आचार्य प्रेमानंद जी महाराज से जानिए भगवान को कैसे प्रसन्न करें?
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आचार्य प्रेमानंद जी महाराज से जानिए भगवान को कैसे प्रसन्न करें?

आचार्य प्रेमानंद जी महाराज ने एक प्रवचन में जीव सेवा को सर्वोच्च धर्म बताते हुए कहा कि जब हम भाव से किसी भी प्राणी की सेवा करते हैं, चाहे वह पशु हो या पक्षी, तो भगवान स्वयं उस सेवा को स्वीकार करते हैं और प्रसन्न होते हैं।

by Mahak Singh
May 25, 2025, 04:01 pm IST
in जीवनशैली
Acharya Premananda Ji Maharaj

Acharya Premananda Ji Maharaj

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आचार्य प्रेमानंद जी महाराज ने एक प्रवचन में जीव सेवा को सर्वोच्च धर्म बताते हुए कहा कि जब हम भाव से किसी भी प्राणी की सेवा करते हैं, चाहे वह पशु हो या पक्षी, तो भगवान स्वयं उस सेवा को स्वीकार करते हैं और प्रसन्न होते हैं।

आचार्य प्रेमानंद जी महाराज जी ने एक प्रसंग साझा किया जिसमें संत एकनाथ जी महाराज गंगोत्री से गंगाजल लेकर रामेश्वरम में चढ़ाने जा रहे थे। जब वे लगभग रामेश्वरम पहुंचने ही वाले थे, तब रास्ते में एक प्यास से तड़पता गधा मिला। उसकी दशा देखकर एकनाथ जी का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने गंगाजल से भरे कलश को उस प्यासे गधे को पिला दिया, जबकि उनके साथियों ने उन्हें रोका कि अब तो रामेश्वरम समीप ही है। परंतु एकनाथ जी ने कहा, “अब हमारी श्रद्धा यही है, यही रामेश्वर है।” आश्चर्य की बात यह रही कि जैसे ही उन्होंने गधे को जल पिलाया, वहीं भगवान शिव प्रकट हो गए।

इसी तरह का एक और प्रसंग संत नामदेव जी से जुड़ा हुआ है। एक बार एक कुत्ता उनकी रोटी लेकर भाग गया तो नामदेव जी उसके पीछे घी का कटोरा लेकर दौड़े और बोले, “प्रभु! रूखी मत खाओ, थोड़ा घी भी लगवा लो।” तभी उस कुत्ते के रूप में विट्ठल भगवान प्रकट हो गए। आचार्य प्रेमानंद जी ने कहा कि इन प्रसंगों से स्पष्ट होता है कि जब सेवा में प्रेम और श्रद्धा जुड़ जाए, तो वही सेवा भक्ति बन जाती है। भगवान हर जीव में विराजमान हैं, और उनकी सच्ची आराधना तब होती है जब हम प्रत्येक प्राणी में उन्हें देखें। “जीव सेवा ही शिव सेवा है”, यह संदेश देते हुए उन्होंने सभी भक्तों से आह्वान किया कि वे निस्वार्थ भाव से जीवों की सेवा करें और भक्ति को कर्म से जोड़ें।

Topics: प्रेमानंद महाराजआचार्य प्रेमानंद जी महाराजभगवान को कैसे प्रसन्न करेंप्रेमानंद महाराज का प्रवचनPremanand Maharaj
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