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ऑपरेशन सिंदूर : ‘सिंदूर’ की शक्ति और हमले की रणनीति

पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ देकर कई संदेश दिए गए हैं। उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि सिंदूर केवल शृंगार ही नहीं, नारी के शौर्य, सामर्थ्य, शक्ति और आत्मविश्वास का भी प्रतीक होता है

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रमेश शर्मा

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुआ आतंकी हमला पिछले सब आतंकी हमलों से अलग और क्रूरतम था। इस हमले में आतंकियों ने हिंदुओं को उनकी पत्नियों और परिवार की महिलाओं के सामने गोली मारी थी। विवश महिलाओं ने अपने पति और स्वजनों का प्राणान्त होते देखा था। आतंकियों ने इस हमले से भारतीय समाज जीवन को तीन संदेश दिए थे। पहला, हिंदू- मुसलमान के बीच विभाजक रेखा गहरी करना, दूसरा, हिंदुओं को भयभीत करना और तीसरा हिंदू महिलाओं का मनोबल तोड़ना था। अपने पतियों के शव के सामने रोती-बिलखती महिलाओं से यह कहना भी साधारण नहीं था कि ‘जाकर मोदी को बता देना।’

रमेश शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह चुनौती स्वीकार की और आतंकवाद पर प्रहार के लिए ‘सिंदूर’ नाम ही चुना। ऑपरेशन के लिए सेना को खुली छूट देकर इस का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखने का सुझाव स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था। आतंकियों को उत्तर देने के लिए भारत सरकार की रणनीति भी पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए पिछले दोनों हमलों से अलग थी।

भारतीय परंपरा और संस्कृति में नारी और सिंदूर के बीच अटूट संबंध होता है। सिंदूर केवल नारी के शृंगार का प्रतीक नहीं है। शृंगार के साथ सिंदूर नारी के शौर्य, सामर्थ्य, शक्ति के साथ आत्मविश्वास का भी प्रतीक होता है। सिंदूर की गरिमा से भारतीय वांग्मय भरा पड़ा है। सिंदूर की रक्षा के लिए हुए संघर्ष की कथाएं भी पुराणों में हैं। सिंदूर का रंग ऊषाकाल में सूर्य का होता है। जिस प्रकार सूर्य तिमिर का नाश करता है, उसी प्रकार स्त्री के माथे का सिंदूर पति और परिवार के अनिष्ट का नाश करता है। इस तथ्य की विस्तार से व्याख्या आदि शंकराचार्य की रचना ‘सौन्दर्य लहरी’ में मिलती है-

तनोतु क्षेमं नास्तव वदनसौन्दर्यलहरि
परिवाहस्रोतः सरणिरिव सीमन्तसरनिः।
वहन्ति सिन्दूरं प्रबलकबरीभारतिम-
द्विषां बृंदाइर्बांडक्लीवमिव नवीनार्ककिरणम्॥

इस श्लोक में सिंदूर को प्रतीक मानकर नारी की पराशक्ति का वर्णन किया गया है। बालों का वर्णन किया गया है। इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती। स्त्री के घने और काले बाल, जो बीच में से अलग किए गए हैं, इससे शीश की एक रेखा बनती है। इस रेखा के अंत में, जो उनके माथे के केंद्र का शीर्ष भाग है, वह सिंदूर से सुशोभित हैं। माथे के शीर्ष पर सिंदूर लगाना शुभता का प्रतीक है। श्लोक कहता है कि यह विभाजन बाढ़ के पानी से भरी हुई धारा का प्रतीक है।

जिस प्रकार बाढ़ की उत्पत्ति का आधार प्रकृति है, उसी प्रकार आत्मबोध देने वाले सौन्दर्य का सागर सिंदूर है। (लहरें केवल किनारे पर दिखाई देती हैं, महासागर के केंद्र में नहीं। ठीक उसी प्रकार सिंदूर केवल माथे पर दिखाई देता है, जो नारी के सामर्थ्य और महिमामय सौन्दर्य का अंश मात्र है और मानवीय समझ से परे भी)। सिंदूर के दोनों ओर घने काले बाल होते हैं। मानों काली घटाओं के बीच सूर्य उदित हो रहा हो। सिंदूर की शुभता ही जीवन को प्रकाशमान बनाती है और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति देती है।

‘मन को शांति मिली’

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए करनाल (हरियाणा) के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ को लेकर कहा कि वह ऑपरेशन के नाम से अधिक जुड़ा हुआ महसूस करती हैं। उन्होंने कहा, भले ही मेरे पति जीवित नहीं हैं, लेकिन उनकी आत्मा यहीं है, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से उनकी आत्मा को शांति मिली होगी। अभी तो मेरी शादी हुई थी और आतंकियों ने मेरी जिंदगी छीन ली। उन्होंने कहा कि पहलगाम में जिन लोगों ने निर्दोष लोगों की जान ली, उनके परिवार को तहस-नहस किया, उन्हें कड़ी सजा मिली है। सेना की इस कार्रवाई से मुझे शांति मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेना का धन्यवाद। लेकिन भारतीय सेना की कार्रवाई यहीं नहीं रुकनी चाहिए। आतंकवाद का पूरी तरह से खात्मा होना चाहिए ताकि भविष्य में किसी को मेरेे जैसी पीड़ा और सदमे से न गुजरना पड़े।

आतंकवाद पर प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रहार बिल्कुल सिंदूर की व्यापक महत्ता के अनुरूप रहा। आतंकियों ने यदि हिंदू नारियों के माथे से सिंदूर पोंछकर उनका मनोबल तोड़ने का प्रयास किया तो मोदी जी ने आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए प्रहार का नाम ‘सिंदूर’ रखा। सिंदूर महिला के माथे पर बालों की सीमा में रहता है। ठीक उसी प्रकार भारतीय सेना अपनी सीमा में रहकर सौ किलोमीटर तक प्रहार करके नौ आतंकवादी अड्डे मटियामेट कर दिए। इसमें भारतीय सेना की महिला कमांडरों को ही आगे किया गया। मोदी जी की योजना यहीं न रुकी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग के लिये भी महिला कमांडरों को आगे किया।

भारत सरकार और भारतीय सेना के इस अभियान की तीसरी विशेषता जाति-मत-पंथ से ऊपर राष्ट्र को सर्वोपरि मानने का सिद्धांत स्थापित करना है। आतंकियों ने पहचान पूछकर भारत में विभाजन की रेखा गहरी करने का कुटिल षड्यंत्र किया था। लेकिन यह भारतीय सेना, सरकार और मोदी की रणनीति थी कि संपूर्ण भारत का समर्थन सरकार और सेना के साथ रहा। ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग के लिये जो दो महिला अधिकारी सामने आईं, उनमें एक मुस्लिम समाज से थी। यह भी आतंकियों के मुंह पर करारा तमाचा था।

दुस्साहस को किया चित

पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत ने बदले की भावना से ‘आपरेशन सिंदूर’ हीं किया है। इसने आतंकी संगठनों द्वारा आगे भी हमले करने के स्पष्ट संकेतों और सभी हितधारकों से परामर्श के बाद यह कदम उठाया है। इस ऑपरेशन में सेना के तीनों अंगों ने उच्च स्तरीय तालमेल दिखाया है

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