताबिक कभी उत्तरकाशी में मुस्लिम वोटर संख्या 150 के आसपास हुआ करती थी और ये अब 5000 से भी ज्यादा हो गई है।

देहरादून के विकास नगर में 6000 मुस्लिम वोटर हुआ करते थे जो अब 32हजार हो गए है।

हरिद्वार जिले में कुंभ क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो चारो तरफ  मुस्लिम आबादी नजर आती है।

उधम सिंह नगर जिले में यूपी से लगते सीमा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ने डेरा डाल दिया है, देहरादून में सेलाकुई ,विकासनगर ,सहसपुर क्षेत्र जो यूपी के सहारनपुर जिले से लगता है, मुस्लिम बाहुल्य हो चुका है,यहां तक की धर्म नगरी ऋषिकेश जहां कभी कोई मुस्लिम नही रहता था अब शहर के चारो तरफ यहीं समुदाय रह रहा है। नैनीताल जिले ,रामनगर , हल्द्वानी शहर में मुस्लिम आबादी ने नदियों किनारे सरकारी वन और रेलवे की जमीनों पर कब्जे कर घर बसा लिए है। नैनीताल शहर में ही मुस्लिम आबादी ने करीब दसगुना की वृद्धि ले ली है।

यूपी बॉर्डर पर अवैध कालोनियों की भरमार

जानकारी के मुताबिक मुस्लिम ठेकेदार कृषि भूमि को खरीद कर उसे स्टांप पेपर पर बेच कर मुस्लिम बस्तियां बसा रहे है। परिवार रजिस्टर में नाम चढ़ाकर मुस्लिम ग्राम प्रधान अपने गांव कस्बों में यूपी बिहार के मुस्लिम ला कर बसा रहे है।

प्राधिकरण बेबस, जिला पंचायत के अपने कानून

प्राधिकरण परिधि से बाहर जिला पंचायत क्षेत्रों में नक्शे जिला पंचायत अधिकारी, ग्राम प्रधान मोहर लगा कर  नक्शे  पास कर देते है और बाहर से आए लोग स्थाई निवासी बन जा रहे है। प्राधिकरण,जिला पंचायत और उद्योग विभाग तीनों अपने अपने हिसाब से नक्शे पास कर रहे, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीनों की रजिस्ट्रियां होने की खबरे चिंता पैदा कर रही है।

भू कानून के बाद ,धामी सरकार मैदानी जिलों की कर रही है समीक्षा

पहाड़ी क्षेत्रों में सशक्त भू कानून लागू किए जाने के बाद चार मैदानी जिलों में हो रहे डेमोग्राफी चेंज की सूचनाओं की धामी सरकार समीक्षा कर रही है। इस बारे में शासन ने चारो जनपदों से ग्राउंड रिपोर्ट मांगी है

सीएम पुष्कर धामी लगातार ये कहते आए है कि उत्तराखंड के देव स्वरूप कायम रखा जाएगा इससे छेड़छाड़ करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।

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