अदनान हुसैन
ब्रिटेन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस चल रही है। दरअसल, ब्रिटेन में ब्लेसफेमी अर्थात बेअदबी को लेकर कोई कानून नहीं है। मगर फिर भी ब्रिटेन में एक व्यक्ति को कुरआन जलाने के मामले में सजा मिली है। इसे लेकर वहाँ के लोग गुस्सा हैं। लोगों का कहना है कि जब ब्रिटेन में कोई ब्लेसफेमी का कानून ही नहीं है, तो फिर किस आधार पर सजा दी जा सकती है।
सांसद रूपर्ट लो ने एक्स पर पोस्ट लिखी कि यह ब्रिटेन है। यहाँ पर ब्लासफेमी कानून नहीं है और हमें यह कानून नहीं चाहिए। कुरआन जलाना कोई अपराध नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है हम किसी को भी अफेन्ड कर सकते हैं और इसमें इस्लाम भी शामिल है। जितने भी राजनेता हैं, उनके भीतर यह कहने का साहस होना चाहिए।
इस पर सांसद अदनान हुसैन ने लिखा कि रूपर्ट यह कहना चाहते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है मुसलमानों को अफेन्ड करने के अधिकार की रक्षा करना।
इस पर रूपर्ट ने उत्तर देते हुए कहा कि “हाँ, मैं मुस्लिमों को अफेन्ड करने के अधिकार की रक्षा करना चाहता हूँ। किसी को भी अफेन्ड करने के अधिकार की रक्षा करना चाहता हूँ।
इस पर अदनान ने लिखा कि यह बहुत चिंताजनक है, रूपर्ट कि आप अल्पसंख्यक समुदाय को अपमानित करने के अधिकार की वकालत करने में इतनी ऊर्जा लगाते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा ही कुछ सीमाओं और सुरक्षा के साथ आती है और आप निश्चित ही मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दी गई सुरक्षा से खुश नहीं है।
इस पर लोगों का कहना है कि यूके में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, तो फिर इस्लाम की आलोचना के साथ अलग व्यवहार किया जाता है? अगर मुस्लिमों को सड़कों पर अपने मजहब का प्रचार करने का अधिकार है, और वे यदि यह कह सकते हैं कि उनका धर्म गलत है और केवल और केवल इस्लाम ही सच्चा मजहब है, तो फिर निश्चित ही ईसाई, यहूदी और अन्य किसी को भी अपना मत रखने का अधिकार है।
फिर भी, पश्चिम में, जो कोई भी इस्लाम, इस्लामवादियों या मुसलमानों की आलोचना करने की हिम्मत करता है, उसे अक्सर अस्पष्ट और नकली गढ़े हुए खतरनाक शब्द ‘इस्लामोफोबिया’ के तहत गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता है। मुझे उम्मीद है कि इससे मेरी बात स्पष्ट हो गई होगी: एक वास्तविक स्वतंत्र समाज में सभी को सजा के डर के बिना किसी भी धर्म पर सवाल उठाने या आलोचना करने का अधिकार होना चाहिए।
हालांकि, अदनान ने कहा कि वे आलोचना पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं, मगर एक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ क्रूसेड करना अलग बात है। अर्थात अदनान का कहना है कि ब्रिटेन में मुस्लिमों के प्रति क्रूसेड हो रहा है।
एक यूजर ने लिखा कि यह चिंताजनक है। किसी भी धर्म को अफेन्ड करने की स्वतंत्रता एक बहुत ही सुसंगत सामान्य कानूनी अधिकार है और उच्च न्यायालय इसकी रक्षा करता है। यह देखकर आश्चर्य होता है कि एक सांसद इससे असहज है और संभवतः असली बेअदबी के प्रावधानों के साथ वे सहज हैं।“
इस पर अदनान ने बहुत ही अजीब तर्क दिया कि वे नस्लवाद के साथ असहज हैं।
इस पर कम्यूनिटी नोट्स देखने योग्य हैं। एक्स पर कम्यूनिटी नोट्स में लिखा कि मजहब की आलोचना करना नस्लवाद नहीं है क्योंकि मजहब नस्ल नहीं है।
दरअसल ब्रिटेन में जिस प्रकार से मुस्लिमों को मजहब के नाम पर विशेषाधिकार मिले हुए हैं, और वे अपनी आलोचना को इस्लामोफोबिया से जोड़ते हैं, उससे लोगों में गुस्सा है। लोग कह रहे हैं कि अदनान हुसैन, जो एक स्वतंत्र सांसद हैं, वह ब्रिटेन में शरिया कानून लाना चाहते हैं।
हालांकि, अदनान यह तो चाहते हैं कि इस्लाम की कोई आलोचना न करे, परंतु यह भी वे चाहते हैं कि इजरायल को जलाते हैं। jewish chronicle के अनुसार सांसद अदनान ने गाजा को लेकर एक रैली में कहा था “इजरायल जलाते हैं!”
उन्होंने कहा था कि हर वह कॉर्परेशन, जो इज़रायल का समर्थन करता है, हमें उसकी फंडिंग रोकनी होगी।
हुसैन को लेकर वहाँ पर लगातार विवाद हो रहा है और सोशल मीडिया पर यह एक लंबी बहस है। परंतु एक मूल प्रश्न फिर भी रहता है कि इस्लाम के अनुयायी यह अपना अधिकार मानते हैं कि वे किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश जाकर यह प्रचार कर सकें कि उनका ही मत एकमात्र सच्चा मत है और दूसरा कोई नहीं। मगर यदि इसका कोई विरोध करे तो अल्पसंख्यकों के विशेषाधिकार की बात करते हैं। और यही इस्लामिस्ट हैं जो अपने मुल्कों में किसी भी दूसरे धर्म के प्रचार की अनुमति नहीं देते हैं।
ब्रिटेन में अब यह बहस चरम पर है।
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