धर्म सेतु की पुनर्स्थापना: ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय चेतना का नया अध्याय
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

धर्म सेतु की पुनर्स्थापना: ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय चेतना का नया अध्याय

22 अप्रैल 2025 का दिन भारतीय इतिहास में एक और काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया।

by स्वामी विशालानन्द
May 21, 2025, 02:31 pm IST
in भारत
Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

22 अप्रैल 2025 का दिन भारतीय इतिहास में एक और काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र, जो आमतौर पर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वादियों के लिए जाना जाता है, उस दिन एक घृणित आतंकी कृत्य का साक्षी बना। कुछ पर्यटक, जो अपने परिवारों के साथ छुट्टियाँ मनाने आए थे, उन्हें उनके धर्म के आधार पर चिन्हित कर, बेरहमी से मार दिया गया। आतंकियों ने पहले पुरुष पर्यटकों को अलग किया, उनसे उनका धर्म पूछा, और फिर उन्हें गोली मार दी।

यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की दृष्टि से एक गंभीर चुनौती थी, बल्कि इससे भी अधिक — यह भारत की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष आत्मा पर सीधा प्रहार था। यह उसी मानसिकता की उपज थी, जिसने विभाजन के समय लाखों निर्दोषों को मौत के घाट उतारा, और जो आज भी भारत की बहुलतावादी चेतना से डरती है। इन हत्याओं के पीछे जो अधर्म छिपा है, वह आधुनिक भारत के लिए एक स्पष्ट और अस्वीकार्य चेतावनी है।

लेकिन भारत, केवल आघातों का देश नहीं है। वह प्रतिकारों का देश भी है — संतुलित, मर्यादित और धर्मोचित उत्तरों का। यही कारण है कि जब यह वीभत्स घटना हुई, तो भारतीय सेना ने उसे केवल एक आतंकी हमले के रूप में नहीं देखा, बल्कि उसे एक धर्म-नैतिक युद्ध के रूप में ग्रहण किया। इसके कुछ ही दिनों बाद, रक्षा बलों ने जिस सुनियोजित और मर्यादित तरीके से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, उसने इस बात को सिद्ध किया कि भारत की शक्ति केवल प्रतिशोध नहीं, बल्कि धर्म की पुनर्स्थापना का माध्यम है।

रामायण के कुछ प्रसंग हमें बार-बार यह सिखाते हैं कि युद्ध अंतिम उपाय होता है — तब जब अधर्म हर नीति को ठुकरा देता है, जब संवाद का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। श्रीराम ने रावण को अनेक अवसर दिए। अंगद को दूत बनाकर भेजा, हनुमान को नीति प्रस्ताव लेकर भेजा। पर जब रावण अड़ा रहा, जब उसने धर्म के विरुद्ध अहंकार को चुन लिया — तब श्रीराम ने धनुष उठाया। यह युद्ध नहीं, धर्म की रक्षा का यज्ञ था।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए। यह भारतीय सेना की सजगता, संतुलन और संकल्प का प्रतीक था। इस ऑपरेशन में केवल आतंकियों को ही लक्ष्य बनाया गया — आम नागरिकों को क्षति न पहुँचे, यह सुनिश्चित किया गया। यह वही मर्यादा है, जो हमें श्रीराम से विरासत में मिली है — जहां शक्ति, सेवा के अधीन होती है, और पराक्रम, विवेक के अधीन।

आधुनिक भारत में जब-जब धर्म और अधर्म की रेखाएं धुंधली होती दिखती हैं, रामायण हमारे लिए दिशासूचक बनती है। आज भी, जब हम आतंक और उग्रवाद की जटिलताओं से जूझ रहे हैं, हमें यह स्मरण रखना होगा कि धर्म का अर्थ केवल पूजा-पद्धति नहीं है। धर्म का अर्थ है-न्याय, मर्यादा, सहअस्तित्व और करुणा। और अधर्म का अर्थ है — अंधता, हिंसा, भय और असहिष्णुता।

पहलगाम की घटना किसी युद्ध की शुरुआत नहीं थी, वह अधर्म की एक बार फिर उभरी हुई आकृति थी। लेकिन इसका उत्तर देना केवल सरकार या सेना का कार्य नहीं है। यह भारत के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है — उस गिलहरी की तरह, जो रामसेतु में कंकड़ और रेत के कण जोड़ती है। आज हम सभी को उस गिलहरी की भूमिका निभानी है — चाहे वह सामाजिक सौहार्द बनाए रखना हो, सत्य की पक्षधरता हो या शांति के नाम पर कायरता का प्रतिरोध।

रामायण में बना सेतु केवल पत्थरों का पुल नहीं था, वह धर्म और आदर्शों का प्रतीक था। यह पुल न सिर्फ़ लंका तक पहुंचने का मार्ग था, बल्कि यह धर्म के पथ पर अग्रसर होने का संकेत भी था। जब श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त की, तो उन्होंने उसे अपने अधीन नहीं किया, बल्कि उसे विभीषण को सौंप दिया। यही भारत की सैन्य नीति का मूल है — भारत युद्ध जीतने के लिए नहीं, बल्कि धर्म की स्थापना के लिए संघर्ष करता है। वह भूमि विस्तार की नहीं, स्थायित्व और सम्मान की कामना करता है। उसका उद्देश्य अधीनता नहीं, बल्कि गरिमा की स्थापना है।

