इन दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मिडल ईस्ट की यात्रा पर हैं। उनका हर प्रकार से स्वागत किया जा रहा है। जहाँ कतर ने उन्हें एक विमान उपहार में दिया है तो वहीं यूएई में उनका स्वागत मुस्लिम लड़कियों ने किया। और स्वागत भी ऐसा वैसा नहीं, बाकायदा नृत्य करके। नृत्य भी ऐसा नहीं कि जिसमें सिर ढका हुआ हो, नृत्य ऐसा था जिसमें लड़कियां अपने बाल खोलकर सिर हिला रही हैं।
इसे कुछ लोग खलीजी नृत्य कह रहे हैं, तो कई लोग इसे यूएई का Al-Alyaa dance बता रहे हैं। कुछ इन दोनों ही नृत्यों को एक ही बता रहे हैं। कुछ इसकी परंपरा इस्लाम के आने से पहले से बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे यूएई की परंपरा बता रहे हैं। यह युद्ध को बताने वाला युद्ध होता है, जिसमें आगे तलवार लेकर आदमी खड़े होते हैं और पीछे लड़कियां।
इस वीडियो में दिख रहा है कि सफेद वस्त्रों में लड़कियां राष्ट्रपति ट्रम्प का स्वागत कर रही हैं।
‼️🇺🇸🇦🇪 Donald #Trump was welcomed in Abu Dhabi with the traditional “hair dance.”
The Khaliji dance is common in the Persian Gulf countries, including the UAE. The name of the dance translates from Arabic as “Gulf.” It is performed by women during receptions and celebrations. pic.twitter.com/cwJepIIVbM
— Maimunka News (@MaimunkaNews) May 15, 2025
लोग कह रहे हैं कि ये वहाँ का कल्चर है। कुछ लोगों का कहना है कि यह इस्लाम के आने से पहले का है, तो कुछ का कहना है कि यह इस्लाम के आने के बाद का है। परंतु यह काफी पुरानी परंपरा है और इसका इतिहास भी मिलता है।
मगर इस नाच के सामने आने से कट्टरपंथी इस्लामी लोग कुपित हैं और वे गुस्से में यूएई की बुराई कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर अनापशनाप लिख रहे हैं। तेहरान में प्रोफेसर सैयद मोहम्मद मरंडी ने इसका वीडियो पोस्ट करके लिखा कि यह कितना शर्मिंदा करने वाला है, कितना दयनीय!
This is so embarrassing. So pathetic. pic.twitter.com/JX8Vqv7R81
— Seyed Mohammad Marandi (@s_m_marandi) May 15, 2025
पाकिस्तान के चौधरी शहजाद गिल ने लिखा कि दुबई मे यह वही लोग हैं कि गैर-अरब मुस्लिमों को अपनी बेटियाँ नहीं देते हैं। और ट्रम्प के सामने लड़कियां दे रहे हैं।
ट्रम्प का स्वागत यूएई में हुआ और औरतों ने स्वागत किया। अरब ठीक नहीं कर रहे हैं।
جو دوبئی والے غیر عربی مسلمانوں کو اپنی عورتوں کے پاس بھی نہیں پھڑکنے دیتے، وہی عربی ٹرمپ کو اپنی بچیاں پیش کرتے ہوئے۔۔۔😡😡
“یو اے ای میں ٹرمپ کا استقبال ! خواتین نے راہِ میں زلفیں بچھائیں
عربوں کا بس نہیں چل رہا ورنہ سب کچھ قدموں میں بچھا دیں۔۔۔۔۔ pic.twitter.com/EIO0LUWMq3— Ch.Shahzad Gill (@ShahzadGill202) May 15, 2025
पाकिस्तान के साथ दरअसल बहुत बड़ी समस्या है। पाकिस्तान का निर्माण मजहब के नाम पर हुआ है, इसलिए वह अपने आप को अपने मजहब का सबसे महत्वपूर्ण देश मानता है। परंतु इतना पाक मुल्क होने के बाद भी यह बहुत बड़ा अत्याचार उनपर होता है कि जहाँ से इस्लाम उपजा, उस जमीन के लोग उन्हें अपनी बेटियाँ निकाह में नहीं देते हैं।
चौधरी शहजाद गिल इससे बहुत दुखी हैं कि काफिर के सामने तो लड़कियां नाच रही हैं और हमें निकाह में भी नहीं देते! खैर! चौधरी शहजाद चूंकि पीटीआई के समर्थक हैं। अब पीटीआई के समर्थकों को Youthia कहा जाता है। इसका अर्थ होता है पीटीआई का ऐसा समर्थक, जो अपनी अक्ल इस्तेमाल नहीं करता है और झूठी खबरों को ही सच मानकर कुछ न कुछ टिप्पणी करता है। इस पर एक यूजर ने टिप्पणी की कि यह वहाँ का सांस्कृतिक नृत्य है, मगर Youthia इसे नहीं समझेंगे, जिन्हें हर मौके पर कुछ न कुछ बोलने की आदत होती है।
This is Al-Alyaa, a traditional Arab dance performed by young women during joyful occasions.
