रक्षा

नाग MK-2: भारत की स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल जो दुश्मनों के लिए बनेगी काल

नाग MK-2, DRDO द्वारा विकसित तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल, 4-7 किमी रेंज और फायर एंड फॉर्गेट तकनीक के साथ दुश्मन टैंकों को तबाह करने में सक्षम।

Published by
Kuldeep singh

भारत अपने दुश्मनों को चकित और चिंतित करने में पीछे नहीं है। पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत सरकार नाग MK-2 मिसाइल को सेना में शामिल करने जा रही है। नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल पहले से ही सेना में सेवा दे रही है और अब इसका नेक्स्ट वर्जन भी आ गया है। पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से निर्मित नाग MK-2 आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण पेश करता है। ये तीसरी पीढ़ी की ATGM है। आइए जानते हैं इसक खासियतों के बारे में।

‘नाग MK-2’

नाग MK-2 मिसाइल नाग मिसाइल का ही उन्नत संस्करण है, जिसे भारत के रक्षा विकास और अनुसंधान संगठन (DRDO) ने बनाया है। फायर एंड फॉर्गेट के सिद्धांत पर काम करने वाली यह एटीजीएम इतनी एडवांस है कि इसे गाइड करने की आवश्यकता नहीं होती है। फायर करने के बाद यह अपने आप से दुश्मन के टैंक या अन्य पोस्ट का पता करके उसे तबाह कर देती है। इसमें इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर लगा होता है, जो कि खुद से अपने टार्गेट की पहचान कर लेता है।

खास बात ये भी है कि ये किसी भी मौसम में मार करने में सक्षम है। अगर इसकी मारक रेंज की बात करें तो ये 4 से 7 किमी होती है, यानि कि इतने दायरे में यह अपने टार्गेट को ढूंढ कर तबाह करने की काबिलयत रखता है। यही कारण है कि नाग MK-2 से सबसे अधिक पाकिस्तान को दिक्कत होने वाली है क्योंकि, सीमा के 7 किलोमीटर के दायरे में यह मिसाइल पाकिस्तान के टैंकों का काल बन सकती है।

विदेशी हथियारों पर निर्भरता होगी खत्म

नाग MK-2 के भारतीय सेना के बेड़े में शामिल होने के बाद, जहां सामरिक क्षेत्र में भारत को मजबूती मिलेगी, वहीं विदेशी हथियारों पर भारत की निर्भरता भी कम होगी। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस प्रकार से भारत ने अपने स्वदेशी हथियारों से पाकिस्तान को करारी चोट दी। उससे चीन और तुर्की का भी घमंड टूट गया। भारत की तकनीक का लोहा दुनिया मानने लगी है।

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