अमेरिका दुनिया के कई देशों को अपने सुघड़ हथियार बेचता आ रहा है। किसी देश को वह अपने हथियार और लड़ाकू पोत या विमान बेचता है तो उसके दुश्मन देश को भी वैसे ही हथियार और अन्य सामान बेचता है। मंझे हुए व्यापारी की तरह वह दोनों ही देशों की तारीफें करता है तो एक दूसरे की कमियां, कमजोरियां भी बताता है। अपने बयानों से अमेरिका दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा करता है। यह तनाव कभी कभी युद्ध में बदल जाता है। कुछ ऐसा ही आरोप जिन्ना के देश के रक्षा मंत्री ने लगाया है और एक वीडियो में उन्हें यह सब कहते हुए साफ सुना जा सकता है। यह वीडियो वायरल होकर जितना सिरदर्द पाकिस्तान को दे रहा है उतना ही यह राष्ट्रपति ट्रंप के सलाहकारों को भी परेशान किए हुए है।
जिन्ना के देश के रक्षा मंत्री हैं ख्वाजा आसिफ, जो पिछले दिनों भारत के आपरेशन सिंदूर के दौरान भी अपने उलटे सीधे बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे थे। कभी वह कहते थे कि भारत पाकिस्तान को जरा नुकसान नहीं पहुंचा पाया तो कभी फर्जी आंकड़ों के आधार पर भारत हमलों में अनेक मस्जिदों के तबाह होने की बातें करते थे। इन्हीं ख्वाजा का एक ताजा वीडियो आया है जो अपने कंटेंट और उसके अर्थ की वजह से वायरल हो गया है। इसमें रक्षा मंत्री जो कहते हुए दिख रहे हैं उसका निचोड़ ही है कि अमेरिका ही दो देशों में लड़ाई की जड़ है।
ख्वाजा का कहना है कि सौ साल हो गए, यह अमेरिका ही है जो विश्व भर में युद्ध भड़का रहा है। ऐसा करके वह अपने हथियार और ज्यादा और ज्यादा बेचता आ रहा है। यह आरोप उन्हीं ख्वाजा आसिफ का है जो पिछले दिनों अपने देश की सीनेट में कुछ भारत विरोधी मीडिया खबरों का उल्लेख किया था जिन्हें बाद में उन्हीं के देश के एक बड़े अखबार ने सप्रमाण फर्जी ठहराया था।
वीडियो में ख्वाजा आसिफ का आगे यह कहना है कि आज की तारीख तक अमेरिका 260 लड़ाइयां लड़ चुका है, लेकिन चीन ने तो सिर्फ तीन ही लड़ाइयां लड़ी हैं। जिन्ना के देश के रक्षा मंत्री का साफ आरोप है कि अमेरिका ऐसा दिखाता है कि वह युद्ध में लड़ने वाले दोनों पालों के पक्ष में है। ऐसा करके वह अपने यहां के जमे—जमाए रक्षा कारोबार को और पुख्ता करता है। अमेरिका अफगानिस्तान, सीरिया, मिस्र तथा लीबिया को युद्ध में झोंक चुका है और आज वे पैसे के मामले में जर्जर हो चुके हैं।
ऐसा बोलते हुए शायद ख्वाजा आसिफ को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि उनके ये बयान दुनिया में बहस को जन्म देंगे। अमेरिका की फौजी नीति तथा उसका रक्षा कारोबार बहुत वक्त से विवादों से घिरा रहा है। वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका की रण्नीति, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर ऐसी है कि उसमें हथियारों को बेचने का बड़ा स्थान है। वैसे तो अमेरिका अक्सर यही कहता देखा गया है कि उसके यहां सेना की नीति दुनिया में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए काम करती है लेकिन उसे तो सुरक्षा को देखते हुए दूसरे देशों को हथियार बेचने पड़ते हैं।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से भी पाकिस्तान के अमेरिका के साथ रिश्ते खटास भरे ही रहे हैं। पाकिस्तान रह—रहकर अमेरिका पर आरोप लगाता रहा है कि उसने आतंकवाद विरोधी लड़ाई में दोहरा मानदंड अपनाया हुआ है। उधर इसी अमेरिका ने पाकिस्तान को पैसे और सेना के स्तर पर सहायता भेजी है। यानी दोनों के बीच संबंध तो हैं, लेकिन ये बड़े पेंचदार रहे हैं। आसिफ का यह बयान संबंधों में और मिर्ची लगाने वाला है।
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