भारत अपने हवाई सुरक्षा ढांचे को लगातार मजबूत कर रहा है ताकि वह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से होने वाले संभावित हवाई खतरों का प्रभावी रूप से मुकाबला कर सके। देश की वायु रक्षा प्रणाली में आधुनिक मिसाइल सिस्टम, उन्नत रडार और समर्पित कमांड सेंटर शामिल हैं, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को समय रहते पहचान कर उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। भारत की सुरक्षा स्थिति विशेष रूप से जटिल है क्योंकि इसके दोनों ओर शक्तिशाली और सैन्य रूप से सक्रिय देश हैं पाकिस्तान और चीन। इन देशों के पास आधुनिक मिसाइलों, ड्रोन, अटैक हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स का बड़ा जखीरा है। ऐसे में भारत के लिए सीमाओं और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को इजरायल के ‘आयरन डोम’ जैसे अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली की आवश्यकता है, जो अल्प सूचना पर आने वाले खतरों को रोक सके। सवाल यह है कि क्या भारत के पास ऐसी कोई प्रणाली मौजूद है? इस सवाल का जवाब है कि भारत ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। स्वदेशी ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम, रूस के साथ मिलकर विकसित की जा रही S-400 प्रणाली और भविष्य में आने वाले ‘XRSAM’ जैसे प्रोजेक्ट भारत की वायु रक्षा को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास हैं। हालांकि, आयरन डोम जैसी त्वरित और घनी सुरक्षा कवच प्रदान करने वाली प्रणाली की अभी भी कमी महसूस की जाती है।
2024 में तैयार हो चुका था भारत का आयरन डोम
वर्ष 2024 में भारत ने वायु रक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। देश ने इजरायल के प्रसिद्ध ‘आयरन डोम’ की तर्ज पर विकसित अपने स्वदेशी वर्जन का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया, जहां इस नई प्रणाली ने अपनी क्षमताओं को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया। इस उन्नत प्रणाली को वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) के नाम से जाना जाता है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है और यह चौथी पीढ़ी की शॉर्ट-रेंज वायु रक्षा तकनीक का प्रतिनिधित्व करता है। इसका उद्देश्य भारत की वायु सीमा को छोटे दूरी से आने वाले खतरों- जैसे ड्रोन, हेलिकॉप्टर या कम ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइलों से सुरक्षित रखना है। VSHORADS को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह अल्प सूचना पर आने वाले खतरों का भी तुरंत जवाब दे सके, जिससे भारत की रणनीतिक और सामरिक ठिकानों की सुरक्षा कई गुना बेहतर हो जाती है। यह प्रणाली भारत की मौजूदा वायु रक्षा क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाती है और देश को आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूत कदम बढ़ाने में मदद करती है।
कैसे काम करता है भारत का अपना आयरन डोम?
VSHORADS (Very Short Range Air Defence System) एक अत्याधुनिक तकनीक से लैस डिफेंस सिस्टम है, जिसे खास तौर पर युद्ध के मैदान में तेजी से तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को मार गिराना है। यह सिस्टम न केवल दुश्मन के हवाई हमलों से रक्षा करता है, बल्कि इसकी खासियत यह है कि इसे कहीं भी आसानी से ले जाकर तैनात किया जा सकता है। इसकी डिजाइन मल्टीपर्पज डिफेंस के लिए की गई है, यानी यह कई तरह के हवाई खतरों से एकसाथ निपट सकता है। VSHORADS सिस्टम में रिएक्शन कंट्रोल टेक्नोलॉजी और इंटीग्रेटेड एविओनिक्स सिस्टम जैसे हाई-टेक फीचर्स मौजूद हैं। यह तकनीक मिसाइल को किसी भी दिशा में सटीकता से Thrust देने में सक्षम बनाती है। इसके साथ ही इसमें एक इमेजिंग इंफ्रारेड होमिंग सिस्टम भी शामिल है, जो दुश्मन के टारगेट्स को ट्रैक करके मिसाइल को गाइड करता है। संक्षेप में, VSHORADS एक शक्तिशाली और लचीला हवाई सुरक्षा कवच है, जो भविष्य की लड़ाइयों में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
कैसे-कैसे एयर डिफेंस सिस्टम हैं भारत के पास?
तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल और बढ़ते हवाई खतरों के बीच भारत को अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त व संगठित बनाने की जरूरत है। केवल किसी एक विदेशी प्रणाली, जैसे रूस से प्राप्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। भारत को एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क विकसित करना होगा, जो विभिन्न प्रकार के खतरों से प्रभावी ढंग से निपट सके। इस नेटवर्क में पहले से मौजूद सिस्टम पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD), एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) और लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM) की एकीकृत और समन्वित तैनाती अत्यंत आवश्यक है।
इसके साथ ही, भारत को छोटे से लेकर बड़े हर रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम को एक-दूसरे से जोड़ना होगा ताकि वे अधिक कुशलता से और सामंजस्य के साथ काम कर सकें। यह समन्वय भारत को विभिन्न स्तरों पर आने वाले हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करेगा चाहे वह कम ऊंचाई से आने वाले ड्रोन हों या लंबी दूरी से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइलें। संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी और विदेशी प्रणालियों का सम्मिलन ज़रूरी है। ऐसी बहु-स्तरीय प्रणाली ही भारत को एक मजबूत वायु रक्षा कवच प्रदान कर सकती है।
चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के पास खतरनाक हथियार
भारत को आज ऐसे सुरक्षा कवच की ज़रूरत है, जो आधुनिक और बहुस्तरीय हो। इसकी वजह साफ है उसके दो प्रमुख पड़ोसी देश, पाकिस्तान और चीन, दोनों के पास कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें और लंबी दूरी के रॉकेट्स मौजूद हैं। इनमें से कई मिसाइलें 300 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती हैं, जिससे भारतीय सीमावर्ती शहरों, कस्बों और गांवों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इज़रायल का आयरन डोम इस तरह के खतरों के लिए एक प्रभावशाली मिसाल है। यह सिस्टम कम दूरी के रॉकेट्स, आर्टिलरी गोले और बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देता है, जिससे ज़मीनी नुकसान से बचा जा सकता है। भारत को भी इसी तरह की सुरक्षा प्रणाली की ज़रूरत है, जो न केवल रॉकेट्स बल्कि आधुनिक और तेजी से बढ़ रहे हवाई खतरों से भी निपट सके।
चीन और पाक से अलग-अलग दिशाओं से भारत को खतरा
भारत की भौगोलिक स्थिति और दो मोर्चों पर दुश्मनों की मौजूदगी उसे एक विशिष्ट रणनीतिक चुनौती देती है। चीन और पाकिस्तान दोनों से अलग-अलग दिशाओं से खतरा बना रहता है। इसके लिए केवल साधारण डिफेंस सिस्टम पर्याप्त नहीं है। भारत को एक अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम की ज़रूरत है, जो मल्टी-लेयर यानी बहुस्तरीय हो कम ऊंचाई से लेकर अंतरिक्ष में उड़ रहे टारगेट तक को मार गिराने में सक्षम। इस प्रणाली में बैलिस्टिक, क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसे खतरों से निपटने की क्षमता होनी चाहिए। एक मजबूत, सटीक और रफ्तार से जवाब देने वाला BMD सिस्टम ही भारत को भविष्य के खतरे से सुरक्षित रख सकता है।
भारत के पास कौन-कौन से एयर डिफेंस सिस्टम हैं…
- इंडियन बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम
- इंटरमीडिएट इंटरसेप्शन यानी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम
- शॉर्ट रेंज इंटरसेप्शन… आकाश, पिछोरा जैसी मिसाइलें
- आकाश एयर डिफेंस सिस्टम
- 9K33 Osa AK डिफेंस सिस्टम
- 2K12 Kub मिसाइलें
- LRSAM मिसाइल सिस्टम
- MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम
- QRSAM मिसाइल सिस्टम
SpyDer मिसाइल सिस्टम
इनमें से SPYDER (Surface-to-Air PYthon and DERby) एयर डिफेंस सिस्टम एक आधुनिक और बहु-स्तरीय सुरक्षा कवच है, जिसे हवा से आने वाले खतरों को तुरंत पहचानकर नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस सिस्टम के दो प्रमुख वेरिएंट हैं SPYDER-SR (Short Range) और SPYDER-MR (Medium Range)। दोनों ही सिस्टम हर मौसम में और हर परिस्थिति में प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं।
SPYDER सिस्टम दो तरह की मिसाइलों का इस्तेमाल करता है Python-5 और Derby।
Python-5 का वजन लगभग 105 किलोग्राम होता है और यह करीब 40 किलोमीटर तक की रेंज में हवाई सुरक्षा प्रदान करती है।
Derby मिसाइल थोड़ी भारी होती है इसका वजन लगभग 118 किलोग्राम and इसकी पहुंच 80 किलोमीटर तक मानी जाती है, खासतौर पर MR (Medium Range) और LR (Long Range) वेरिएंट्स में।इन दोनों मिसाइलों की खास बात यह है कि ये 360 डिग्री में घूमकर टारगेट को निशाना बना सकती हैं, यानी किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को जवाब देने में सक्षम हैं। SPYDER का यह लचीलापन और बहुआयामी फायरिंग क्षमता इसे भारत की हवाई सुरक्षा प्रणाली का एक अहम हिस्सा बनाती है, खासकर जब बात सीमावर्ती क्षेत्रों की आती है जहां तत्काल प्रतिक्रिया जरुरी होती है।
टिप्पणियाँ