समझा जा रहा था कि 6-7 मई की रात में भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी केंद्रों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से जो कार्रवाई की है, उसके पीछे के कठोर निश्चय को पढ़ते हुए पाकिस्तान ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिससे झगड़ा बढ़े, लेकिन अब जाहिर हो रहा है कि पाकिस्तान आतंकी देश होने के साथ-साथ ढीठ भी है। उसे केवल एक भाषा समझ में आती है। 7-8 मई की रात भारत के कम से
कम 15 शहरों पर उसने मिसाइलों से हमले करके अपना इरादा जाहिर कर दिया है। भारतीय सेनाओं ने इन हमलों को न केवल नाकाम किया, बल्कि 8 मई को सुबह से लेकर शाम तक जवाबी हमले भी किए। लगता है कि यह कार्रवाई जारी रहेगी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब केवल उस रात तक सीमित नहीं रह गया। लगता है कि यह लंबा चलेगा। पहले दिन 7 मई को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत ने अपनी प्रतिक्रिया को केंद्रित, नपी-तुली और गैर-भड़काऊ बताया था। इसमें साफ कहा गया था कि हमारा लक्ष्य केवल आंतकी ठिकाने हैं, पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों या नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने या सैनिक-शब्दावली में युद्ध भड़काने (एस्केलेशन) का इरादा नहीं है। पाकिस्तानी ‘डीप-स्टेट’ ने 2016 और 2019 की भारतीय प्रतिक्रियाओं की अनदेखी की। इससे लगता है कि वह बाज़ नहीं आएगा।
पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिक्रांत कश्मीर (पीओजेके) स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना ने जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, उसका यह नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुझाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नॉर्वे, क्रोएशिया और नीदरलैंड्स का दौरा रद्द कर दिया है। ऑपरेशन की सफलता पर उन्होंने तीनों सेनाओं की प्रशंसा की और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह नया भारत है। पूरा देश हमारी ओर देख रहा था। यह तो होना ही था।’’ पहलगाम आतंकी हमले के बाद बिहार में एक जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था, ‘‘हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों और इसके साजिशकर्ताओं को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। भारत हर आतंकी और उसके आकाओं की पहचान करेगा, उन्हें खोजेगा और सजा देगा। हम उन्हें धरती के किसी भी कोने तक खदेड़ेंगे।’’
गृह मंत्री अमित शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत का जवाब बताते हुए कहा कि यह ऑपरेशन उन सभी को भारत का करारा जवाब है, जिन्होंने हमारी सीमाओं, सेना और नागरिकों को चुनौती देने की हिम्मत की। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पूरी दुनिया के लिए मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करने की नीति का प्रमाण है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘‘हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पहलगाम में हमारे निर्दोष भाइयों की क्रूर हत्या के प्रति भारत की प्रतिक्रिया है। मोदी सरकार भारत और उसके लोगों पर किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’
बहावलपुर और मुरीदके में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार में जिस तरह से वहां के सेनाध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, उसमें केवल वर्दी का फर्क था, अन्यथा बताना मुश्किल था कि कौन सैनिक है और कौन आतंकवादी। इनसे समझदारी की उम्मीद करना व्यर्थ है। भारत की इस बार की ‘सर्जिकल-स्ट्राइक’ का स्तर 2016 और 2019 के मुकाबले ज्यादा बड़ा है, जो भारत की प्रतिक्रियाओं में क्रमशः आती कठोरता का संकेतक है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में 7 मई को विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस वार्ता में ऑपरेशन की जानकारी दी। हमले का दो मिनट का वीडियो भी चलाया किया गया। उसके बाद भी ऑपरेशन से जुड़े वीडियो प्रमाण भी दिखाए गए। विक्रम मिसरी ने 8 मई को तार्किक तरीके से कहा कि युद्ध भड़काने का काम तो 22 अप्रैल के पहलगाम हमले से ही हो गया था।
