बिहार

जनेऊ और कलावा पहनने पर छात्रों की पिटाई, NHRC ने लिया संज्ञान

बिहार के मुंगेर जिले से एक चिंताजनक मामला सामने आया है। आरोप है कि एक स्कूल में जनेऊ और कलावा पहनने पर हिंदू छात्रों की पिटाई की गई।

Published by
Mahak Singh

बिहार के मुंगेर जिले से एक गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है। आरोप है कि जिले के एक स्कूल में हिंदू छात्रों को जनेऊ और कलावा पहनने पर प्रताड़ित किया गया। दो महिला शिक्षिकाएं सुनीता कुमारी (फिजिकल टीचर) और श्वेता प्रिया (लाइब्रेरी टीचर) पर आरोप लगा है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे ईसाई समुदाय से हैं। NHRC ने मामले में संज्ञान लिया है।

बताया जा रहा है कि घटना मंगलवार, 13 मई 2025 को हुई जब पीटी क्लास के दौरान लगभग 30 छात्र जनेऊ और कलावा पहनकर आए थे। शिक्षिकाओं ने पहले छात्रों को डांटा और फिर उनकी पिटाई की। जब छात्रों ने यह बात अपने अभिभावकों को बताई, तो गुरुवार, 15 मई को गुस्साए माता-पिता स्कूल पहुंच गए और जमकर हंगामा किया। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने मामले में अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया और स्कूल प्रिंसिपल ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

अभिभावकों ने दावा किया है कि यह घटना हिंदू धार्मिक प्रतीकों को निशाना बनाने की एक साजिश का हिस्सा है। वहीं, शिक्षिकाओं का कहना है कि उन्होंने स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से यह कदम उठाया। घटना की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने जांच शुरू कर दी है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) ने इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी है। इस बीच, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने मामले का संज्ञान लिया है। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के अंतर्गत आयोग के माननीय सदस्य प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता में पीठ ने इस पर संज्ञान लेते हुए बिहार के मुंगेर के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। नोटिस में निर्देश दिया गया है कि वे इस मामले में तत्काल जांच शुरू करें, प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी (FIR) दर्ज करें, और 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करें।

इसके साथ ही यह भी निर्देशित किया गया है कि कार्रवाई रिपोर्ट की एक प्रति आयोग के ईमेल bench-mpk@gov.in पर भी भेजी जाए। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि शिकायत में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया बच्चों के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन प्रतीत होते हैं। आयोग की ओर से मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच की अपेक्षा की जा रही है।

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