मार्क कार्नी
विवादित पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो के चलते पाकिस्तान की राह पर चलते हुए दिख रहे कनाडा में अब भारतीयों के लिए अच्छे दिनों की आहट सुनी जा रही है। वहां के नए प्रधानमंत्री जिस तरीके से अलगाववादी वायरस से पीडि़त पंजाबी नेताओं से दूरी बनाई और निर्विवाद नेताओं को पहल दी उससे सकारात्मक संकेत मिलने लगे हैं।
पंजाबी मूल के चार मंत्रियों को कनाडा में मंत्री बनाए जाने से भारत के साथ बेहतर रिश्तों की उम्मीद जगी है। दरअसल इस वक्त भारत और कनाडा के रिश्ते अपने सबसे निचले स्तर पर हैं लेकिन कार्नी के मंत्रिमंडल और पंजाबियों की दी गई अहमियत से अब रिश्तों को नई उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जा रहा है।
खास बात यह है कि जो मंत्री पंजाबी मूल के हैं और अब कार्नी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं वो खालिस्तानी विचारधारा से पूरी तरह से दूर हैं। कनाडा में रह रहे पंजाबी समुदाय के लोगों का मानना है कि कनाडा की सरकार में खालिस्तानी विचारधारा को दरकिनार कर नए संबंधों की शुरूआत करने की बेहतर पहल है। कनाडा में अनीता आनंद, मनिंदर सिद्धू, रूबी सहोता और रणदीप सराय को मंत्री बनाया गया है।
विदेश मंत्री अनिता आनंद ने तो गीता पर हाथ रखकर मंत्री पद की सौगंध खाई जिससे साफ है कि अबकी बार खालिस्तानियों को भाव नहीं मिलने वाला है। मनिंदर सिद्धू भी कट्टरपंथी बयानबाजी से दूर रहे हैं। पार्टी की तरफ से दोनों को कैबनिट मंत्री देकर यह संदेश दिया गया है कि आगे नफरत की बात कम अच्छे संबंधों को शुरू किया जायेगा।
हालांकि लिबरल पार्टी में कई ऐसे सांसद जीते हैं जो काफी सीनियर हैं जो कई बार जीत चुके हैं। इसमें चाहे वह हरजीत सिंह सज्जन हो या फिर सुख धालीवाल लेकिन उनकी कट्टरपंथी व अलगाववादी विचारधारा को देखकर कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने उनको मंत्रालय में स्थान न देकर इशारा कर दिया है कि कनाडा की धरती अब कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थन नहीं करेगी। इसलिए कनाडा में बसे पंजाबी समुदाय को भारत के साथ बेहतर रिश्तों की उम्मीद है।
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