उन्होंने कहा, पहलगाम हमला पहला ‘एस्केलेशन’ था। उन्होंने पाकिस्तान के इस सुझाव की भी पोल खोली कि पहलगाम मामले की निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि 26/11 और 2016 के पठानकोट हमलों के मामलों में हमने पाकिस्तान के साथ सहयोग करने का सुझाव दिया था, पर पाकिस्तान ने हाथ खींच लिया। जब भारत ने ऑपरेशन रूम से वॉयस रिकॉर्डिंग का मिलान हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी जैसे हिरासत में मौजूद लोगों से करने की कोशिश की, तो पाकिस्तान ने हाथ खड़े कर दिए।
उन्होंने कहा कि हमलावरों की पहचान भी हुई है। हमारी इंटेलिजेंस ने हमले में शामिल लोगों से जुड़ी जानकारी जुटा ली है। इस हमले का कनेक्शन पाकिस्तान से है। सबसे बड़ी बात यह थी कि हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फोरम (टीआरएफ) ने एक बार नहीं, दो बार ली थी। इस संगठन के बारे में भारत पहले भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को जानकारी देता रहा है। सुरक्षा परिषद के वक्तव्य से इस संगठन के नाम को हटाए जाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि पहलगाम की कायरतापूर्ण आतंकवादी घटना के पश्चात पाक प्रायोजित आतंकवादियों एवं उनके समर्थक इकोसिस्टम पर की जा रही निर्णायक कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए भारत सरकार के नेतृत्व और सैन्यबलों का हार्दिक अभिनंदन। हिंदू यात्रियों के नृशंस हत्याकांड में आहत परिवारों एवं समस्त देश को न्याय दिलाने हेतु हो रही इस कार्रवाई ने समूचे देश के स्वाभिमान एवं हिम्मत को बढ़ाया है। हमारा यह भी मानना है कि पाकिस्तान में आतंकियों, उनका ढांचा एवं सहयोगी तंत्र पर की जा रही सैनिक कार्रवाई देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक एवं अपरिहार्य कदम है। राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में संपूर्ण देश तन-मन-धन से देश की सरकार एवं सैन्य बलों के साथ खड़ा है।
पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत की सीमा पर धार्मिक स्थलों एवं नागरिक बस्ती क्षेत्र पर किए जा रहे हमलों की हम निंदा करते हैं और जो इन हमलों का शिकार हुए, उनके परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस चुनौतीपूर्ण अवसर पर समस्त देशवासियों से आह्वान करता है कि शासन एवं प्रशासन द्वारा दी जा रही सभी सूचनाओं का पूर्णतः अनुपालन सुनिश्चित करें। इसके साथ-साथ इस अवसर पर हम सबको अपने नागरिक कर्तव्य का निर्वहन करते हुए यह भी सावधानी रखनी है कि राष्ट्र विरोधी शक्तियों के सामाजिक एकता एवं समरसता को भंग करने के किसी भी षड्यंत्र को सफल न होने दें। समस्त देशवासियों से अनुरोध है कि अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुए सेना एवं नागरी प्रशासन के लिए जहां भी, जैसी भी आवश्यकता हो, हरसंभव सहयोग के लिए तत्पर रहें और राष्ट्रीय एकता तथा सुरक्षा को बनाए रखने के सभी प्रयासों को बल प्रदान करें।
थल सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देते हुए बताया कि आतंकी ठिकानों पर हमला कैसे किया गया। साथ ही, हमले जुड़ी तस्वीरें और 2 मिनट का वीडियो भी दिखाया। इन महिला अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में पांच आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए गए, जबकि चार आतंकी ठिकाने ऐसे हैं जो पाकिस्तानी सीमा के भीतर हैं। खास बात यह कि मुरीदके में लश्कर के मुख्यालय मरकज-तैय्यबा पर एक के बाद एक चार मिसाइलें दागी गईं।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को 6 मई की रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच अंजाम दिया गया। 25 मिनट में पाकिस्तान और पीओजेके में 9 लक्ष्यों की पहचान कर उन्हें तबाह किया गया। सेना ने आतंकियों के लॉन्चपैड, प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाया था।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।’ सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लगातार नज़र रखी। भारत ने इसके माध्यम से संदेश दिया है कि आतंकवादी गतिविधियां जारी रहीं, तो हमारी ओर से की जा रही कार्रवाई और कठोर होगी। इसमें प्लान ‘बी’ और ‘सी’ यानी सभी संभावित स्थितियों पर गहराई से विचार शामिल हैं। भारत की कार्रवाई तब तक जारी रहेगी, जब तक हालात किसी निर्णायक मुकाम तक नहीं पहुंचेंगे।
