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‘पाकिस्तान के आतंकी हमलों में 20,000 भारतीयों की हुई मौत’, UNSC में भारत ने गिनाए पड़ोसी के ‘पाप’

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जवाब देते हुए भारत के प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया।

Published by
Kuldeep singh

पहलगाम आतंकी हमले बाद भारत सरकार ने सिंधु जल समझौता खारिज कर दिया था। इसके बाद से पाकिस्तान बिलबिलाया हुआ है। वह संयुक्त राष्ट्र में सिंधु जल समझौते को लेकर झूठ फैला रहा था, लेकिन भारत ने वहां भी उसे बेनकाब कर दिया। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने दो टूक कह दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करेगा, संधि स्थगित ही रहेगी।

क्या है पूरा मामला

सिंधु जल संधि के खत्म होने से अकाल झेल रहे पाकिस्तान में पानी की जबर्दस्त किल्लत है। वह लगातार वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिशें भी कर रहा है। अपनी इसी कोशिश में उसने संयुक्त राष्ट्र में मानवता की बीन बजाते हुए कहा कि जल जीवन है, युद्ध का हथियार नहीं। पाकिस्तान के इस बयान पर भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश ने पाकिस्तान के पाप गिनाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत पर तीन युद्ध और हजारों आतंकवादी हमले करके इस संधि की भावना को बार-बार तोड़ा है।

भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि नदी के ऊपरी तट पर स्थित देश होने के बाद भी हमने सदा जिम्मेदाराना तरीके से ही व्यवहार किया है। यूएनएससी की बैठक को संबोधित करते हुए हरीश ने पाकिस्तान के दुष्प्रचार को चार प्वाइंट्स में काउंटर किया। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में किए गए आतंकी हमले के बाद हमने इस संधि को निलंबित किया। उस आतंकी हमले में लोगों से उनकी धार्मिक पहचान पूछकर 26 लोगों की हत्या की गई थी। जब ये संधि की गई थी, तो उसकी प्रस्तावना में ये स्पष्ट किया गया था कि ये सद्भावना और मैत्री की भावना से की गई है। लेकिन, पाकिस्तान ने कभी इसका सम्मान नहीं किया।

4 दशक में 20,000 भारतीयों की हत्या

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में पाकिस्तान को पूरी तरह से बेनकाब करते हुए भारत ने बताया कि कैसे बीते करीब 40 साल में ही पाकिस्तान ने आतंकी हमलों के जरिए 20,000 से अधिक भारतीयों की हत्या की है। बावजूद इसके हर बार भारत ने धैर्य और उदारता दिखाई। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि बीते 2 साल में हमने कई बार पाकिस्तान से इस संधि में संशोधन करने के लिए चर्चा करने के लिए कहा, लेकिन हर बार इस्लामाबाद ने इससे इंकार किया।

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