लखनऊ। विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ तथा पत्रकारिता व जनसंचार विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘लोकमंगल की पत्रकारिता एवं राष्ट्रधर्म’ विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय ने कहा कि पत्रकारिता में जवाबदेही का होना बहुत आवश्यक है। बिना जवाबदेही के किया समाचार लेखन व प्रसारण मात्र समाचार का सम्प्रेषण है, पत्रकारिता नहीं। आज भी कई बार विश्वविद्यालय में व्याप्त समस्याओं की जानकारी हमें समाचार पत्रों के माध्यम से होती है, उस समस्या को दूर करने का कार्य किया जाता है। यही कारण है कि बीते कुछ वर्षों में एलयू में कई प्रकार के विकास कार्य हुये जो शहर और प्रदेश के लिये गौरव का विषय बने। विदेशी छात्रों का कैम्पस में पंजीकरण बढ़ा है। इससे एलयू की मजबूत होती साख का पता चलता है।
सुभाष जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कहा कि पत्रकार एक योद्धा होता है। वह देश और समाज के विकास कार्य में अपने जीवन को गलाता है। आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जी पौराणिक काल में एक आदर्श पत्रकार की भूमिका निभाते हुये संदेश का सम्प्रेषण करते थे। मगर उन्हें एक विदूषक की भांति फिल्मों में प्रचारित किया गया। इस विषय पर प्रकाश डालते हुये उन्होंने 80 के दशक में पंजाब के हालातों का वर्णन करते हुये कहा कि पंजाब केसरी समाचार पत्र के सम्पादक लाला जगतनारायण ने उस समय अपनी पत्रकारिता से राष्ट्रधर्म का मान रखते हुये समाज में व्याप्त आतंक का विरोध किया। उनकी हत्या कर दी गयी लेकिन उन्होंने जो पत्रकारिता के क्षेत्र में जो कार्य किया वह वंदनीय है।
उन्होंने दैनिक जागरण के सम्पादक रहे नरेंद्र मोहन जी की पत्रकारिता का वर्णन करते हुये कहा कि वे पत्रकारिता के धर्म का पूर्ण पालन करते थे। साथ ही, उन्होंने गीता प्रेस गोरखपुर के हनुमान प्रसाद पोद्दार जी का उल्लेख करते हुये कहा कि सम्मान और धन कमाने की लालसा को त्यागकर उन्होंने जिस प्रकार अपनी लेखनी से धर्म का प्रचार एवं प्रसार किया वह अविस्मरणीय है।
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