‘सिंधु जल समझौते को खारिज करना’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत के शांति के पक्षधर होने वाले रुख का फायदा उठाकर आतंक की खेती करने वाले पाकिस्तान को उसकी जगह दिखा दी है। वह बार-बार भारत के साथ बातचीत करने के लिए गिड़गिड़ा रहा है। इसी क्रम में एक बार फिर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की गुहार लगाई है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने पाकिस्तानी अखबार द डॉन के हवाले से लिखा कि शहबाज शरीफ ने कहा है कि वे कश्मीर, जल बंटवारे, और व्यापार समेत बाकी मुद्दों का समाधान खोजने के लिए भारत के साथ बातचीत करना चाहते हैं। तुर्की से ईरान के दौरे पर पहुंचे शहबाज शरीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये बात कही। उन्होंने ये भी कहा कि वे भारत के साथ जल संधि पर शांति के लिए बात करना चाहते हैं। साथ ही व्यापार और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर भी बात करना चाहते हैं।
शहबाज शरीफ कहते हैं कि हम शांति चाहते थे और शांति चाहते हैं। उनका कहना है कि हमें मेज पर बैठकर क्षेत्र में शांति और लंबित मुद्दों पर काम करेंगे।
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एर्दोगन को भारत के खिलाफ साथ देने के लिए कहा था धन्यवाद
शहबाज शरीफ के दोगलेपन को उनकी तुर्की की यात्रा पहले ही स्पष्ट कर चुकी है। पाकिस्तान के प्रधानंमत्री शहबाज शरीफ ने इस्तांबुल में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन से मुलाकात की और उन्हें मदद के लिए धन्यवाद कहा था। उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को अपने ड्रोन दिए थे। ऐसे में बातचीत की ये गुहार महज एक दिखावे से अधिक कुछ प्रतीत नहीं होती है।
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सिंधु जल समझौता खारिज होने से परेशान है पाक
असल मुद्दा ये है कि पाकिस्तान सिंधु जल समझौता खत्म होने के बाद से बहुत परेशान है। वहां पानी की भयंकर किल्लत है। अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जानकारों का कहना है कि सिंधु जल समझौते के लिए ही पाकिस्तान परेशान है। जबकि पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये स्पष्ट कर चुके हैं कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेगा। पीएम मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ अब बातचीत केवल दो मुद्दों पर होगी, पहला है आतंकवाद और दूसरा है पीओजेके।
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