राजेश सिंह अधिकारी का जन्म 25 दिसंबर सन 1970 को नैनीताल में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जोसेफ़स कॉलेज से सन 1987 में हुई और माध्यमिक शिक्षा गवर्मेंट इंटर कॉलेज नैनीताल से तथा बी.एस.सी कुमाऊँ यूनिवर्सिटी नैनीताल से शिक्षा प्राप्त की थी। शुरुआत से ही सेना के प्रति राजेश का जो जब्जा था वो उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी में ले आया। 11 दिसंबर सन 1993 को मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सैन्य अकादमी से ग्रेनेडियर में कमिशन हुए।
सन 1999 में कारगिल में युद्ध का दौर शुरू हो गया, इसी में मेजर अधिकारी को कारगिल ऑपरेशन के लिए भेजा गया, उस आपरेशन के लिए 18 ग्रिनेडियर के मेजर अधिकारी अपनी कंपनी की अगुआई कर रहे थे, टोलोलिंग पर 30 मई को अपनी कंपनी के साथ चढ़ाई शुरू की, 15 हजार फुट की ऊंचाई पर भारी बर्फ के बीच दुश्मन ने मशीनगन से उन पर धावा बोला। दुश्मन ने उन पर दोनों तरफ से मशीनगनों से भीषण हमला किया। मेजर अधिकारी ने तुरंत अपनी रॉकेट लांचर टुकड़ी को दुश्मन को उलझाए रखने का निर्देश दिया और अत्यंत ही नजदीक की लड़ाई में दुश्मन के सैनिकों को मार डाला।
इसके बाद मेजर अधिकारी ने धीरज से काम लेते हुए अपनी मीडियम मशीनगन टुकड़ी को एक चट्टान के पीछे मोर्चा लेने, दुश्मन को फिर से उलझाए रखने को कहा और अपनी हमलावर टीम के साथ एक-एक इंच आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान मेजर राजेश दुश्मन की गोलियों से गंभीर रूप से घायल हुए, फिर भी वह अपने सैनिकों को निर्देशित करते रहे और वहां से हटने से मना कर दिया। उन्होंने गम्भीर रुप से घायल होने के बाद भी दुश्मन के दूसरे बंकर पर भी हमला किया और वहाँ काबिज सैनिकों को मार गिराया, उन्होंने
टोलोलिंग ऑपरेशन में दो बंकरों पर कब्जा किया जो बाद में प्वाइंट 4590 को जीतने में मददगार साबित हुए, अंतत: उन्होंने देश की आन, बान, शान के लिए मातृभूमि की रक्षार्थ अपना सर्वोच्च बलिदान किया।
मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखते हुए दुश्मन की भयंकर उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन किया, जिसके लिये उन्हे मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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