देशभर में इस समय कर्नल सोफिया कुरैशी की चर्चा जोरों पर है। उन्हें ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग के लिए चुना गया है, जिसे लेकर सरकार की सराहना हो रही है। लोग न केवल इस अभियान के नाम की तारीफ कर रहे हैं, बल्कि कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के बारे में अधिक जानने की इच्छा भी जता रहे हैं।
सोफिया कुरैशी का एक पुराना वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी सेना में शामिल होने की प्रेरणा साझा करती दिख रही हैं। वीडियो में वह कहती हैं, “मैं एक फौजी की बेटी हूं और फौजी माहौल में पली-बढ़ी हूं। मेरी परदादी रानी लक्ष्मीबाई के साथ थीं। मेरी मां चाहती थीं कि हम दोनों बहनों में से कोई एक सेना में जाए।” सोफिया बताती हैं कि उन्होंने एनसीसी में भाग लिया और फिर सेना में चयनित हो गईं।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके दादा जी हमेशा कहते थे, ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम्’, जिसका मतलब है – हम राष्ट्र को जागरूक करें। यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह देश के लिए सतर्क और तैयार रहे। कर्नल सोफिया कुरैशी को पहले भी कई बार सम्मान मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के फैसले में उनके योगदान का उल्लेख किया था। कोर्ट ने कहा था कि कर्नल सोफिया, भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में सेना का नेतृत्व किया।
इसके अलावा, उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भी अहम भूमिका निभाई थी। वहां उनका काम युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और मानवीय सहायता सुनिश्चित करना था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिला अधिकारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा दे रही हैं। फिर भी, कुछ दलीलें यह दर्शाने की कोशिश करती हैं कि जैविक और सामाजिक कारणों से महिलाएं कम सक्षम हैं, जो कि संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी अफसर आज देश की बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
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