रक्षा

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर अनावश्यक विवाद

ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य और कूटनीतिक जीत की कहानी, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देने के लिए रणनीतिक धैर्य और सटीक हमलों से पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को नष्ट किया गया।

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लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास,पीवीएसएम, बार टू एसएम, वीएसएम ( सेवानिवृत)

7 मई से 10 मई तक सफल ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजनीतिक तकरार के बीच, विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर के एक बयान को लेकर विवाद का विषय बनाया गया। यह आरोप लगाया जा रहा है कि विदेश मंत्री ने यह कहकर पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि भारत पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहा है और सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कहा गया कि इस तरह के दावे “तथ्यों की गलत व्याख्या” हैं। एक सैन्य अधिकारी के रूप में, मैं इस अनावश्यक विवाद को सही सैन्य परिप्रेक्ष्य में रखने का प्रयास करूंगा।

पहलगाम में 22 अप्रैल का कायरतापूर्ण आतंकी हमला, जिसके परिणामस्वरूप 26 पर्यटकों, ज्यादातर हिंदुओं की चुनिंदा हत्या राष्ट्र की अंतरात्मा पर चोट थी। देश में इतना आक्रोश, 140 करोड़ भारतीयों की अभूतपूर्व पीड़ा और आतंकी हमले की वैश्विक निंदा पहले कभी अनुभव नहीं की गई थी। भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जो पाकिस्तान के नौ ज्ञात आतंकी केंद्रों पर सटीक हमला था।

इसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें से उनके कुछ प्रमुख आका भी शामिल थे। आतंकी बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। अगर कोई खबर लीक हुई होती तो आतंकी अड्डों पर इतना नुकसान नहीं होता। पाकिस्तान को मारे हुए आतंकियों को
राजकीय सम्मान से दफनाना पड़ा। भारतीय सेनाओं की अभूतपूर्व सफलता का इससे बड़ा और क्या सबूत हो सकता है।

चूंकि भारत में जनता का जबरदस्त आक्रोश था, इसलिए मोदी सरकार पर पाकिस्तान के अंदर तत्काल हमले करके जवाब देने का दवाब था। लेकिन चूंकि पहल पाकिस्तान ने की थी और पाकिस्तान भारत से तत्काल जवाबी कार्रवाई की उम्मीद कर रहा था, भारत ने संयम से काम लिया । इसलिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सशस्त्र सेनाओं के प्रमुखों को सही जवाबी कार्यवाही की खुली छूट दी। पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों को पाकिस्तान और आतंकवाद का समर्थन करने वालों को आवश्यक और पर्याप्त प्रतिक्रिया के तौर, लक्ष्य और समय पर निर्णय लेने की पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता दी।

इसका मकसद पाकिस्तान को करारा जवाब देना और पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना था। इसलिए, रणनीतिक धैर्य के साथ, पीएम मोदी ने एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के कद के अनुरूप महान परिपक्वता और सैन्य कुशलता का प्रदर्शन किया। वांछित राष्ट्रीय और सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर नैतिक प्रभुत्व और सैन्य स्तर पर रणनीतिक गोपनीयता को प्राप्त करना महत्वपूर्ण था। सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने का भारत का कदम एक कूटनीतिक मास्टरस्ट्रोक था। एक अन्य महत्वपूर्ण पूरे देश में नागरिक सुरक्षा अभ्यास कराना था।

सैन्य रूप से, भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने सार्वजनिक रूप से कोई गतिविधि नहीं की, लेकिन भीतर ही भीतर गंभीर तैयारी करना जारी रखा। दूसरी ओर, पाकिस्तानी प्रतिष्ठान, विशेष रूप से पाकिस्तानी सेना भारतीय जवाबी कार्रवाई की प्रत्याशा में इंतजार कर रही थी। इस बीच भारत ने कुछ मिसाइलों का परीक्षण किया और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपनी तरफ हवाई अभ्यास की भी घोषणा की। संक्षेप में, हम पाकिस्तानी सशस्त्र बलों को भ्रम की स्थिति में लाने में सक्षम रहे। मेरी राय में यह रणनीतिक सैन्य तैयारी और दुश्मन को आश्चर्यचकित करना एक मास्टरस्ट्रोक था।

