भारत ने तबाह किए आतंकियों के ठिकाने
पहलगाम में आतंकी हमला होने के फौरन बाद से ही यह स्पष्ट था कि भारत इसका जवाब देगा। देश के 140 करोड़ लोगों में आक्रोश था। आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या की थी। महिलाओं के सामने उनके पतियों को मारा गया। उनका सिंदूर उजाड़ा गया। इसलिए ही इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। स्पष्ट था इरादा इस ऑपरेशन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा था, ‘हम आतंकियों को मिट्टी में मिला देंगे। हम उनको ऐसा सबक सिखाएंगे, जो कल्पना से भी परे होगा।’
भारत ने पाकिस्तान को यह बताने की कोशिश की है कि तुम आतंक के सौदागर हो और पाकिस्तान आतंकियों का गढ़ है। इसी उद्देश्य के साथ पाकिस्तान को सिर्फ जवाब दिया। भारत ने पाकिस्तान के फौजी ठिकाने पर हमला नहीं किया था। किसी भी आम नागरिक को निशाना नहीं बनाया था। सिर्फ आतंकियों के अड्डों पर हमला किया था। लेकिन पाकिस्तानी सेना एलओसी पर पिछले 12 दिनों से गोलीबारी कर रही है, इसका माकूल जवाब भारतीय सेना द्वारा उन्हें दिया जा रहा है। अभी तब मामला नियंत्रण में है। यदि पाकिस्तान आगे कुछ करता है तो उसका जवाब देने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है।
8 मई को उसने हद पार कर दी और जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में मिसाइल व ड्रोन से हमले किए, जिसे भारतीय सैन्य ने विफल कर दिया। पाकिस्तान हर बार की तरह झूठ और प्रपंच फैला रहा है। पाकिस्तान का मीडिया वहां की सेना मिलकर यह दुष्प्रचार करने में भी जुटा रहा कि उसने भारत के कई विमान गिरा दिए, कई भारतीय सैनिक मारे गए। पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर रहा था कि अपने आवाम को शांत कर सके। साथ ही पाकिस्तान वैश्विक मंच पर खुद को पीड़ित बताने का प्रयास करता रहा। उसने यह झूठ फैलाया कि भारत के हमले में मस्जिद में औरतें और बच्चियां मारी गईं।
कमाल की बात है कि औरतों को जब दिन में मस्जिद जाने की इजाजत नहीं हैं तो रात को मस्जिद में क्यों जाएंगी? पाकिस्तान के मदरसों में मौलाना, मौलवी आतंकियों को तैयार करते हैं। पाकिस्तान यहीं नहीं रुकने वाला वह यह चिल्लाता रहेगा कि हम ही पीड़ित हैं। पूरे विश्व में जहां भी आतंक फैलता है वह पाकिस्तान की जमीन से ही फैलता है। उदाहरण के तौर पर ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका पर 9/11 का हमला किया था। उस आतंकी को पाकिस्तान ने अपने सैन्य कैंप के पास पनाह दी हुई थी। एबटाबाद में वह सैन्य कैंप के पास रहता था, जहां अमेरिका नेऑपरेशन कर उसे मारा। उन दिनों पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बहुत अच्छे रिश्ते थे, बावजूद इसके पाकिस्तान ने उसे अपने यहां पनाह दी थी। क्या ऐसा संभव है कि ओसामा जैसा आतंकी पाकिस्तान में रहा रहा हो और पाकिस्तानी सेना को इस बारे में पता न हो?