कार्रवाई की तीव्रता बहुत कठोर होने के बजाय कम भी हो सकती थी, पर पाकिस्तानी नेतृत्व ने भड़काऊ बातें की और परमाणु बम का इस्तेमाल करने की धमकी तक दे डाली। पाकिस्तान के नेतृत्व ने समझदारी का परिचय दिया होता, तो सिंधु जल-संधि के स्थगित होने की नौबत नहीं आती। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर को प्रवासी पाकिस्तानियों की सभा में जहरीली बातें करने की कोई जरूरत नहीं थी। ऑपरेशन का नाम रखने और सर्जिकल स्ट्राइक के ठिकानों को तय करने में भारत ने बहुत सावधानी बरती और उसे पहलगाम हमले पर केंद्रित रखा है। सेना ने पाकिस्तान के किसी भी सैनिक ठिकाने पर हमला नहीं बोला, बल्कि जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के कैंपों को निशाना बनाया है, जो दहशतगर्दी के अड्डे हैं।
हमारे पास पहलगाम हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले विश्वसनीय सबूत हैं। सटीक हमलों के बाद, भारत ने विश्व के कई देशों से संपर्क किया और पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की जानकारी दी। इन हमलों में नागरिकों को या दूसरे प्रतिष्ठानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अभी तक सेना ने सीमा पार नहीं की है, बल्कि अपनी सीमा के भीतर रहते हुए गाइडेड मिसाइलों, सटीक बमों और ‘लॉइटरिंग म्यूनिशंस’ की मदद से हमला किया है। पाकिस्तान इस समय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है, जिससे उसकी जिम्मेदारी बढ़ती है। वह जुलाई में एक महीने के लिए परिषद की अध्यक्षता भी उसे मिलेगी। इसका मतलब यह नहीं है कि वह जो चाहे कर लेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके बाद सीमा सड़क संगठन के स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारतीय सेना ने सभी भारतवासियों का मस्तक ऊंचा किया है। लक्ष्य तय किए थे, उन्हें सटीकता से ध्वस्त किया है और किसी भी नागरिक ठिकाने को प्रभावित न होने देने की संवेदनशीलता भी हमारी सेना ने दिखाई है। हमने हनुमान जी के उस आदर्श का पालन किया, जो उन्होंने अशोक वाटिका उजाड़ते हुए किया था-जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। हमने केवल उन्हीं को मारा, जिन्होंने हमारे मासूमों को मारा।’’
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की। रुबियो ने पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले पर अपनी संवेदना दोहराई और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ मिल कर काम करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में ड्रोन और मिसाइल हमले की नाकाम कोशिश के बीच जयशंकर ने यूरोपीय संघ से फोन पर बातचीत में कहा कि भारत ने संयम बरतते हुए कार्रवाई की है। अगर पाकिस्तान उकसाने की कोशिश करेगा तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने इटली के विदेश मंत्री से भी यही कहा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद 7 मई को विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने संवाददाता सम्मलेन में कहा कि पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति को कमजोर करने और देश के बाकी हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की मंशा से किया गया था। यह पर्यटन को चोट पहुंचाने के लिए किया गया था। पिछले साल घाटी में रिकॉर्ड 2.3 करोड़ पर्यटक आए थे। हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है। इसके बारे में भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को बताया था। इससे पहले दिसंबर 2023 में भी बताया था कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद टीआरएफ जैसे छोटे आतंकी समूहों के माध्यम से काम कर रहे हैं।