इस बीच हमारा कूटनीतिक आक्रमण जारी रहा। भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में वैश्विक समर्थन जुटाने में सक्षम रहा । यहां तक कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि भारत अपनी धरती पर आतंकवादी हमले का जवाब देने में सक्षम है और इस प्रकार अमेरिका ने पाकिस्तान की फरियाद सुनने पर इनकार कर दिया। हमारे कूटनीतिक आक्रमण के साथ, प्रतिक्रिया में हो रही देरी ने पाकिस्तानी सेना को आश्वस्त कर दिया कि भारत पुनः 2019 के बालाकोट जैसे हवाई हमले से जवाब देगा और न्यूक्लियर ब्लैकमेल के चलते उन्हें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपने आतंकवादियों को कुछ समय छिपाने के बाद, पाकिस्तानी सेना को लगा कि वे बिखरे हुए आतंकी शिविरों में ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। लेकिन पाकिस्तान ने आतंकियों की हर चाल पर नज़र रखने की भारत की क्षमता का अनुमान नहीं लगाया था।

इसलिए, जब भारत ने 6/7 मई की आधी रात के बाद सटीक मिसाइलों और सशस्त्र ड्रोन के साथ नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया, तो पाकिस्तान, खासकर पाकिस्तानी सेना को एक बड़ा झटका लगा। भारत की प्रतिक्रिया इतनी गोपनीय थी कि अधिकांश भारतीय, सैन्य विश्लेषक और मीडिया भी आश्चर्यचकित थे। यह बताना जरूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे हमलों की जानकारी सशस्त्र सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व, एनएसए, रक्षामंत्री और पीएम तक सीमित होती है। यहां तक कि हमलों को अंजाम देने के लिए तैनात बलों को भी अंतिम समय में सूचित किया जाता है। मेरी समझ में, विदेश मंत्री को भी हमले की तारीख और समय के बारे में पता नहीं होगा। इस प्रकार, श्री जयशंकर के उस बयान को पाकिस्तानी सशस्त्र बलों को हमारे जवाब को लीक करने का आरोप लगाना हास्यास्पद है।

जब पाकिस्तान ने संघर्ष को बढ़ाया, तो भारत पूरी तरह से तैयार था और 7 मई से 10 मई 2025 के बीच सरगोधा से सियालकोट तक 11 पाकिस्तानी एयरबेस को नष्ट करते हुए और भी मजबूत तरीके से जवाबी कार्रवाई की। भारत ने एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रडार स्टेशनों, वायु रक्षा नेटवर्क और आतंकी बुनियादी ढांचे को भी नष्ट कर दिया। भारत की प्रतिक्रिया मापी, कैलिब्रेटेड और गैर-एस्केलेटरी थी जिसने विशेष रूप से नागरिक लक्ष्यों से परहेज किया। भारत की सैन्य प्रतिक्रिया इतनी गंभीर थी कि पाकिस्तान को संघर्ष के चार दिनों से भी कम समय में संघर्ष विराम की मांग करनी पड़ी। यह और भी उल्लेखनीय है क्योंकि किसी भी भारतीय सैनिक ने एलओसी और आईबी को पार भी नहीं किया। मेरी राय में, ऑपरेशन सिंदूर का पहला चरण अब तक की सबसे शानदार सैन्य जीत में से एक के रूप में गिना जाएगा। अमरिकी सैन्य विशेषज्ञों ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एक शानदार जीत माना है और इसे अपनी सेनाओं के लिए केस स्टडी के रूप में अनुशंसित किया है।

पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे शानदार जीत पर राजनीतिक असंगति सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ राजनीतिक बयान भारतीय सशस्त्र बलों को हतोत्साहित कर सकते हैं। पिछले एक महीने में, भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध अपने संकल्प को और मजबूत कर दिया है, अगर वह हमारे खिलाफ एक और आतंक या सैन्य दुस्साहस की गलती करता है। पीएम मोदी ने कहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ केवल सैन्य कार्रवाई को रोका गया है और ऑपरेशन सिंदूर जारी है। भारत ने पहले ही पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में अपनी मारक क्षमता के साथ पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल को विराम दे दिया है।

इसलिए भारत के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में तब तक एकजुट रहना जरूरी है जब तक पाकिस्तान पूरी तरह से आत्मसमर्पण नहीं कर देता या घुटने नहीं टेक देता। हमारे विपक्ष को अनावश्यक बयानबाजी से बचना चाहिए। हमारी एकता और एकजुटता हमारी भविष्य की सभी जीतों में देश की सबसे बड़ी ताकत है। जय भारत!

(डिस्क्लेमर: स्वतंत्र लेखन। यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं; आवश्यक नहीं किपाञ्चजन्य उनसे सहमत हो।)

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