इस बार सारे देश फिर चाहे वह अमेरिका हो, इस्राएल या हो, रूस, सभी भारत के साथ खड़े हैं। सभी ने कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए। तुर्किये और चीन पाकिस्तान के साथ खड़े दिखते हैं, लेकिन यदि युद्ध की स्थितियां बनने पर ख्कुल कर कोई भी पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर नहीं आने वाला। चीन सबसे पहले व्यापार और अपनी अर्थव्यवस्था देखता है। तुर्किये मुस्लिम देश होने के नाते पाकिस्तान के साथ आता भी है तो सिर्फ उसे हथियार ही मुहैया कराएगा। वह अपने सैनिकों को पाकिस्तान की तरफ से लड़ने के लिए उतारेगा, ऐसा होना संभव नहीं है। वह जानता है कि यदि उसने ऐसा किया तो इस्राएल से जवाब देगा। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) में पाकिस्तान पहले से ही कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ा हुआ है। हालांकि ओआईसी कई बार कहता है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत की जाए। आतंकियों से बात करने की जरूरत क्या है? हां आतंकी घुटने टेक देंगे, तब बात करेंगे।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ कह रहे थे कि अगर भारत और कोई कार्रवाई नहीं करता है तो हम भी कुछ नहीं करेंगे। लेकिन क्या किया? पाकिस्तान ने भारत को युद्ध में घसीटने की कोशिश की है। पाकिस्तान की फौज पंजाबियों की है। पाकिस्तान को वहां की सेना चलाती है। वहां के सिंधी, बलोच और पठानों में इस बात को लेकर पहले से आक्रोश है कि पाकिस्तानी फौज उन जुल्म करती आई है। पाकिस्तान उसके यहां हो रहे आतंरिक विद्रोह से ही नहीं निबट पा रहा है, ऊपर से भारत पर हमला कर अपनी मुश्किलें बढ़ा ली है। पाकिस्तानी सेना खुले युद्ध का विकल्प चुना है। जो उसके कई टुकड़े कर देगा। पाकिस्तान चार भागों बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध में बंट जाएगा।
इस समय जनरल असीम मुनीर सेना प्रमुख हैं, जो जालंधर से गए मुहाजिर (वे मुसलमान जो भारत से वहां गए) हैं। पाकिस्तान के इतिहास में देखा गया है कि जब भी सेना प्रमुख मुहाजिर रहा है, पाकिस्तान में सैन्य शासन आया है। उदाहरण के लिए, जियाउल हक (जालंधर), परवेज मुशर्रफ (दिल्ली)। दोनों ने सैन्य शासन स्थापित किया। जनरल मुनीर भी पाकिस्तान में सैन्य शासन ही चाहता है। पहलगाम हमला भी पाकिस्तान में आंतरिक असंतोष को दबाने के लिए करवाया गया था, ताकि पाकिस्तान सेना के प्रति वहां के आवाम में जो अंसतोष है उसे ध्यान भटकाया जा सके।
पाकिस्तान कुछ प्रतिक्रिया देगा, इसकी तो संभावना थी, पर युद्ध करेगा इस पर संशय था। अब उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पाकिस्तान सप्ताह भी नहीं टिक पाएगा। पाकिस्तान की सैन्य क्षमता अत्यंत सीमित है। उसके आतंकी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जैश ए मोहम्मद सभी पाकिस्तानी सेना के पिछलग्गू हैं। ये संगठन भी कुछ नहीं कर पाएंगे।
इस खबर पर नजर डालें-
8 मईकी रात पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में एक साथ 35 से अधिक स्थानों पर 300 से 400 ड्रोन हमले किए। यह उसकी सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। ये ड्रोन न केवल निगरानी में सक्षम थे, बल्कि हमला करने की ताकत भी रखते थे। एक अलग युद्धनीति का संकेत है, जो पाकिस्तान की नई ‘हाइब्रिड वॉरफेयर’ रणनीति को दर्शाती है। लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास, (सेवानिवृत) के अनुसार- यह हमला न केवल भारतीय इलाकों की निगरानी के लिए किया गया, बल्कि इसका स्पष्ट उद्देश्य भारतीय सुरक्षा बलों को भ्रमित कर आतंकियों की घुसपैठ का रास्ता बनाना था। जैसे ही रात होती है, नियंत्रण रेखा के पास अलग-अलग सेक्टरों में अचानक गोलीबारी शुरू हो जाती है, जिसका मकसद शोर और अफरा-तफरी के बीच ड्रोन और आतंकियों की घुसपैठ को आसान बनाना है। भारत और पाकिस्तान करीब 750 किमी लंबी नियंत्रण रेखा साझा करते हैं। अखनूर से गुरेज तक की सीमा बेहद जटिल भौगोलिक परिस्थितियों से गुजरती है। 14,000 फीट की ऊंचाई, गहरी घाटियां, घने जंगल और नदियां– यह सब मिलकर ऐसी परिस्थितियां बनाते हैं, जहां छोटे-छोटे समूहों में आतंकियों की घुसपैठ तकनीकी रूप से संभव बन जाती है। नियंत्रण रेखा पर ड्रोन अटैक और भीषण गोलीबारी से तनाव बढ़ाकर और भारतीय सेना को उलझा कर पाकिस्तान किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में है। प्रस्तुति -शिवम दीक्षित
Leave a Comment