विदेश सचिव ने आगे कहा कि हमले की जांच में आतंकियों की पाकिस्तान में हुई बातचीत के सबूत मिले हैं। यह भी जगजाहिर है कि पाकिस्तान दुनियाभर के आतंकियों के लिए पनाहगाह बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी सजा से बचने के लिए यहीं रहते हैं। लेकिन पाकिस्तान दुनिया और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों को गुमराह करता रहा है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे-आतंकी साजिद मीर को पहली मृत घोषित किया, फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में उसे जीवित दिखा कर गिरफ्तार कर लिया।
पहलगाम हमले पर हमने जो कदम उठाए, उससे सभी अवगत हैं। पाकिस्तान से अपराधियों और इसके योजनाकारों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए कहा गया। लेकिन एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी उसने कोई कदम नहीं उठाया। हमारी खुफिया एजेंसी ने संकेत दिया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन भारत पर और हमले करने वाले हैं। इसे रोकने और उनका जवाब देने के भारत ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। यह कार्रवाई नपी-तुली, आनुपातिक और जिम्मेदाराना थी। इसका उद्देश्य आतंकी ढांचे खत्म को करना था।
25 अप्रैल, 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकी हमले पर एक विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें कहा गया था, ‘‘आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता है।’’ भारत की कार्रवाई को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
पाकिस्तान के साथ तनाव पर 9 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह मौजूद रहीं।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी कायरता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना का परिचय दिया। भारतीय सीमाओं के भीतर सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान ने तुर्किये निर्मित 300 से 400 ड्रोन और मिसाइलों का प्रयोग किया। इस हमले के दौरान पाकिस्तान ने जानबूझकर अपना वायु क्षेत्र नागरिक विमानों के लिए खुला रखा ताकि भारतीय वायुसेना किसी जवाबी कार्रवाई में संयम बरतने को विवश रहे।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान ने भारतीय शहरों, नागरिक इमारतों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए उकसावे वाली कार्रवाई की। भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने जिम्मेदाराना ढंग से इसका जवाब दिया है। पाकिस्तान की इस कुटिल रणनीति का एक और प्रमाण यह है कि जब भारतीय वायुसेना ने पंजाब सेक्टर में हाई अलर्ट के चलते नागरिक उड़ानों को रोक दिया था, उसी समय पाकिस्तान की एयरस्पेस में एक यात्री विमान दम्मम से लाहौर की उड़ान से लाहौर की उड़ान भरता रहा। इसी दौरान पाकिस्तान के एक बठिंडा आर्मी स्टेशन को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे भारतीय बलों ने गिरा दिया।
विक्रम मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान दावा कर रहा है कि उसने किसी धार्मिक स्थान पर हमला नहीं किया है, जबकि पुंछ में स्थित गुरुद्वारे पर हमला हुआ और रागी सहित कई सिख श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई। यही नहीं पाकिस्तान ने ननकाना साहिब पर भारत द्वारा ड्रोन हमले का झूठा प्रचार कर, इस पूरे घटनाक्रम को धार्मिक रंग देने की कोशिश की है। यह पाकिस्तान का पुराना तरीका है, हम इससे आश्चर्यचकित कतई नहीं हैं।
पाकिस्तानी फौज की तरफ से की गई गोलीबारी में पुंछ में क्राइस्ट स्कूल के पास एक शेल गिरा, जिससे एक छात्र की मृत्यु हुई। क्रिश्चियन कॉन्वेंट पर भी बम गिरा और कई लोग भूमिगत हॉल में छिपकर बचे। पाकिस्तान चर्च, गुरुद्वारा और मंदिरों को निशाना बना रहा है। उन्होंने बताया कि एलओसी पर बिगड़ते हालात और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान की इन हरकतों पर भारत ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों की समीक्षा की है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को मिलने वाले आर्थिक पैकेज पर भारत अपनी आपत्तियां दर्ज कराएगा। अमेरिका ने भी इस परिस्थिति में भारत का साथ देने की बात कही है।
