
ध्रुव सी. कटोच
पाकिस्तान की विदेश नीति में आतंकवाद एक प्रमुख आयाम बना रहा है, फिर भी भारत ने हमेशा संयमित प्रतिक्रिया दी और रक्षात्मक रणनीति का पालन किया है, लेकिन पाकिस्तान पर इसका कोई असर नहीं पड़ा, न ही उसकी उत्पाती गतिविधियां बंद हुईं। 13 दिसंबर, 2001 को भारत की संसद पर, 24 सितंबर, 2002 को गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर पर और 26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमले, पिछले ढाई दशक में भारत के विरुद्ध की गईं सबसे घातक आतंकवादी घटनाएं हैं।
बदला भारत
सितंबर 2016 में भारत की प्रतिक्रिया एक बदले तेवर में सामने आई। सर्जिकल स्ट्राइक के तहत नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार उरी स्थित आतंकवाद की पनाहगाहों को ध्वस्त करते हुए भारत ने कड़ा संदेश दिया कि अब आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उसके बाद भी आतंकवादी घटनाएं पूरी तरह नहीं सकीं। फरवरी 2019 में, पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान मारे गए। इस पर भारत ने एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में करीब सौ किलोमीटर अंदर जाकर बालाकोट स्थित आतंकी शिविर के परखच्चे उड़ा दिए।
शांत हवा में घोला जहर
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश में तेजी से शांति स्थापित हो रही थी। आतंकवादी गतिविधियों में कमी होने से घाटी में पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी। ऐसा लगने लगा कि दशकों से रक्तिम वातावरण में घुट रहा जम्मू-कश्मीर खुली हवा में सांस लेने लगा है। तभी 22 अप्रैल, 2025 को आतंकवादियों ने पहलगाम में निर्दोष और निहत्थे पर्यटकों को बेरहमी से गोलियों से भून दिया। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने धर्म पूछकर 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस कायराना, बर्बर और घृणित हरकत से पूरा देश आक्रोशित हो उठा। पूरा देश चाह रहा था कि पाकिस्तान को इसका करारा जवाब दिया जाए।
सिखाया सबक
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को अपने बिहार दौरे के दौरान देश और दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया कि इस जघन्य अपराध के अपराधियों को दंडित किया जाएगा। 6-7 मई, 2025 की आधी रात को हुए ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के मुख्यालयों और बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया। यह हमला राष्ट्रीय शक्ति के सभी घटकों का उपयोग करते हुए एक संयुक्त अंतर-सेवा अभियान था, जिसमें भारतीय नौसेना पश्चिमी महासागर में मुस्तैदी से तैनात थी। भारतीय वायु सेना ने अपने हवाई प्लेटफार्म से स्टैंड ऑफ स्वदेशी हथियार प्रणाली का उपयोग करके आतंक के ठिकानों पर सही निशाना लगाते हुए उन्हें ध्वस्त कर दिया। यह 2016 और 2019 जैसी कार्रवाई से अलग थी, संदेश स्पष्ट था, पाकिस्तान का कोई भी हिस्सा भारत के जवाबी हमले से बच नहीं सकता।
पहले चरण में भारत ने आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत अपने लक्ष्यों का चयन कर आतंकियों के ठिकानों को ही निशाना बनाया। पड़ोसी के सैन्य प्रतिष्ठानों पर निशाना नहीं साधा। बहावलपुर (जैश मुख्यालय) और मुरीदके (लश्कर मुख्यालय) स्थित लक्ष्यों पर किए हमले इस बात के संकेत थे कि पाकिस्तान में आतंकवादियों ने जहां भी अपने ठिकाने बनाए हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा। इस कार्रवाई के बाद भारत ने अपना रुख साफ किया कि उसकी लड़ाई आतंक के खिलाफ है, जो आतंकवादियों को खत्म करने पर लक्षित है, फिर भी अगर पाकिस्तान ने किसी तरह का आक्रमण किया तो वह उसका मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। पाकिस्तान ने पलटवार किया, लेकिन उसके हर हमले को नाकाम कर दिया गया। भारत पाकिस्तान के हर ड्रोन, हर मिसाइल को नष्ट करने में सौ फीसदी सफल रहा।
