सोनीपत, (हि.स.)। अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। उन्होंने महिला सैन्य अधिकारियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। मंगलवार को पुलिस ने दो दिन की रिमांड की मांग की थी, किए जाने के बावजूद कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संवैधानिक सीमाएं और विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारियों पर भी विमर्श खड़ा कर रहा है।
मंगलवार को पुलिस ने अली खान महमूदाबाद को सोनीपत की अदालत में पेश किया। पुलिस ने उनकी सात दिन की और रिमांड मांगी, ताकि बरामद किए गए लैपटॉप और मोबाइल के डेटा की जांच पूरी की जा सके और पासपोर्ट व बैंक लेन-देन विवरण की पुष्टि की जा सके। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने रिमांड की मांग खारिज कर दी और प्रोफेसर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि आगे रिमांड की आवश्यकता हो तो पुलिस नया आवेदन दाखिल कर सकती है। साथ ही 60 दिन में चालान दाखिल करने की हिदायत दी गई।
दूसरी ओर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस बीआर गवई की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग के बाद मामले में सुनवाई की संभावना है। अली खान के खिलाफ महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया और गांव जठेड़ी के सरपंच योगेश द्वारा शिकायतें दर्ज कराई गई थीं।
प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी पोस्ट में महिला सैन्य अधिकारियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की भूमिका पर आपत्तिजनक टिप्पणियांकीं। इन पोस्टों में भारतीय सेना और सरकार पर नरसंहार, अमानवीयता और पाखंड जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया।
सरपंच योगेश की शिकायत में यह भी कहा गया कि एक चर्चा के दौरान प्रोफेसर ने कहा कि महिला अधिकारियों को केवल दिखावे के लिए आगे लाया जा रहा है और यह सब धर्म विशेष के खिलाफ षड्यंत्र का हिस्सा है। इन आरोपों के आधार पर प्रोफेसर के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस व प्रशासन के साथ सहयोग की बात कही है और आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
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