इसी नीति का उदाहरण 1971 के बांग्लादेश युद्ध में भी देखने को मिलता है। जब भारत ने मुक्ति वाहिनी के साथ मिलकर पाकिस्तान की सेना को हराया, तो उस भूमि को भारत में मिलाने की बजाय बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्वीकार किया गया। भारत ने वहां की मुझीबनगर सरकार को सत्ता सौंपी, यह दिखाते हुए कि भारत का उद्देश्य विजय नहीं, स्वतंत्रता और सम्मान की स्थापना है।

आज जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से आतंकियों को करारा उत्तर दिया, तो यह केवल सैन्य विजय नहीं थी। यह उस ‘धर्म सेतु’ का निर्माण था, जो पुनः यह स्पष्ट करता है कि भारत किसी का विनाश नहीं चाहता, लेकिन अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है — परंतु मर्यादा के भीतर रहकर।

रामधारी सिंह दिनकर ने यह बहुत ही यथार्थ लिखा-

“सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है,
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है।”

भारत की सहनशीलता उसकी कमजोरी नहीं है। भारत की चुप्पी उसकी लाचारी नहीं है। जब भी समय आया है, इस राष्ट्र ने अपनी वीरता को धर्म के साथ जोड़कर दिखाया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसका नवीनतम उदाहरण है।

पर प्रश्न यह भी है कि क्या हम केवल सेना पर निर्भर रहेंगे? क्या आम नागरिक की कोई भूमिका नहीं? क्या भारत का युवा वर्ग केवल सोशल मीडिया पर रोष प्रकट कर कर्तव्य से मुक्त हो सकता है? उत्तर स्पष्ट है- नहीं।

हमें वीर अंगद की तरह अडिग होना होगा, वीर हनुमान की तरह मर्यादित पराक्रम को आत्मसात करना होगा, और उस गिलहरी की तरह एक-एक रेत का कण और कंकड़ जोड़कर धर्म सेतु का निर्माण करना होगा। यह केवल सेना का नहीं, यह समाज का युद्ध है — एक ऐसा युद्ध जिसमें हमारा हर कर्तव्य, हर नैतिक निर्णय, एक ईंट बन सकता है उस पुल की, जो भारत को सहिष्णुता और सुरक्षा के द्वार तक ले जाएगा।

आज भारत फिर से एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। पहलगाम की घटना ने हमें झकझोरा है, और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने हमें आत्मविश्वास दिया है। अब यह आवश्यक है कि हम केवल प्रतिक्रिया तक सीमित न रहें — हम पुनः निर्माण करें, चेतना का, साहस का और धर्म का।

पूज्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ने ठीक ही कहा है-

“जिसकी जैसी बनी भूमिका, उसको आज निभाना है,
गिद्ध, गिलहरी, वानर, भालू सा जौहर दिखलाना है।”

जब किसी राष्ट्र का नेतृत्व ऐसे हाथों में हो, जो केवल राजनीतिक सत्ता नहीं बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का संवाहक हो, तब उसके साथ एकात्म होना ही राष्ट्रधर्म बन जाता है। ऐसे समय में संशय, आलोचना या निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर उस दिशा में समर्पण ही राष्ट्र की सच्ची सेवा होती है।

ऐसा नेतृत्व केवल शासन नहीं करता — वह समाज की अंतःचेतना को छूता है, उसे जाग्रत करता है, और जनमानस को आत्मिक स्तर पर एक सूत्र में बाँधता है। यह नेतृत्व महज़ नीतियों का निर्धारण नहीं करता, वह युगबोध रचता है।

तुलसीदास जी ‘रामचरितमानस’ में धर्मनिष्ठ शासक की भूमिका का चित्रण करते हुए लिखते हैं-

“जे नर रहहिं धरम कर लेखा। होहिं सकल भूतन्ह के लेखा॥”

(अर्थात: जो पुरुष धर्म के अनुसार जीवन जीते हैं, वे सभी प्राणियों के लिए आधार बन जाते हैं।)

ऐसा नेतृत्व समय की आवश्यकताओं का ही नहीं, युग की चेतना का निर्माण करता है। और उस युग में राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा ही सच्चा विवेक बन जाती है।

आज यह भूमिका हमारी है। यह युद्ध भले रणभूमि पर न हो, परंतु हमारी आत्मा की भूमि पर अवश्य है। यह लेख एक लेख नहीं, एक आह्वान है- धर्म सेतु के निर्माण में, अपनी भूमिका निभाने का।

Topics: ऑपरेशन सिंदूरOperation Sindoorभारत की सेनाआतंकवाद के विरुद्ध भारतपहलगाम आतंकी हमलाPahalgam Terror Attack
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Operation Sindoor: बेनकाब हुआ चीन, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ऐसे कर रहा था अपने दोस्त पाक की मदद

भारत में फिर बैन हुए पाकिस्तानी कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स

एस जयशंकर क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ

पहलगाम आतंकी हमले की क्वाड देशों ने की कड़ी निंदा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन

अफगान सरकार के उप-प्रवक्ता हमदुल्लाह फितरत

Taliban ने जिन्ना के देश का झूठ किया उजागर, फर्जी बयान देने वाले General Munir की हुई फजीहत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies