कनाडा की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया जब प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अपने मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल की अनीता आनंद को देश का नया विदेश मंत्री चुना। अनीता आनंद इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार में भी कैबिनेट मंत्रालय का हिस्सा रह चुकी हैं। अनीता के इस प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ये अहम जिम्मेदारी सौंपी है। विदेश मंत्री के पद पर नियुक्ति के दौरान अनीता ने पवित्र हिंदू ग्रंथ ‘भगवद गीता’ पर हाथ रखकर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
अनीता आनंद का ओथ सेरेमनी के दौरान ‘भगवद गीता’ पर हाथ रखकर शपथ लेना उनके सांस्कृतिक जुड़ाव और मूल्यों का प्रतीक को दर्शा रहा था। शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं कनाडा की विदेश मंत्री के रूप में चुने जाने पर गर्व महसूस करती हूं। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ मिलकर कार्य करना और एक बेहतर तथा सुरक्षित विश्व के निर्माण में योगदान देना मेरे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं हमारी टीम के साथ इस दिशा में प्रतिबद्ध होकर कार्य करूंगी।’ यह फेरबदल कनाडा की विदेश नीति में एक नए दृष्टिकोण की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें अनुभव, विविधता और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता दी गई है।
I am honoured to be named Canada’s Minister of Foreign Affairs. I look forward to working with Prime Minister Mark Carney and our team to build a safer, fairer world and deliver for Canadians. pic.twitter.com/NpPqyah9k3
— Anita Anand (@AnitaAnandMP) May 13, 2025
पीएम कार्नी के मंत्रिमंडल में आधे पद पर महिलाओं की तैनाती
कनाडा की नई सरकार में बड़ा बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारतीय मूल की अनीता आनंद को देश की नई विदेश मंत्री नियुक्त किया है। अनीता ने मेलोनी जोली की जगह यह पद संभाला है, जबकि जोली को अब उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। यह फेरबदल कार्नी के उस संकल्प को दर्शाता है जिसमें वे एक अधिक समावेशी और प्रभावशाली सरकार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्नी के मंत्रिमंडल की एक खास बात यह है कि इसमें आधी सदस्य महिलाएं हैं, जो लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। अपने बयान में पीएम कार्नी ने कहा, “हमारा मंत्रिमंडल कनाडा की जनता की इच्छाओं और ज़रूरतों के अनुसार परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम एक ऐसी सरकार देना चाहते हैं जो लोगों की आकांक्षाओं को समझे और उन पर काम करे।”
अनीता का भारत से क्या है कनेक्शन?
अनीता आनंद भारतीय मूल की एक प्रमुख कनाडाई नेता हैं। उनके पिता तमिलनाडु से और मां पंजाब से ताल्लुक रखती हैं। अनीता आनंद का जन्म 1967 में नोवा स्कोटिया प्रांत में हुआ था। उनके माता-पिता दोनों पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। अनीता अपनी भारतीय विरासत को गर्व के साथ स्वीकार करती हैं। उन्होंने प्रवासी भारतीय दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर भारत से अपने गहरे संबंधों को सार्वजनिक रूप से साझा किया है।
2019 में पहली बार सांसद बनीं
अनीता आनंद ने कनाडा की राजनीति में एक मजबूत और स्थायी पहचान बनाई है। वह पहली बार 2019 में ओकविल से सांसद चुनी गईं थीं और तब से लगातार अपनी कार्यकुशलता और नेतृत्व क्षमता से सभी का ध्यान खींचती रही हैं।
2021 से 2023 तक रक्षामंत्री के रूप में काम किया
2021 से 2023 तक उन्होंने रक्षा मंत्री के रूप में देश की सुरक्षा नीतियों में अहम भूमिका निभाई, जबकि 2023 से 2024 तक ट्रेजरी बोर्ड की अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। 2025 के आम चुनाव में उन्होंने अपनी सीट एक बार फिर सुरक्षित रखी और प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की अल्पमत सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया। राजनीति में आने से पहले अनीता एक कानून विशेषज्ञ और टोरंटो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रही हैं।
मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने 343 में से 169 सीटें जीती
हाल ही में हुए कनाडा के आम चुनावों में मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने एक बार फिर सत्ता में वापसी की है। पार्टी ने 343 में से 169 सीटों पर जीत दर्ज की, हालांकि बहुमत के लिए आवश्यक 172 सीटों से वह महज तीन सीटें पीछे रह गई। इसके बावजूद लिबरल पार्टी ने अल्पमत सरकार का गठन किया और कार्नी को प्रधानमंत्री चुना गया। यह जीत कनाडा में लिबरल पार्टी की लगातार चौथी सरकार के रूप में दर्ज हुई है, जो पार्टी की स्थिर जनसमर्थन और संगठनात्मक मजबूती को दर्शाती है। इस नई सरकार में विविधता, अनुभव और युवा नेतृत्व का संतुलन देखने को मिल रहा है। इसी बदलाव के तहत भारतीय मूल की अनुभवी नेता अनीता आनंद को विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो सरकार की वैश्विक नीतियों को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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