इस साल मॉनसून समय से थोड़ा पहले आ गया है। जिसके चलते समय से पहले मौसम ने भी करवट बदली है। अब ऐसे में लोगों को खुद की सेहत का ध्यान रखने के लिए अपने खान-पान के रूटीन को भी ठीक करना चाहिए। खासकर इस मौसम में लोग तले-भुने और तेल से बने खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करने लगते हैं। लेकिन ऐसा करना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इससे पाचन शक्ति यानी कि आंत की‘अग्नि’ कमजोर हो जाती है।
इस मौसम में वातावरण में नमी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर में वात दोष का प्रभाव बढ़ने लगता है। इसका नतीजा होता है शरीर में सूखापन, जोड़ों में दर्द और बेचैनी का अनुभव। इसके अलावा पित्त दोष भी शरीर में जमा होने लगता है, जो शरीर की गर्मी और पाचन क्रिया से जुड़ा होता है। इससे पेट में जलन, गैस, अपच और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि इस मौसम में खानपान और जीवनशैली के प्रति विशेष सतर्कता बरती जाए। संतुलित और हल्का आहार, नियमित दिनचर्या और योग-व्यायाम अपनाकर हम शरीर को स्वस्थ और संतुलित रख सकते हैं।
मौसम के साथ शरीर में भी होता है बदलाव
मौसम बदलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और इसके साथ-साथ हमारे शरीर में भी कई बदलाव होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर और प्रकृति के बीच गहरा संबंध होता है। अगर हम समय रहते अपने शरीर को मौसम के अनुसार ढाल लें, तो न केवल बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि अच्छी सेहत को भी लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। हर मौसम में शरीर की जरूरतें बदलती हैं जैसे खानपान, दिनचर्या और आराम का तरीका। अगर हम इन जरूरतों को समझकर अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें, तो शरीर प्राकृतिक रूप से खुद को स्वस्थ रखने में सक्षम होता है।
इस मौसम में लें आवश्यक डाइट
बरसात का मौसम आते ही वातावरण में नमी बढ़ जाती है और इसका सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। आयुर्वेद में ‘ऋतुचर्या’ की अवधारणा के अनुसार, हर मौसम में विशेष जीवनशैली और आहार का पालन करना जरूरी होता है, खासकर बारिश के मौसम में। इस ऋतु में पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है, इसलिए हल्का, गर्म और आसानी से पचने वाला भोजन करना सबसे बेहतर माना जाता है। तला-भुना, ठंडा या बहुत अधिक तेल युक्त भोजन इससे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है और पेट संबंधी समस्याएं बढ़ा सकता है।
(डिस्क्लेमर : लेख सामान्य मान्यताओं पर आधारित। कोई भी सलाह का पालन करने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह जरूर लें। )
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