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उजागर हुए जिन्ना के देश की फौज के जिहादियों के साथ रिश्ते, बड़बोले प्रवक्ता चौधरी का अब्बू था अल कायदा का करीबी

बशीरुद्दीन पर यह आरोप लगाया गया था कि वह अल-कायदा के आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन से मिला था और उसने उसे परमाणु हथियारों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी सौंपी थी

Published by
Alok Goswami

जिन्ना के देश में पल रहे आतंकियों के विरुद्ध चलाए जा रहे भारत के आपरेशन सिंदूर के बाद तो अब पूरी दुनिया जान गई है कि ​कट्टर जिहादी देश की सरकार न सिर्फ फौज और और उसकी कुख्यात गुप्तचर संस्था आईएसआई के तलवे चाट रही है, बल्कि उसमें जिम्मेदार पदों ऐसे तत्व भी हैं जिनका अल कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय जिहादी संगठन से तार जुड़ा है। ताजा रिपोर्ट में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इससे पता चलता है कि अल कायदा की सोच किस कदर जिन्ना के देश की फौज का दिमाग चला रही है। पिछले दिनों टेलीविजन पर दिखाई देते रहे पाकिस्तानी सेना के बड़बोले और झूठ फैलाने में माहिर प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी की शक्ल से पता चलता था कि उसके दिमाग में कुछ और है, जबान पर कुछ और।

अब रिपोर्ट सामने आई है कि इसी चौधरी का अब्बू सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद प्रतिबंधित आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़ा हुआ था। दिखाने को एक परमाणु वैज्ञानिक बशीरुद्दीन पर यह आरोप लगाया गया था कि वह अल-कायदा के आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन से मिला था और उसने उसे परमाणु हथियारों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी सौंपी थी। बाद में अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में उसके गुप्त ठिकाने में ढूंढकर हलाक कर दिया था।

चौधरी (बाएं) का अब्बू सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद (दाएं) प्रतिबंधित आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़ा हुआ था

इसी बशीरुद्दीन पर संयुक्त राष्ट्र तथा अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। चौधरी के इसी अब्बू पर मजहबी कट्टरपंथी संगठन ‘उम्माह तामीर-ए-नौ’ के लिए पैसा जुटाने का भी दोषी पाया गया था। ‘उम्माह तामीर-ए-नौ’ संगठन 1999 में खड़ा किया गया था। दिखाने के लिए यह ‘तालिबान-शासित अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के लिए काम’ करता था, लेकिन असल में कट्टरपंथी संगठन का जिहादी अमला आतंकी कामों में लगा था। ​अमेरिका ने इस संगठन का पूरा कच्चा चिट्ठा खंगालने के बाद, 2001 में प्रतिबंधित कर दिया था।

जिन्ना के देश की फौज का प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी को इस पद पर दिसंबर 2022 में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने बिठाया था। उसे आईएसपीआर (इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस) का महानिदेशक बनाया गया था। ध्यान रहे, असीम मुनीर ने उसे पद देने से उसकी पहले पूरी जानकारी इकट्इी की होगी और तब जाना होगा कि अल कायदा के करीबी रहे पिता की संतान चौधरी भारत के प्रति कितनी विषाक्त सोच रखता होगा और वही इस पद के काबिल है। चौधरी पाकिस्तानी सेना की इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर का पहला अधिकारी है जो प्रवक्ता बनाया गया है। बेशक, उसके अब्बू के अल कायदा से संबंध जिन्ना के देश के फौजी कमांडर की नजर में सबसे बड़ी खूबी रहे होंगे।

लेकिन आखिरकार सच दुनिया के सामने आ ही गया है और इसके सामने आने के बाद स्वाभाविक रूप से पाकिस्तानी फौज, सरकार और खासकर असीम मुनीर पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। भारत ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी इस मामले पर गंभीर नजर है। वजह यह है कि पाकिस्तानी फौज का चरित्र दोगला रहा है और उसके प्रवक्ता का ऐसा होना उसके दोगलेपन की कलई खोलने वाला है।

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