But unfortunately, Youthias are conditioned to mock and criticize everything, including cultures of others.— HussainMoona (@HussainMoona1) May 15, 2025
यदि हर कोई विरोध कर रहा है, तो भारत की सबा नकवी कैसे पीछे रह सकती थीं? भारत में प्रगतिशीलता की बात करने वाली सबा नकवी ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि इसका कुछ भी सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ रहा हो, आज यह सभी महिलाओं को नीचा दिखाने वाला है। मैं स्तब्ध हूँ!
Whatever this is and whatever sociological and historical context, today this looks crazily demeaning to all women. I’m stunned frankly https://t.co/npGb73vCJj
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) May 16, 2025
लोगों ने सबा नकवी को भी आईना दिखाते हुए पूछा कि यह हिजाब से तो कम ही अपमानजनक है। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ट्रम्प के सामने इस डांस को लेकर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुस्लिमों की आलोचना समझ से परे है। वे यह क्यों नहीं समझ रहे हैं कि हर जगह की संस्कृति अलग होती है और उन्हें दूसरी जगह के कल्चर का सम्मान करना चाहिए!
दरअसल यह नृत्य उस जमीन का उस समय का नृत्य है, जब इस्लाम वहाँ पर नहीं आया था। एक यूजर ने लिखा कि यह नृत्य इस्लाम से पहले Bedouin संस्कृति का हिस्सा है, जो अरब क्षेत्र में व्यापक रूप से फैली हुई थी। यह धार्मिक से अधिक सांस्कृतिक है।
Al Ayyala predates Islam and is rooted in the pre-Islamic Bedouin culture of the Arabian Peninsula.
It is a traditional dance that reflects the heritage and values of the Emirati people, often performed during cultural, social, and diplomatic events.
The dance does not have a…— Gson (@gsemark) May 15, 2025
इस्लाम जहाँ गया वहाँ की स्थानीय संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त हो गईं। इस्लाम में जो कट्टरपंथी तत्व हैं, उन्होनें इस्लाम से पहले की उन सांस्कृतिक पहचानों को समाप्त करने का कार्य किया जो दूसरी संस्कृति से जुड़ी थीं। भारत में भी ऐसा हम देख सकते हैं।
क्या यही कारण है कि भारत से लेकर ईरान तक कट्टरपंथी मजहबी तत्व इस नृत्य से बौखला गए हैं कि यह इस्लाम से पहले उस भूमि पर जो संस्कृति थी उसका प्रतिनिधित्व कर रहा है? क्या उन्हें इस बात का डर है कि अभी तक जमीन की संस्कृति जीवित है? क्या उनके मन में उस संस्कृति के प्रति घृणा है, जो उनकी संस्कृति से भिन्न है?
ऐसे प्रश्न इसलिए उठ रहे हैं कि मिडल ईस्ट के लोग यह लगातार सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि यह उनकी पुरानी संस्कृति है और भारत और पाकिस्तान जैसे देशों के कट्टरपंथी मजहबी लोग उनकी संस्कृति का आदर करें। परंतु भारत में स्थानीय संस्कृति और स्थानीय पसमांदा मुस्लिमों को नकारने वाले कट्टर मजहबी लोग क्या यह समझ पाएंगे?”
टिप्पणियाँ