विश्व

FATF में फिर गर्त में जाएगा जिन्ना का देश, जिन्ना की जिहाद की नर्सरी के विरुद्ध भारत के कड़े रुख का कितना पड़ेगा असर!

2022 में जोड़—तोड़ करके ग्रे सूची से बाहर आने में कामयाब रहा पाकिस्तान का एक बार फिर उस सूची में जाना दुनिया के लिए राहत की बात होगी। भारत के नीतिकारों को इस संदर्भ में अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे बड़े देशों से सहायता मिलने की उम्मीद है

Published by
Alok Goswami

जिहादियों के रखवाले, जिहाद की नर्सरी, जिन्ना का जिहादी देश…ऐसे न जाने कितने विशेषणों से दुनिया में कुख्यात हो चुके पाकिस्तान के लिए बेहतर होगा कि आने वाले जून महीने में एफएटीएफ से एक बार और कोड़ा खाने को तैयार रहे। ग्रे लिस्ट से बाहर आने को तड़फड़ा रहे जिहा​दी पाकिस्तान के विरुद्ध भारत ने हर मोर्चे पर कमर कस चुका है। आईएमएफ ने जिस प्रकार इस बदनाम देश को संभवत: किसी दबाव में आकर जिस प्रकार का राहत पैकेज पिछले दिनों दिया है, उससे उस संस्था के विरुद्ध आक्रोश ही उपजा है। कारण यह ​कि पाकिस्तान नैतिकता के पैमाने पर इतना गिर चुका है कि उसे दिया जाने वाला राहत तक का पैसा वह आतंकियों को पालने पर खर्च करता है और दूसरे देशों में आतंकियों की सप्लाई करता है। एक उद्योग जैसा बन चुका है आतंकवाद पाकिस्तान में!

भारत के नीतिकार पूरी तैयारी में हैं कि एफएटीएफ जिन्ना के जिहादी देश को अपनी ग्रे सूची में रखकर उस पर दुनियाभर से पाबंदियां लगवा दे। जैसा पहले बताया, पहलगाम जिहादी हमले के बाद, तमाम साक्ष्य होने पर भी आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज की एक किस्त जारी की है। भारत ने उसके इस कदम पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई है। भारत ने तब साफ कहा था कि आईएमएफ जान ले कि इस देश को दिया जाने वाले किसी भी पैसे के आतंकवादियों की खातिरदारी पर ही खर्च होने के पूरे आसार है। लेकिन आगे ऐसा न हो, इसके लिए भारत का पूरा प्रयास है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की उस ग्रे सूची में रहे जिसमें उसके जैसे स्तर के नार्थ कोरिया जैसे अन्य देश रखे गए हैं।

भारत एफएटीएफ की होने जा रही बैठक में पाकिस्तान का कच्चा चिट्ठा खोलने वाला है (File Photo)

इसके लिए भारत द्वारा विभिन्न् देशों में जाकर पाकिस्तान की हरकतों को बेनकाब करना जारी है। भारतीय सांसदों के सात प्रतिनिधिमंडल दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों के सामने आतंकवाद की वीभत्सता बताकर इसके पोषक पाकिस्तान के विरुद्ध लामबंद करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर स्वयं यूरोप के दौरे पर हैं। वहां उनकी सभाओं में चुनिंदा नीतिकार इकट्ठे हो रहे हैं और आतंक के विरुद्ध भारत के संघर्ष को समर्थन व्यक्त कर रहे हैं।

पाकिस्तान के विरुद्ध भारत के इस कूटनीतिक प्रयास के साथ ही भारत सरकार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट को लेकर भी गंभीरता के साथ इस काम में जुटी है कि पाकिस्तान उसकी ग्रे सूची के चंगुल में जरूर फंसे। भारत एफएटीएफ की होने जा रही बैठक में पाकिस्तान का कच्चा चिट्ठा खोलने वाला है। यह चिट्ठा फिलहाल तैयार किया जा रहा है। मीडिया में यह बात आ चुकी है कि अगले माह एफएटीएफ समीक्षा बैठक करने वाली है। इसमें भारत पाकिस्तान की ओर से मचाए जा रहे आतंकवाद की प्रमाण सहित कलई खोलने वाला है। भारत पूरा प्रयास करेगा कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहे। इस सूची में रहने से पाकिस्तान को तगड़ी चोट पड़ेगी, तब कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था उसे पैसा देती है तो उसकी पाई पाई का हिसाब उसे देना होगा। वह पैसा आतंकवाद में लगाए जाने पर लगाम लगेगी।

एफएटीएफ धन शोधन, आतंकवाद में पैसा लगाने और हथियारों की खरीदफरोख्त के लिए पैसा देने जैसे कामों पर नजर रखती है। इन सब कामों में लिप्त पाए जाने वाले देशों को एफएटीएफ अपनी ग्रे सूची में शामिल करती है। इस सूची में डलने वाले देश आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करने के लिए बाध्य किए जाते हैं। इसके लिए कुछ शर्तें तय होती हैं, जिन्हें पूरा करने में पिछड़ने वाले देश को आगे काली सूची में डालकर दुनियाभर में बदनाम होने के लिए छोड़ दिया जाता है।

पाकिस्तान सरकार और सेना किस कदर आतंकवादियों के साथ एकसार हैं इसका बेशर्म प्रदर्शन जिन्ना का देश भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मारे गये जिहादियों को दफनाए जाते वक्त कर चुका है। उनके ताबूतों के साथ पाकिस्तान सेना के अनेक कमांडर सिर झुकाए खड़े थे जैसे कोई उनके बहुत सगे वाले हलाक हुए हैं। भारत एफएटीएफ से जुड़े देशों के सामने जिन्ना के देश की फौज और आतंकवादियों के बीच गर्भनाल के संबंधों को उजागर करेगा। दरअसल भारत ही नहीं, दुनिया के सभी बड़े देश इस सच को जानते हैं लेकिन अपने अपने स्वार्थों की वजह से वे मुंह सिले रहते हैं। इनमें तुर्किए, अजरबैजान और चीन तो जगजाहिर हो चुके हैं। भारत की कोशिश होगी कि ये तीनों देश भी असली शैतान को पहचानें और मानवता के साथ खड़े हों। पाकिस्तान को लाख समझाने के बाद भी, वह अपने यहां मौजूद आतंकियों और उनके अड्डों के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाता। उलटे, दुनिया के सामने मासूम चेहरा ओढ़कर खुद को भी आतंक पीड़ित दिखाता है।

एफएटीएफ की बैठक में भारत की कोशिश होगी कि पाकिस्तान के अगले पिछले सारे षड्यंत्र उजागर करके फिर से साबित कर दे कि जिन्ना का वह देश एफएटीएफ की ग्रे सूची में ही रहने के लायक है, कि यह दुनिया के लिए खतरा है, कि इसका मजहब सिर्फ और सिर्फ आतंंकवाद है, कि ये देश सभ्य समाज के कायदे नहीं समझता, कि नैतिकता जैसी चीज इस देश की फितरत में ही नहीं है।

2022 में जोड़—तोड़ करके ग्रे सूची से बाहर आने में कामयाब रहा पाकिस्तान का एक बार फिर उस सूची में जाना दुनिया के लिए राहत की बात होगी। भारत के कूटनीतिक तंत्र की पूरी कोशिश है कि वह देश अपने लिए सही उसी सूची में वापस पहुंचे। भारत के नीतिकारों को इस संदर्भ में अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे बड़े देशों से सहायता मिलने की उम्मीद है।

Share
Leave a Comment