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देहरादून में 16वें वित्त आयोग की बैठक, राज्य की दीर्घकालिक योजनाओं पर अहम चर्चा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया व अन्य सदस्यों के साथ बैठक में राज्य की वित्तीय स्थिति, चुनौतियों और विकास आवश्यकताओं पर राज्य का पक्ष विस्तार से रखा।

by उत्तराखंड ब्यूरो
May 19, 2025, 05:15 pm IST
in उत्तराखंड
बैठक

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया व अन्य सदस्यों के साथ बैठक में राज्य की वित्तीय स्थिति, चुनौतियों और विकास आवश्यकताओं पर राज्य का पक्ष विस्तार से रखा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की “ईको सर्विस कॉस्ट” के दृष्टिगत “पर्यावरण संघवाद” की भावना के अनुरूप उचित मुआवजा दिए जाने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने “कर-हस्तांतरण” में वन क्षेत्र के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत बढ़ाने का सुझाव दिया। राज्य में वनों के उचित प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए विशेष अनुदान पर भी विचार किया जाना चाहिए।

सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने केंद्र सरकार एवं राज्यों के मध्य बेहतर वित्तीय समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित विशेष बैठक में उपस्थित वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया, आयोग के सदस्य श्रीमती ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, डॉ. सौम्या कांति घोष, सचिव श्री ऋत्विक पांडे, संयुक्त सचिव श्री केके मिश्रा का उत्तराखंड राज्य स्थापना के इस रजत जयंती वर्ष में देवभूमि उत्तराखंड आगमन पर स्वागत किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखण्ड ने अन्य क्षेत्रों की भांति वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य की स्थापना के बाद राज्य को अपने आधारभूत ढांचे के विकास के लिए बाहरी ऋणों पर निर्भर रहना पड़ा। राज्य ने जहां विकास के विभिन्न मानदंडों के आधार पर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, वहीं बजट का आकार भी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2023-24 की एसडीजी सूचकांक रिपोर्ट में उत्तराखंड सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले राज्यों में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।प्रदेश की बेरोजगारी दर में रिकॉर्ड 4.4 प्रतिशत की कमी आई है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में 11.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 70 प्रतिशत से अधिक भाग वनों से आच्छादित होने के कारण दो बड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। जहां एक ओर वनों के संरक्षण के लिए अधिक व्यय करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर वन क्षेत्र में किसी अन्य विकास गतिविधि पर रोक लगने के कारण ‘इको सर्विस कॉस्ट’ भी वहन करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने ‘पर्यावरण संघवाद’ की भावना के अनुरूप उचित मुआवजा देने, ‘कर-हस्तांतरण’ में वन क्षेत्र के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत बढ़ाने तथा राज्य में वनों के उचित प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए विशेष अनुदान देने का अनुरोध किया।

वर्ष 2010 में ’’इंडस्ट्रियल कन्सेसनल पैकेज’’ के खत्म होने के पश्चात हम ’’लोकेशनल डिस्एडवान्टेज’’ की पूर्ति करने में कठिनाई आ रही है।कठिन भौगोलिक परिस्थितियों एवं अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बहुत सीमित है।इसके कारण इन क्षेत्रों के लिए विशेष बजट प्रावधान करना पड़ता है। स्मार्ट क्लास, क्लस्टर स्कूल और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही टेली मेडिसिन, विशेष एम्बुलेंस सेवा और विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील राज्य है। इन आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने तथा राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए राज्य को निरंतर वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने राज्य में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए सारा एवं आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्थापित ‘भागीरथ ऐप’ की जानकारी देते हुए जल संरक्षण के इन विशिष्ट प्रयासों के लिए विशेष अनुदान पर विचार करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के फलस्वरूप लागू होने वाले नियमों के कारण उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन की संभावनाएं सीमित हो गई हैं। जल विद्युत क्षेत्र, विभिन्न कारणों से आर्थिकी में अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहा है, जिससे राजस्व के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी भारी क्षति हो रही है। मुख्यमंत्री ने प्रभावित परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति की राशि और संबंधित मैकेनिज्म निर्धारित किये जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ स्थलों में आने वाली ’’फ्लोटिंग पाप्यूलेशन’’ के कारण परिवहन, पेयजल, स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन एवं अन्य सेवाओं के लिए भी अतिरिक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना पड़ता है। जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राज्य में इन्फ्रास्टक्चर के निर्माण में अधिक लागत को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता प्रदान की जाए।

मुख्यमंत्री ने ’’कर-हस्तांतरण’’ के अंतर्गत राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानदंडों में टैक्स प्रयास के साथ-साथ ’’राजकोषीय अनुशासन’’ को भी ’’डिवोल्यूशन’’ फॉर्मूले में एक घटक के रूप में सम्मिलित किया जाना चाहिए। ’’रेवेन्यू डेफिसिट ग्रान्ट’’ के स्थान पर ’’रेवन्यू नीड ग्रान्ट’’ को लागू करना युक्तिसंगत रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की भौगोलिक संरचना की त्रिविमीयता (थ्री डाइमेनसियेलीटी) के कारण पूंजीगत व्यय तथा अनुरक्षण लागत दोनों ही अधिक होते हैं। राज्य में क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात भी कम है।

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य हर क्षेत्र में तेजी विकास कर रहा है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है। बेरोजगारी को कम करने की दिशा में भी राज्य में अच्छा कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत जिन चुनौतियों का सामना उत्तराखण्ड समेत अन्य पर्वतीय राज्य कर रहे हैं, उनके समाधान के लिए व्यापक स्तर पर विचार विमर्श किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 16वें वित्त आयोग द्वारा 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने राज्य की विभिन्न चुनौतियों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया। बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, एल. फैनई, आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिवगण और अपर सचिवगण उपस्थित थे।

Topics: uttarakhand newsमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामीDehradun News in HindiLatest Dehradun News in HindiUttarakhand Latest Newsfinance commissionसीएम धामी
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