मुसलमानों के हज के ठिकाने, इस्लामी जगत में खूब इज्जत से देखे जाने वाले खाड़ी के देश सऊदी अरब में अब नया दौर अंगड़ाई लेता दिख रहा है। इस्लामी के ‘कठोर शरियाई कायदों’ से इतर पिछले कुछ साल से कमान संभाले हुए वहां के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पश्चिमी चाल—ढाल के इतने विरोधी नहीं हैं, जितने वहां के पहले के शासक हुआ करते थे। ये वही देश है जहां मुसलमान मक्का मदीना का हज करने जाते हैं। अब सलमान ने आधुनिकता की तरफ कदम बढ़ाते हुए शराब बेचने पर लगी पाबंदी को हटाने का फैसला किया है। प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 को ध्यान में रखकर लिया गया यह फैसला जमीन में तेल की रीतते जाने के बीच, पर्यटन को बढ़ावा देने का काम करेगा। इससे निवेश में बढ़त की उम्मीदें भी बांधी गई हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, खाड़ी देश सऊदी अरब में साल 2026 में शराब के बेचे जाने से आंशिक मात्रा में रोक हटाई जाएगी। नए नियमों के अंतर्गत विदेशी राजनयिकों, पर्यटकों और प्रवासियों के लिए कुछ इलाकों में शराब की मर्यादित बिक्री और सीमित खपत को इजाजत दी जाएगी। यह नीति फाइव-स्टार होटल, लक्जरी रिसॉर्ट्स, नियोम, सिंदलह द्वीपों तथा रेड सी प्रोजेक्ट जैसे पर्यटन केंद्रों पर लागू होगी। हालांकि, 20 प्रतिशत से अधिक अल्कोहल मिले पेय पदार्थों और सार्वजनिक स्थानों, घरों या रीटेल की दुकानों में शराब बेचने पर प्रतिबंध कायम रहने वाला है।

इस इस्लामी खाड़ी देश का लक्ष्य संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन जैसे पड़ोसी देशों के साथ प्रतियोगिता करना है, जहां पर्यटन उद्योग काफी विकसित है और शराब पर सख्त रोक नहीं है। भारत सहित दुनियाभर से अपने यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। सऊदी अरब में वर्तमान में 25 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं।
इस देश में 2030 एक्सपो और 2034 फीफा विश्व कप जैसे वैश्विक आयोजनों की मेजबानी की तैयारी जोर—शोर से चल रही है। इन आयोजनों के दौरान विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है, इसे देखते हुए भी यहां की शराब नीति में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी। हालांकि, यह बात भी तय है कि फीफा विश्व कप के दौरान स्टेडियमों के अंदर शराब पीने—पिलाने पर प्रतिबंध लगा रहने वाला है।
प्रिंस सलमान उदार इस्लाम के समर्थक हैं और अपने देश में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जहां किसी मत—पंथ के मानने वाले को कोई घुटन न महसूस हो, साथ ही वे ऐसे कड़े कायदों को भी बदलने के पक्षधर रहे हैं जो देश की छवि कट्टर इस्लामवादी बनाते हैं। शराब को लेकर इस ताजा फैसले को सऊदी अरब की छवि को आधुनिक और पर्यटक-अनुकूल बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
दिक्कत है यहां पर वर्षों के दौरान बनीं सांस्कृतिक और मजहबी संवेदनशीलताओं के साथ संतुलन बैठाने की। सवाल है कि क्या यह नीति उस दृष्टि से चुनौती पेश नहीं करेगी? सऊदी अरब शरिया कानून पर चलता है, जिसमें शराब सेवन सख्ती से वर्जित है। इसमें किसी भी बदलाव को देश में मजहबी माहौल के पैरोकार मुल्ला—मौलवी किस तरह देखेंगे, इसे लेकर वहां चर्चाएं चल निकली हैं।
बेशक, प्रिंस सलमान के अधीन सऊदी अरब में शराब नीति में बदलाव एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाये कए इस कदम की स्वीकार्यता को लेकर अलग अलग मत सामने आ रहे हैं। इसके संदेह नहीं है कि इस नीति को लागू करने में कई चुनौतियां सामने आएंगी। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वक्त में यह नीति सऊदी अरब के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करती है।
टिप्पणियाँ