भारत ने 8-9 मई की मध्य रात पाकिस्तान को जवाब देते हुए उसके कई सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। इनमें रफीकी, नूर खान (चक लाला), मुरीदके और रहीम यार खान स्थित पाकिस्तानी वायु सेना के ठिकाने शामिल थे, जिन्हें काफी नुकसान पहुंचा। भारत के जवाबी हमले में पाकिस्तान के लॉजिस्टिक हब और वायु रक्षा प्रतिष्ठानों को भी काफी नुकसान पहुंचा। रावलपिंडी के पास पाकिस्तान के रणनीतिक योजना डिवीजन संबंधी स्थानों पर भी निशाना लगाया गया। इन सबके जरिए एक ही रणनीतिक संदेश दिया जा रहा था कि भारत पाकिस्तान के महत्वपूर्ण कमांड ढांचे को भी तहस-नहस कर सकता है। उसकी परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की गीदड़भभकी भी भारत के आक्रामक रुख के सामने धूल चाटने लगी। इससे घबराया पाकिस्तान युद्ध विराम का रास्ता चुनने के लिए मजबूर हो गया। भारत ने अपनी सहमति देते हुए शर्त रखी कि अगर पाकिस्तान ने किसी भी प्रकार का उल्लंघन किया तो उसे कड़ी प्रतिक्रिया झेलनी होगी।
आतंकियों के जनाजे में सैन्य अधिकारी
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में रह रहे 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया। दुनिया उस समय दंग रह गई, जब उन आतंकवादियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी शामिल हुए। इनमें प्रमुख हैं— लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह, HI (M)– कोर कमांडर IV कोर, लाहौर, मेजर जनरल राव इमरान सतराज, ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर, कमांडर 15 हाई मैक Bde, लाहौर (पूर्व 11 इन्फेंट्री डिवीजन / 4 कोर), डॉ. उस्मान अनवर–IGP पंजाब। यही नहीं, अनेक पाकिस्तानी नेताओं ने भी उन आतंकवादियों के प्रति दुख जताया। पंजाब की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य मलिक सोहैब अहमद भेरथ जैसे नेता तो आतंकवादियों के मारे जाने पर सदमे में चले गए।
भारत-पाक के बीच के इन अभियानों का विश्लेषण करने पर यह साफ दिखाई देता है कि भारत की रक्षा प्रणाली पाकिस्तान के मुकाबले बहुत ज्यादा सशक्त है। पाकिस्तान के पास वायु रक्षा प्रणाली के कवच के रूप में चीनी एचक्यू-9 (हांगक्यूआई-9 / रेड बैनर-9) था। लेकिन, वह भारतीय सेना के हमले को बेअसर नहीं कर पाया।
फिलहाल ऑपरेशन सिंदूर को अस्थायी रूप से रोका गया है, अगर पाकिस्तान भविष्य में भारत पर हमला करता है तो यह पुन: सक्रिय हो जाएगा। 12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जब भारतीय मिसाइलों और ड्रोनों ने पाकिस्तान में उन ठिकानों पर हमला किया, तो न केवल आतंकवादी संगठनों की इमारतें हिल गईं, बल्कि उनका साहस भी डगमगा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकवादी स्थल वैश्विक आतंकवाद के विश्वविद्यालय थे। दुनिया में हुए सभी बड़े आतंकवादी हमले, जिनमें 9/11 या भारत में हुए बड़े आतंकवादी हमले शामिल हैं, किसी न किसी तरह इन आतंकवादी स्थलों से जुड़े हुए हैं।” उन्होंने राष्ट्रीय नीति की नई रूपरेखा प्रस्तुत की। किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। परमाणु बम की धमकी बर्दाश्त नहीं करेंगे और आतंकवादियों और उनके संरक्षकों के बीच अंतर नहीं करेंगे।
भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों को भी गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह पाकिस्तान और ऐसे देशों के लिए स्पष्ट संदेश है जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं और उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ करते हैं। भारत ने पाकिस्तान के संबंध में कुछ शर्तें भी रखी हैं, बातचीत और आतंकवाद साथ- साथ नहीं चल सकते। कोई बातचीत होगी तो सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान द्वारा पाक अधिक्रांत कश्मीर पर होगी। सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल अपनी विदेश नीति के साधन के रूप में करना बंद न कर दे। आने वाला समय ही बताएगा कि कल कैसा होगा। पर आज यह आतंकवाद के विरुद्ध भारत के राजनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठान के नए संकल्प का प्रतीक है। एक नया युग शुरू हो रहा है। एक नया सिद्धांत लागू हो रहा है। एक नया भारत उभर रहा है। यह सब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से जन्मा है, क्योंकि न्याय की स्थापना हुई है।
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