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Indus Water Treaty: भारत के ‘वाटर बम’ से तिलमिलाए जिन्ना के देश के सांसद जफर, कहा-‘हम प्यासे मर जाएंगे’

भारत सरकार के अनुसार, यह आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीतिक कदम है, जबकि पाकिस्तान इसे अपने 'अस्तित्व के लिए खतरा' मान रहा है

Published by
Alok Goswami

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा जिन्ना के देश के विरुद्ध उठाए गए संख्त कदमों में से एक सिंधु जल संधि को निरस्त करना था। इससे पाकिस्तान और उसके देश के लोगों पर सीधा असर पढ़ रहा है। दो सूबों, पंजाब और सिंध में सिर पर पानी गंभीर संकट देखकर लोग बेचैन होते जा रहे हैं। यह बेचैनी वहां की संसद में बार बार सुनाई दी है। जिन्ना के देश एक सीनेटर सैयद अली जफर ने तो भारत की इस कड़ी कार्रवाई को ‘वाटर बम’ की ही संज्ञा दी है। संसद में भाषण देते हुए जफर ने आहत स्वर में क​हा कि सिंधु जल संधि को निरस्त करना पाकिस्तान पर ‘वाटर बम’ गिराने जैसा है। जफर ने कहा कि भारत के संधि को स्थगित करने से देश में गंभीर जल संकट खड़ा हो सकता है।

1960 में अमल में आई सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के वितरण को कुछ नियम तय करती है। इस संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का नियंत्रण मिला, जबकि भारत को रावी, सतलुज और ब्यास नदियों का अधिकार दिया गया। पाकिस्तान की 90 प्रतिशत फसलें और जलविद्युत परियोजनाएं सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर हैं।

लेकिन गत 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले पर मुंह सिले बैठे रहे पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए भारत ने भारत ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित करने का फैसला किया और उसका सख्ती से पालन किया। पहलगाम हमले में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने 26 मासूमों की जान ली थी जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान से उन आतंकियों को भारत के हवाले करने और अपने यहां पाले जा रहे आतंकवाद के विरुद्ध कड़े कदम उठाने को कहा था। लेकिन जिन्ना का बेशर्म देश मुंह बिचकाकर हंसता रहा। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए यह कदम उठाया। बाद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”।

पहलगाम हमले में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने 26 मासूमों की जान ली थी

पाकिस्तानी संसद में सीनेटर सैयद अली जफर का दर्द इस संधि को निरस्त करने के लिए तो उठा लेकिन वे यह नहीं बोले कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देना बंद करे। यही मानसिकता है अधिकांश पाकिस्तानी नेताओं की। वे असल मुद्दे से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए यहां वहां के विषय उठाते रहते हैं। जफर ने भारत द्वारा इस संधि को स्थगित रखने से पाकिस्तान में संभावित जल संकट के गहराने की तो बात की, लेकिन अपनी सरकार से हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर जैसे जिहादियों को पकड़ने की अपील नहीं ​की। भारत ने जिन्ना के देश को एक पूरी सूची सौंपी हुई है, जिनमें उन आतंकवादियों के नाम हैं जो भारत में आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम देते रहे हैं। भारत ने उन आतंकवादियों को सौंपने की बार बार अपील की है ​लेकिन जिन्ना के देश के नेता यही झूठ बोलते रहे हैं कि उनके यहां कोई आतंकवादी नहीं है।

जफर की संसद में यह चेतावनी पाकिस्तान की सरकार को ध्यान रखनी चाहिए कि देश की 90 प्रतिशत खेती इसी पानी पर निर्भर है, इसलिए जल आपूर्ति के बाधित होने से देश में खाद्यान्न की कमी हो सकती है। जफर के शब्द हैं, संधि निरस्त करना भारत का “हमारे ऊपर बम लटकाने जैसा है, यह वाटर बम है।” जफर की सरकार से इस संकट का समाधान निकालने की अपील बेशक पाकिस्तान सरकार के बहरे कानों से टकराकर लौट चुकी होगी।

इसमें संदेह नहीं है कि भारत के इस कदम से पाकिस्तान के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है। गर्मी के इस मौसम में जल संकट और बढ़ सकता है, जिससे कृषि और बिजली उत्पादन पर गंभीर असर पड़ने के आसार बन गए हैं। पाकिस्तान की जर्जरहाल अर्थव्यवस्था में खेती का बड़ा योगदान है। जल संकट से उसकी खाद्य सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा सकता है। लेकिन संभव है पाकिस्तानी नेता और सरकार चीन के आसरे हाथ पर हाथ धरे बैठी रहने वाली है।

कहना न होगा, सिंधु जल संधि को निरस्त करने को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है। भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीतिक कदम बताया है, जबकि पाकिस्तान इसे अपने ‘अस्तित्व के लिए खतरा’ मान रहा है। अगर पाकिस्तान ने अब भी आतंकवाद के विरुद्ध कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया तो भारत भी आतंकवाद के विरुद्ध अपनी जीरो ‘टॉलरेंस नीति’ से टस से मस नहीं होने वाला है।

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