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भारत के चिकन नेक के बगल में बनने जा रहा चालाक चीन का एयरबेस! काठमांडू क्या करने गए थे बीजिंग के अफसर!

भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियां प्रस्तावित हवाईबेस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं

Published by
Alok Goswami

बांग्लादेश में जब से मोहम्मद यूनुस की अगुआई में अंतरिम सरकार बनी है तब से ही वह कट्टर इस्लामी देश बनकर भारत के विरुद्ध नित नए षड्यंत्र रचता आ रहा है। वहां हिन्दुओं के विरुद्ध सुनियोजित दमनचक्र चल ही रहा है। उदारवादी इस्लामी जमातों, दलों और संस्थाओं के पर कतरे जा चुके हैं। पूर्व अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनावों से दूर रखने की घोषणा की जा चुकी है। अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पिछले दिनों चिकन नेक को लेकर भारत विरोधी बयान दिया था। उसके बाद से ही संभवत: कम्युनिस्ट विस्तारवादी चीन की उस पर नजर बढ़ती जा रही है। हैरान करने वाली खबर यह है कि चालाक चीन ने मोहम्मद को अपने प्रभाव में लेकर चिकन नेक से ठीक सटकर अपना सैन्य हवाई अड्डा स्थापित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इस सिलसिले में पिछले दिनों बीजिंग से कुछ अफसर आए थे और वे लालमोनिरहाट को प्रस्तावित एयरबेस के तौर पर चिन्हित कर गए हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अगर यह बना तो यह एयरबेस भारत की दृष्टि से रणनीतिक रूप से चुनौती पैदा करने वाला होगा। ध्यान रहे कि चिकन नेक गलियारा ही उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है।

इतना ही नहीं, बांग्लादेश की कट्टर इस्लामवादी अंतरिम सरकार ने चीन के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया है, जिसमें सैन्य ढांचे के निर्माण और हथियारों की आपूर्ति शामिल है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस एयरबेस पर करीबी नजर रख रही हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इसका उपयोग केवल नागरिक उड़ानों और ट्रेनिंग के लिए होगा या इसमें सैन्य गतिविधियां भी शामिल होंगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की इसमें दिलचस्पी इसी लिए है कि ये एक सैन्य हवाईबेस की तरह काम करेगा। शुरू में भले ही नागरिक हवाईअड्डे के तौर पर पेश किया जाए, लेकिन वक्त बीतने के साथ इसे कम्युनिस्ट ड्रैगन इसका सैन्य प्रयोग करने से बाज नहीं आएगा।

यह एयरबेस भारत की दृष्टि से रणनीतिक रूप से चुनौती पैदा करने वाला होगा। चिकन नेक गलियारा ही उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है

गत दिनों चीन के कुछ अधिकारियों के नेपाल की राजधानी काठमांडू का दौरा करने से क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भी कई तरह की बातें चल रही हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग मोहम्मद यूनुस जैसे नौसिखिया राजनेता से अपने मन की चीजें करवा सकते हैं। चीन यूं ​ही किसी देश के साथ अपने संबंध मधुर नहीं बनाता है। इन दिनों नेपाल और बांग्लादेश दोनों के साथ चीन जिस प्रकार की कूटनीति चला रहा है, उसके संकेत भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाले ही हैं। भारत संभावित रणनीतिक चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करे, यही वक्त की मांग है।

इस दृष्टि से भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियां प्रस्तावित हवाईबेस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। त्रिशक्ति कोर और हासीमारा एयरबेस में तैनात राफेल लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं। भारत सरकार की ओर से स्पष्ट कहा जा चुका है कि बांग्लादेश को अपनी सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने का अधिकार है, लेकिन इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होना चाहिए।

भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिकन नेक गलियारे से सटकर बांग्लादेश में चीन का बनाया जाने वाला एयरबेस वहां से भारत की निकटता की वजह से ही खड़ा होगा, इसमें संदेह नहीं है। भारत के एक ओर नेपाल तो दूसरी ओर बांग्लादेश में चीन अपनी उपस्थिति बढ़ाता जा रहा है। इस दृष्टि से भारत पहले ही सतर्क है, अब उसे अपनी रणनीतिक तैयारियों को और पुख्ता करना होगा।

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