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भारत को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है जिन्ना का देश, DIA की ताजा रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा

पाकिस्तान भीतर ही भीतर भारत का नाम सुनकर कांप रहा है और इसीलिए अपने परमाणु हथियारों को और प्रभावी, और मारक बनाने की जुगत भिड़ा रहा है

Published by
Alok Goswami

मजहब के नाम पर भारत से काटकर इस्लामवादी देश बसाने वाले जिन्ना ने शुरू से ही अपने वहां बिठाए अपने कारिंदों में भारत को लेकर जो जहर भरा वह आज उस देश की रीति—नीति में गहरे रच बस चुका है। पाकिस्तान अपने अस्तित्व के लिए अगर किसी को सबसे बड़ा खतरा मानता है तो वह भारत ही है। आपरेशन सिंदूर में बुरी तरह पिटने के बाद, भारत के प्रति उसका भय और बढ़ा है। यह बात भारत के रक्षा विशेषज्ञ बहुत अच्छी तरह समझ रहे हैं। पश्चिम के देशों में जिन्ना के देश की असलियत के बारे में कोई संदेह नहीं रह गया है। अमेरिका से आई एक ताजा रिपोर्ट भी यही खुलासा करती है कि पाकिस्तान भीतर ही भीतर भारत का नाम सुनकर कांप रहा है और इसीलिए अपने परमाणु हथियारों को और प्रभावी, और मारक बनाने की जुगत भिड़ाने में जुट गया है। यह रिपोर्ट अमेरिकी एजेंसी डीआईए ने जारी की है। रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान बड़े पैमाने पर संहार करने वाले अपने हथियारों के लिए विदेश से सामान तथा प्रौद्योगिकी की आपूर्ति करने में जुटा है और यह सामग्री उसे चीन से बरास्ते हांगकांग, सिंगापुर, तुर्किए तथा संयुक्त अरब अमीरात हो रही है।

डीआईए अमेरिका की रक्षा गुप्तचर एजेंसी है। 2025 की इसकी रिपोर्ट पाकिस्तान की फौज और उसकी तैयारियों की बारीकियां गिनाती है। लेकिन इन बारीकियों को गिनाते हुए स्थिति पर गंभीर चिंता भी जताती है। भविष्य के खतरों का आकलन करते हुए रिपोर्ट कहती है कि जिन्ना का देश अपने कायम रहने के पीछे बस एक ही देश को खतरा मानता है और वह है भारत। इस खतरे से निपटने के लिए जिन्ना का देश अपने परमाणु हथियारों पर तेजी से काम करने की तैयारी कर रहा है। दुनिया में खतरे के सालाना आकलन के तहत इस रिपोर्ट का कहना है कि यह इस्लामवादी देश दूसरे देशों से बड़े पैमाने के संहारक हथियारों में लगने वाली चीजें हासिल करता आ रहा है। इस इस्लामी देश अपने आका चीन के साथ मजबती से चिपका हुआ है, सैन्य स्तर पर। डीआईए की रिपोर्ट मानती है कि परमाणु हथियारों के क्षेत्र में ऐसी आपाधापी इलाके की स्थिरता पर बहुत ज्यादा उलटा असर डाल सकती है।

अमेरिकी एजेंसी की रिपोर्ट आगे के साल के लिए जो संभावना देख रही है उनमें पाकिस्तान का चेहरा उसके संभावित कदमों से और भी ज्यादा कलुषित नजर आ रहा है। जिन्ना के देश की सेना अगले साल पड़ोसी देशों से सरहद पर तनाव और संघर्ष जारी रखने वाली है, उस पर टीटीपी और बलूच विद्रोहियों के हमले बढ़ सकते हैं, सेना का कथित आतंकवाद रोधी कदम तथा परमाणु अस्त्रों के आधुनिकीकरण का काम चलता रहना वाला है।

रिपोर्ट इस बात को भी खुलकर कहती है कि पाकिस्तान सबसे ज्यादा चीन से पैसा और फौजी सहायता पा रहा है। सब जानते हैं कि हर साल पाकिस्तान की फौज कम्युनिस्ट फौज पीएलए के साथ एक नहीं कई संयुक्त सैन्य अभ्यासों में जुटती है। पाकिस्तान की वायु सेना भी चीन की वायु सेना से लड़ाई के गुर सीखती रहती है।

अमेरिका की महत्वपूर्ण गुप्तचर संस्था डीआईए की रिपोर्ट अगर इस प्रकार के संकेत दे रही है तो इन्हें सरसरी तौर पर नहीं लिया जा सकता। भारत के रक्षा विशेषज्ञ तो पाकिस्तान की सोच और सच जानते ही हैं। वहां के नेताओं में भारत के प्रति खौफ और मदरसों में भारत और हिन्दुओं के प्रति जहरीली नफरत के बीच बोए जाने के भी प्रमाण सामने हैं। इसलिए उसे लगता है कि भारत को चोट पहुंचाए बिना उसका सांस लेना दूभर हो जाएगा।

रक्षा क्षेत्र से जुड़ी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल तक की बात करें तो जिन्ना के देश के भंडार में करीब 170 वॉरहेड मौजूद थे। वह इसी भंडार में लगतार वृद्धि करने का प्रयास कर रहा है। एक अनुमान के हिसाब से आज से पांच साल पहले तक यानी 2020 में पाकिस्तान 60-80 वॉरहेड लेकर बैठा था। इस साल तक उसके इन वॉरहेड की तादाद 200 को पार कर सकती है।
पाकिस्तान ने अपने परमाणु भंडार को कभी सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं किया है इसलिए इस बारे में ठोस जानकारी नहीं होने पर भी उसकी शत्रुतापूर्ण सोच से सब परिचित हैं। विशेषज्ञ यह जानते हैं कि जिन्ना का देश परमाणु हथियारों को मिसाइलों के जखीरे से दूर रखता है। इन्हें वह प्रयोग करने के वक्त ही साथ लाता है ताकि इनकी संख्या के बारे में लोगों को पता ही न चले।

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