भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रिश्ते कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं हैं। दोनों देश अन्य अनेक क्षेत्रों सहित आज रक्षा क्षेत्र में भी निकट सहयोगी बने हैं और दोनों की साझेदारी से बने सैन्य अस्त्र आज दुनिया में काफी सराहे जा रहे हैं। अनेक देशों ने इन्हें खरीदने की लालसा जताई है। रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस की साझेदारी महत्वपूर्ण साबित हुई है, विशेषकर आपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस और एस400 वायु रक्षा प्रणाली ने अपने प्रदर्शन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। यही कारण है कि नई दिल्ली में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव को यह कहना पड़ा कि दोनों देश मिलकर क्या कर सकते हैं, यह दुनिया देख रही है। अलीपोव ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की और ज्यादा इकाइयां खरीदने पर चर्चा चल रही है। आपरेशन सिंदूर के बाद इस विषय में और तेजी आई है।
भारत के पीओजेके में आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त करने और बाद में पाकिस्तान की सैन्य हिमाकत का जवाब देने के लिए जारी ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सेना ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली से जहां पाकिस्तान द्वारा भेजे तुर्किए में बने ड्रोन और मिसाइलों के हमलों को सटीकता से जवाब दिया वहीं ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान में चुनिंदा निशानों पर मारक प्रहार किया था। रिपोर्ट बताती हैं कि इस ऑपरेशन में एस-400 रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तानी मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिली।

भारत में रूस के राजदूत अलीपोव का कहना है कि भारत ने इस ऑपरेशन में लक्ष्यों की सटीक पहचान की और उन पर जबरदस्त प्रहार किया। उन्होंने यह भी बताया कि एस-400 प्रणाली और ब्रह्मोस मिसाइलों का प्रदर्शन शानदार रहा, जिससे भारत की सैन्य ताकत को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली।
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग केवल हथियारों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन तक जाता है। जैसा पहले बताया, ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से निर्मित अस्त्र है, इसने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी सामर्थ्य साबित की है।
राजदूत अलीपोव कहते हैं कि मॉस्को ‘मेड इन इंडिया’ ब्रह्मोस मिसाइलों से बहुत ज्यादा संतुष्ट है और इस मिसाइल की वैश्विक स्तर पर मांग लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री की संभावनाएं पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं। ऐसा होता है तो भारत की रक्षा निर्यात क्षमताओं को मजबूती मिलेगी।

भारत की बात करें तो ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, भारत ने रूस से और अधिक एस-400 भेजे जाने की बात की है। सूत्रों के अनुसार, भारतीय सैन्य नीतिकारों ने इस प्रणाली की ताकत को ध्यान में रखते हुए सरकार को और यूनिट खरीदने की अनुशंसा की है।
हालांकि इस विषय पर दोनों देशों के बीच चर्चा जारी है, इसलिए इसका नतीजा क्या निकलेगा इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। परन्तु यह तो साफ है कि भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है और भविष्य में ब्रह्मोस जैसी और ज्यादा संयुक्त परियोजनाओं पर आगे बढ़ने के संकेतों से इनकार नहीं किया जा सकता।
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