पहलगाम में 22 अप्रैल के नृशंस आतंकी हमले के एक महीने बाद यानी 22 मई को इसके लेखा-जोखा का एक उचित समय है। इस आतंकी घटना के परिणामस्वरूप 26 पर्यटकों की धर्म पूछकर हत्या की गई, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे। देश में इतना आक्रोश कभी नहीं देखा गया। 140 करोड़ भारतीयों की अभूतपूर्व पीड़ा और आतंकी हमले की वैश्विक स्तर पर निंदा का भी अनुभव पहले कभी नहीं किया गया था। भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जो पाकिस्तान के नौ ज्ञात आतंकी केंद्रों पर सटीक हमला था। इस हमले में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें से कुछ तो आतंकियों के आका भी थे। आतंकवादी ढांचे को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया।
जब पाकिस्तान ने संघर्ष को बढ़ाया, तो भारत ने 7 मई से 10 मई 25 के बीच सरगोधा से सियालकोट तक 11 पाकिस्तानी एयरबेस को नष्ट करते हुए और भी मजबूत तरीके से जवाबी कार्रवाई की। भारत ने एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रडार स्टेशनों, वायु रक्षा नेटवर्क और आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया। भारत की प्रतिक्रिया मापी, कैलिब्रेटेड और गैर-एस्केलेटरी थी जिसने विशेष रूप से नागरिक लक्ष्यों से परहेज किया। भारत की सैन्य प्रतिक्रिया इतनी गंभीर थी कि पाकिस्तान को संघर्ष के चार दिनों से भी कम समय में संघर्ष विराम की मांग करनी पड़ी। ऑपरेशन सिंदूर इतना प्रभावी था जिसमें किसी भी भारतीय सैनिक ने एलओसी और आईबी को पार भी नहीं किया। मेरी राय में, ऑपरेशन सिंदूर का पहला चरण अब तक की सबसे शानदार सैन्य जीत में से एक के रूप में गिना जाएगा। अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी को सराहा है और इसे अपनी सेना के लिए केस स्टडी के रूप में अनुशंसित किया है।
जबकि शेष भारत ने पाकिस्तान पर भारत की शानदार सैन्य जीत का जश्न मनाया है, पिछले एक सप्ताह में अनावश्यक राजनीतिक तकरार देखी गई है। पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से कूटनीतिक कार्रवाई पिछले एक महीने में एक और स्वागत योग्य कदम है। प्रधानमंत्री ने स्वयं 13 मई को आदमपुर एयरबेस और 22 मई को नाल एयरबेस, बीकानेर का दौरा किया। पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया का एक ‘न्यू नार्मल (New Normal)’ स्थापित किया है और एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। इस प्रकार, पिछले एक महीने में, भारत ने अपनी धरती पर किसी भी आतंकी हमले से निपटने के लिए सैन्य और कूटनीतिक दोनों रूप से सबसे मजबूत इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है।
ऐसी सुगबुगाहट है कि हम 22 अप्रैल को मानवता के खिलाफ जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार तीन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों को पकड़ने या मारने में सक्षम नहीं हुए हैं। यह आश्चर्यजनक है कि राजनीतिक दलों के एक वर्ग द्वारा ऐसी आवाजें उठाई जा रही हैं। मारे गए लोगों के परिजनों ने संतोष व्यक्त किया है कि ऑपरेशन सिंदूर ने उनके सगे-संबंधियों की मौत का बदला ले लिया है।
एक सैन्य पेशेवर के रूप में, जिसे ऐसी स्थितियों से निपटने का पूर्व अनुभव है, मैं संदिग्ध आतंकवादियों की गिरफ्तारी/हत्या को सही परिपे्रक्ष्य में रखना चाहूंगा। यह स्पष्ट है कि पहलगाम आतंकी हमला पाकिस्तानी सेना द्वारा सुनियोजित था और उन्होंने इस ऑपरेशन के लिए उच्च प्रशिक्षित आतंकवादियों को चिह्नित किया गया था। आतंकवादियों को पहलगाम के आसपास के क्षेत्र में ओवर ग्राउंड वर्कर्स से समर्थन और रसद प्राप्त हुई। चूंकि पहलगाम की बैसरन घाटी के आसपास का इलाका पहाड़ों से घिरे घने जंगल हैं, इसलिए आतंकवादियों के लिए बिना पता लगाए गायब हो जाना संभव है।
मैं इन आतंकवादियों के बारे में तीन विकल्प देखता हूं। एक यह है कि वे स्थानीय गाइड और ओजीडब्ल्यू नेटवर्क की मदद से पीओजेके में वापस आ गए हैं और 7 मई के हमारे आतंकी अड्डों पर हमले में मारे गए हैं। दूसरा विकल्प यह है कि वे दक्षिण कश्मीर में कहीं छिपे हुए हैं, शायद अपनी पहचान बदलकर। इस तरह वो जल्द ही मारे जाएंगे। तीसरी संभावना यह है कि पीओजेके में वापस आने के बाद पाकिस्तानी सेना ने खुद उन्हें खत्म कर दिया है। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पाकिस्तान नहीं चाहेगा कि पहलगाम आतंकी हमले में उनकी सीधी संलिप्तता के सबूत के तौर पर भारत उन्हें पेश करे। लेकिन मैं निश्चित रूप से जानता हूं कि एक आतंकवादी का जीवन अल्पकालिक होता है और यह केवल समय की बात है जब उन्हें खत्म कर दिया जाता है, चाहे वे देश के किसी भी हिस्से में हों।
पिछले एक महीने में, भारत ने पाकिस्तान के साथ अंतिम संघर्ष के अपने संकल्प को और मजबूत कर दिया है, अगर वह हमारे खिलाफ एक और आतंक या सैन्य दुस्साहस की गलती करता है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है की ऑपरेशन सिंदूर जारी है। भारत ने पहले ही पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में अपनी हमले की क्षमता दिखाकर पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल को विराम दे दिया है। पीएम मोदी सरकार के तहत भारत के लिए एकजुट रहना महत्वपूर्ण है जब तक कि पाकिस्तान पूरी तरह से आत्मसमर्पण नहीं कर देता या घुटने नहीं टेक देता। हमारी राष्ट्रीय एकता हमारी भविष्य की सभी जीतों में देश की सबसे बड़ी ताकत है। जय भारत!
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