ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और तुर्की ने मुख्य रूप से खुलकर पाकिस्तान की मदद की थी और उसे हथियार दिए थे। चीन ने पाकिस्तान को जो एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइलें दी थीं, वे पूरी तरह से फुस्स हो गए थे। कुछ को भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने ध्वस्त कर दिया तो कुछ टार्गेट पर पहुंचकर भी नहीं फटे। इन्हीं हथियारों में चीन की PL-15E रडार संचालित बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल भी शामिल है। लेकिन भारत के आगे ये पूरी तरह से बेकार साबित हुई। इसको लेकर अब जब चीन से सवाल किए जा रहे हैं तो उसे जवाब देते भी नहीं सूझ रहा है।
भारत के कब्जे में चीनी PL-15E मिसाइल
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग जियाओगांग ने इस मामले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें जब पत्रकारों ने उनसे PL-15E को लेकर सवाल पूछ लिया तो वो बुरी तरह से असहज हो गए। कूटनीतिक तरीके से इस सवाल का जवाब देते हुए चीनी अधिकारी ने कहा कि जिस हथियार का जिक्र आप लोग कर रहे हैं, उसे निर्यात किया जाता है और उसे कई प्रदर्शनियों में भी प्रदर्शित किया जा चुका है। इसी मिसाइल से पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था और वो मिसाइल मिस हो गई। अब ये PL-15E मिसाइल भारतीय सेना के कब्जे में है। चीन इसी बात से बौखलाया हुआ है कि उसकी उसके हथियारों की इंटरनेशनल बेइज्जती हो रही है।
यही कारण है कि जब पत्रकारों ने PL-15E मिसाइल को लेकर सवाल किया तो कर्नल झांग डिप्लोमेसी पर ज्ञान देते हुए कहते कहते हैं कि भारत-पाकिस्तान ऐसे पड़ोंसी हैं, जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता है और हम आशा करते हैं कि दोनों ही पक्ष स्थिति को और अधिक जटिल करने से बचेंगे। उल्लेखनीय है कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन की तरफ से पहली बार है, जब प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया।
PL-15E को खास मानता है चीन
गौरतलब है कि PL-15E मिसाइल को चीन बहुत ही खास मानता है। अपने मिसाइल को लेकर कुछ ऐसे चीन करता है।
- PL-15E की स्पीड 5 मैक से अधिक की है, जो कि 145 किमी तक मार कर सकती है।
- PL-15E को चीन हाई टेक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल बताता है।
- अपने इस मिसाइल सिस्टम को लेकर चीन इतना आश्वस्त था कि वो कहता था कि ये हाई वैल्यु टार्गेट को ध्वस्त करने में सक्षम है।
- यह मिसाइल JF-17 ब्लॉक III और J-10CE जैसे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों पर तैनात है।
- इसे चीन के 607 इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है और इसे चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (CASIC) बनाती है।
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