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जिन्ना के देश के आका Turkiye की जबरदस्त फजीहत; उत्पादों का बहिष्कार, उड़ानों पर पाबंदी, टिकट और होटल बुकिंग रद्द

तुर्किए ने ड्रोन और अन्य हथियारों से लदे छह विमान भी जिन्ना के देश को भेजे थे। सब जानते हैं कि उन ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किया था

Published by
Alok Goswami

भारत सरकार और भारत की जनता ने आपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए की जिन्ना के देश की सक्रिय तौर पर मदद करने की हरकत को गंभीरता से लिया है। तुर्किए भारत में अपना अरबों रुपए का सामान बेचता है, बड़ी संख्या में भारतीय तुर्किए में छुट्टियां मनाने जाते हैं जिससे तुर्किए की एयरलाइन और पर्यटन उद्योग को मोटा पैसा मिलता है। लेकिन अब भारत के लोग तुर्किए की असली चाल समझ रहे हैं और एक बड़ा अभियान शुरू हुआ है जिसमें तुर्किए से जुड़ी हर चीज का बहिष्कार किया जा रहा है। पाकिस्‍तान के साथ खड़े होने की उसे अब कीमत चुकानी पड़ेगी। इधर ताजा खबर के अनुसार, भारत सरकार ने तुर्किए के चैनल टीआरटी पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि इसने जिन्ना के देश की ‘बहादुरी’ साबित करने वाली फर्जी रिपोर्ट दिखाई थीं और दुनिया को ऐसा आभास दिया था कि आपरेशन सिंदूर में भारत की दाल नहीं गल रही है।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की मदद करने को तुर्की ने आपरेशन सिंदूर के दौरान अपना पानी का एक लड़ाकू जहाज कराची बंदरगाह पहुंचाया था। रिपोर्ट ये भी हैं कि तुर्किए ने ड्रोन और अन्य हथियारों से लदे छह विमान भी जिन्ना के देश को भेजे थे। सब जानते हैं कि उन ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किया था।

तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन मुस्लिम ब्रदरहुड के मुगालते में आगे भी जिन्ना के आतंकी देश के साथ खड़े रहने की बात कर चुके हैं।

लेकिन अब नए भारत ने पाकिस्तान के सहायकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई शुरू की है ताकि उन्हें पता चले कि अब हम सॉफ्ट स्टेट नहीं हैं। तुर्किए के चैनल के अलावा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सरकारी दुष्प्रचार तंत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ और ‘शिन्हुआ न्यूज’ के एक्स खाते भी प्रतिबंधित किए गए हैं। जहां तक टीआरटी वर्ल्ड का सवाल है तो तुर्किए का यह चैनल ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत विरोधी दुष्प्रचार फैलाता आ रहा है। फर्जी खबरों के अलावा यह भ्रामक जानकारियां जारी कर रहा था जो सच से कोसों दूर थीं। तुक्रिए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने हर मुद्दे पर जिन्ना के देश के साथ खड़े रहने की नीति अपनाई हुई है, फिर वह मुद्दा कश्मीर हो या आतंकवाद। एर्दोगन के बयान भारत विरोधी और पाकिस्तान का आधारहीन समर्थन करने वाले रहे हैं।

तुर्किए की ऐसी हरकतों को देखते हुए भारत की ओर से उसका बहिष्कार करने की नीति काफी पहले से चल रही है और अब इस अभियान ने गति पकड़ ली है। भारत के सामान्य नागरिकों ने तुर्किए के अलावा अजरबैजान जाने की अपनी टिकटें रद्द करवा दी हैं। भारत की अधिकांश पर्यटन एजेंसियों ने भी भारत प्रथम की दृष्टि रखते हुए तुर्किए और अजरबैजान के लिए हुईं एडवांस बुकिंग रद्द किया है। कश्मीर घाटी में 22 अप्रैल को आतंकी हमले के बाद भारत के इसका बदला लेने की संभावना दिखने के बाद से ही इस्लामी जगत का खलीफा बनने का सपना पाले तुर्किए ने लपककर जिन्ना के कंगाल देश को गोद में बिठा लिया ​था।

फौरन पाकिस्तान के लिए एक युद्धपोत रवाना किया। अपने लड़ाकू जहाजों में हथियार, गोलाबारूद और अन्य उपकरण भेजे। पाकिस्तान ने इन सब चीजों का भारत पर भरपूर प्रयोग किया हालांकि भारत ने सभी को नाकाम कर दिया था। तुर्किए के सारे ड्रोन बेअसर कर दिए गए। उधर अजरबैजान की सरकार भी पाकिस्तान के समर्थन में कूद पड़ी। तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन मुस्लिम ब्रदरहुड के मुगालते में आगे भी जिन्ना के आतंकी देश के साथ खड़े रहने की बात कर चुके हैं। वे वहां “भाईचारा” बढ़ा रहे हैं। जिन्ना के देश को संबोधित उनके शब्द थे, ”अंकारा अच्छे और खराब वक्तों में साथ खड़ा होगा।” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने अपने आका का धन्यवाद करते हुए एक्स पर पोस्ट में लिखा था, ”दमदार समर्थन और ठोस एकजुटता” ​के लिए धन्यवाद”।

इसकी प्रतिक्रिया में भारत की एक पर्यटन कंपनी ने ट्रैवल एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों से तुर्किए और अजरबैजान तभी जाने की अपील की जब जाना बहुत आवश्यक हो। कंपनी की ओर से कहा गया है कि तुर्किए तथा अजरबैजान का पाकिस्तान के पाले में खड़े होना अस्वीकार है। इसलिए भारत के लोगों को इन दोनों देशों को अपना पैसा नहीं देना चाहिए। जैसा पहले बताया, तुर्किए, चीन तथा अजरबैजान की टिकटें और होटल की बुकिंग आदि निरस्त कर दी गई हैं।

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