पाकिस्तान ने भारत से पहलगाम से जुड़े सबूत पेश करने को और इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने को कहा है। वस्तुतः सबूत उसे पेश करने हैं कि जिस टीआरएफ ने पहलगाम हिंसा की जिम्मेदारी ली है, उसका लश्करे तैयबा के साथ कोई रिश्ता नहीं है। और यह भी साबित करना है कि लश्कर के अलावा जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के कैंप भी उसके देश में संचालित नहीं होते थे।
पहलगाम की हिंसा के फौरन बाद लश्कर के पिट्ठू संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। पाकिस्तानी नेतृत्व को जब इस बात की गंभीरता का पता लगा, तो उन्होंने कहना शुरू किया कि यह भारत का ‘फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन’ है। पाकिस्तान की ओर से इस किस्म का बयान आने के अगले ही दिन टीआरएफ ने अपनी बात वापस ले ली और कहा कि हमारे सोशल मीडिया हैंडल को किसी ने हैक कर लिया था। यह बात टीआरएफ को तभी पता लगी, जब पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने कहा कि पहलगाम की घटना में हमारा हाथ नहीं है। क्या यह हैरत की बात नहीं है कि पाकिस्तान ने आज तक पहलगाम हत्याकांड की भर्त्सना नहीं की है।
इसके बाद पाकिस्तान ने चीन की सहायता से 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद का बयान जारी करवाया, जिसमें पहलगाम के आतंकवादी हमले की ‘कड़े शब्दों में’ निंदा जरूर थी, पर (टीआरएफ) का नाम नहीं लिया, जिसने हमले की जिम्मेदारी ली थी। पाकिस्तान ने खुद माना कि यह नाम हटाने में हमारा हाथ है। सुरक्षा परिषद ने इस संगठन का नाम नहीं लिया, तो लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसके संबंधों का उल्लेख भी नहीं हुआ, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठन है। उसने भारत सरकार के साथ सहयोग की बात भी नहीं की, जैसा कि अतीत में होता रहा है। गैर-मुसलमानों को निशाना बनाए जाने का उल्लेख भी नहीं। सुरक्षा परिषद ने पहलगाम के बाद की परिस्थिति पर सोमवार 5 मई को बंद कमरे में विचार-विमर्श किया, जिसमें बढ़ते तनाव पर चर्चा की गई। इस बैठक का आग्रह पाकिस्तान ने ही किया था, पर इसका कोई लाभ उसे नहीं मिला।
प्रेस ट्रस्ट की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में राजदूतों ने दोनों देशों से तनाव कम करने का आह्वान किया और पाकिस्तान के सामने कुछ ‘कठोर सवाल’ रखे। क्या थे ‘कठोर सवाल’? पहला सवाल यही था कि पहलगाम की हिंसा के पीछे कौन है? इस बैठक का अनुरोध पाकिस्तान ने किया था। सुरक्षा परिषद ने बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके अपने उद्देश्य काफी हद तक पूरे हो गए हैं। बंद कमरे में हुई यूएनएससी की बैठक उनके सामान्य बैठने के कमरे में नहीं हुई, बल्कि उसके बगल में बने परामर्श कक्ष में हुई। इससे इस बैठक की अनौपचारिकता ही साबित होती है। कहा जा सकता है कि स्थिति का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान की कोशिशें सफल नहीं हुईं। अगस्त 2019 में जब भारत ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था, तब भी पाकिस्तान ने चीन की सहायता से सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का प्रयास किया था। तब भी इसी किस्म की अनौपचारिक बैठक हुई थी और परिषद ने तब भी कोई बयान जारी नहीं किया था।
यह मामला केवल सैनिक (काइनेटिक) कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राजनयिक और राजनीतिक कार्रवाइयां भी इसमें शामिल हैं। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि लड़ाई से पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों पर जैसा विपरीत प्रभाव पड़ेगा, वैसा भारत की अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा।
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पहले से डगमगा रही है, जिसे थामना अब और मुश्किल होगा। उसे चीन का समर्थन हासिल है, पर उसे आर्थिक सहायता के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ के पास ही जाना होता है, जिनकी चाभी अमेरिका के पास है। बहरहाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी है, जिसके निहितार्थ धीरे-धीरे सामने आएंगे।
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