मध्य प्रदेश में इस वक्त राज्य सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सांस्कृतिक अभ्युदय के संकल्प को पूरा करने के लिए मजबूती से कदम बढ़ा रही है। प्रदेश में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सनातन परम्परा के गौरव को संरक्षित करने और सहेजने के जहां पिछले वर्षों के दौरान अनेक निर्णय लिए गए और कई नवाचार हुए हैं, उसमें अब एक पहल ओर जुड़ने जा रही है, जिसके बारे में स्वयं मुख्यमंत्री ने मंगलवार को बताया।
दरअसल, मध्य प्रदेश में इन दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गोपालन से आर्थिक समृद्धि, गीता से सांस्कृतिक चेतना, श्रीकृष्ण पाथेय और श्रीराम वनगमन पथ से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते दिखाई दे रहे हैं। यहां सिंहस्थ भूमि के स्थायी आवंटन से उज्जैन में आम जन में उत्साह का वातावरण है तो ओंकारेश्वर में सर्वत्र हो रहा विकास समेत अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों को धाम और लोक का स्वरूप देकर मध्य प्रदेश शासन एवं प्रशासन द्वारा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण प्रदान करने का बड़ा कार्य किया जा रहा है। अब मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र भी देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए मिलकर काम करने आगे आया है। आनेवाले दिनों में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र दोनों राज्य मिलकर कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम करते नजर आएंगे।
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने मंत्रीपरिषद के सदस्यों के बीच जानकारी दी कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ रहा है। दोनों राज्यों द्वारा बाजीराव पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, अप्पाजी भोंसले इत्यादि के गौरवशाली अतीत की घटनाओं के इतिहास लेखन, दस्तावेज संकलन, डिजिटाइलिजेशन, मोढ़ी लिपि के संरक्षण, लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर के धार्मिक-प्रशासनिक अवदानों के संरक्षण के लिए कार्य करने पर सहमति हुई है।
उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में उज्जैन और ओंकारश्वर के ज्योतिर्लिंग तथा महाराष्ट्र के तीन ज्योतिर्लिंग का सर्किट विकसित करने पर दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी है। ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, घृष्णेश्वर को जोड़ एक धार्मिक कॉरिडोर बनेगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश द्वारा परस्पर समन्वय से आगामी दिनों में की जाने वाली सांस्कृतिक-धार्मिक व इतिहास केंद्रित गतिविधियों में प्रदेश के इन दोनों ही राज्य में व्यापक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमाएं दोनों राज्यों के बीच नौ जिलों में सीमा लगती है। इन जिलों में खरगोन, बड़वानी, बैतूल, खंडवा, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, अलीराजपुर और बुरहानपुर शामिल हैं। स्वभाविक है कि जब इन दोनों राज्यों के बीच एक धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से पांच प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के बीच एक सर्किट तैयार हो जाएगा तो जनसंख्यात्मक रूप में हजारों लोगों के लिए जहां रोजगार के नए अवसर खुल जाएंगे, तो वहीं धार्मिक एवं सांस्कृतिक यात्रा करनेवाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक बार की यात्रा के दौरान पांचों ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना एवं अपनी धार्मिक यात्रा करना आसान हो जाएगा।
फिलहाल मप्र की सरकार ने चित्रकूट सहित राम वन पथ गमन मार्ग के सभी प्रमुख स्थलों को विकसित करने के लिये पूरी कार्य-योजना बनाकर उसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का निर्णय लेकर उस पर काम करना शुरू कर दिया है। पूरे 1450 किलोमीटर की दूरी वाले राम वन पथ गमन मार्ग को प्रदेश के सांस्कृतिक पर्यटन के लिहाज से भव्य धार्मिक केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें कि प्रमुख तौर पर 23 प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जिनमें सतना, पन्ना, कटनी, अमरकंटक, शहडोल, उमरिया आदि जिलों को भी शामिल किया गया है।
इसके अतिरिक्त जहाँ-जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। महाकाल की नगरी उज्जैन को व्यवसाय, पर्यटन एवं विकास की राह में आगे बढ़ाने के मकसद से गत वर्ष से उज्जैन में विभिन्न सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं औद्योगिक आयोजन आरंभ कर दिए गए हैं। विक्रमोत्सव के अवसर पर विश्व की पहली “विक्रमादित्य वैदिक घड़ी’’ का शुभारंभ कर भारतीय काल गणना परम्परा का साक्षात्कार पूरी दुनिया को करा ही दिया गया है । वहीं, शासकीय कैलेण्डर में विक्रम संवत अंकित करना प्रारंभ हो चुका है। मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अभ्युदय के लिये मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा जो महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए, उनमें प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर हेलीकॉप्टर सेवाएँ प्रारंभ करना है ।
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