अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्यापार घाटे का हवाला देकर दूसरे देशों से होने वाले आयात पर भारी भरकम टैरिफ थोप रहे हैं। लेकिन, उनकी कोशिशों को कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। संघीय व्यापार न्यायालय ने ट्रंप द्वारा आपातकालीन शक्ति कानून के तहत आयात पर टैरिफ लगाने से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसा करके ट्रंप देश में आर्थिक आराजकता का माहौल पैदा कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
द गॉर्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दुनिया के अधिकांश देशों पर टैरिफ लगाने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायलय में कम से कम सात केस रजिस्टर किए गए थे। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए न्यूयॉर्क स्थित कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने टिप्पणी की कि ट्रंप लगातार अपने अधिकारों की सीमा से बाहर जाकर फैसले ले रहे हैं। वो अमेरिकी व्यापार नीति को अपनी मर्जी से चला रहे हैं। कोर्ट ने 1977 से अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम का जिक्र किया और कहा कि ट्रंप के द्वारा वैश्विक स्तर पर लगाया जा रहा टैरिफ प्रतिशोध की भावना से लगाया जा रहा है।
ये IEEPA द्वारा राष्ट्रपति को दिए गए किसी भी अधिकार से अधिक है। उल्लेखनीय है कि आपातकालीन शक्ति कानून को लागू करने के लिए नियम ये है कि राष्ट्रपति को भी सबसे पहले देश की कांग्रेस से मंजूरी लेनी होती है। लेकिन ट्रंप ने ऐसा नहीं किया।
क्या कहते हैं ट्रंप
वहीं दुनियाभर के देशों पर मनमाने तरीके से टैरिफ ठोंकने के अपने फैसले का बचाव करते हुए ट्रंप कहता हैं कि मेरे पास कार्रवाई करने की शक्ति है, क्योंकि देश का व्यापार घाटा बढ़ रहा है औऱ ये राष्ट्रीय आपातकाल के बराबर है। वह कहते हैं कि हमने बीते 49 वर्षों तक दुनिया के बाकी देशों के साथ व्यापार घाटे को चलाया है। इसी को कम करने के लिए वह दूसरे देशों पर टैरिफ थोप रहे हैं।
बाजार पर क्या हो रहा असर
ट्रंप के द्वारा वैश्विक स्तर पर मुक्ति दिवस टैरिफ लगाए जाने का असर ये हो रहा है कि दुनियाभर के बाजार बुरी तरह से लड़खड़ा गए हैं। छोटी अर्थव्यवस्थाएं पूरी तरह से तबाह होने की कगार पर आ गई हैं। हालांकि, कोर्ट के इस फैसले के बाद अब ट्रंप की मनमानियों पर रोक लगने की उम्मीद है। इस पर ओरेगन के अटार्नी जनरल डैन रेफील्ड कहते हैं कि कोर्ट का फैसला इस बात की पुष्टि करता है कि देश का कानून मायने रखता है और व्यापारिक निर्णय राष्ट्रपति की मर्जी से नहीं लिए जा सकते हैं।
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