आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के दुलारे जैशे मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर की तो जान बच गई लेकिन उसके आतंकी कुनबे के कई लोग ढेर हुए हैं। खबर है कि हमले से कपकंपाते हुए मसूद ने एक बयान जारी किया है। यह बयान एयर स्ट्राइक में बहावलपुर की जामा मस्जिद के ध्वस्त होने के साथ उसके कुनबे के कई लोग हलाक हुए हैं। इसमें संदेह नहीं है कि भारत के हवाई हमले ने पाकिस्तान द्वारा पाले जा रहे तीन मुख्य आतंकी संगठनों में से एक जैशे मोहम्मद को तार—तार कर दिया है, उसे घुटनों पर ला दिया है।
आतंकी सरगना मौलाना मसूद अजहर ने अपने इस बयान में यही बताया है कि भारत के हवाई हमले से उसके कई कुनबे वाले तथा मित्र ढेर हो गए हैं। भारत का यह ऑपरेशन सिंदूर मंगलवार और बुधवार के बीच की रात 1.05 से 1.30 बजे के बीच हुआ था। इसकी जद में आई बहावलपुर की जामा मस्जिद धूल धूसरित हो गई। मस्जिद की बिल्डिंग नेस्तोनाबूद होने से उसके अंदर दुबके आतंकी मसूद के 10 परिजन तथा आतंकी गुट जैश के चार जिहादी मारे गए, उनको मिलाकर वहां 14 ऐसे मारे गए हैं जिन्हें आतंकी मसूद अब अपना करीबी बता रहा है।

अजीब बात है कि खुद आतंकी मसूद बयान जारी करके हमले की जानकारी दे रहा है और अपने कुनबे वालों के मरने की खबर दे रहा है। बयान के अनुसार, भारत की ओर से किए गए उस मिसाइल हमले में जिहादी मसूद अजहर की बहन, उसका शौहर और मसूद अजहर के भतीजे, उसकी बीवी, भतीजी और कुनबे के ही अन्य पांच बच्चे मारे गए हैं। जैश गुट के मसूद अजहर के चार चहीते जिहादी भी ढेर हुए हैं। अपने कुनबे वालों की मौत से बेहाल हुए आतंकी मसूद ने आखिरकार यह भी कहा है कि ‘या खुदा, अच्छा होता कि मैं भी मारा जाता।’
भारत की एयर स्ट्राइक से मसूद अजहर के बहावलपुर के ‘मदरसे मरकज सुभानअल्लाह’ का पूरा ढांचा धूल में मिल गया है। यह ढांचा जैश का ‘ऑपरेशन मुख्यालय’ बताया जाता था। इसी जगह आतंकी मसूद और कुछ अन्य जिहादियों के घर भी बने हुए थे। इसीलिए हमले की वजह से उन घरों में रह रहे आतंकियों के परिजन मारे गए। बताते हैं, मसूद के इसी मदरसे में गत 30 साल से जिहादियों को ट्रेनिंग दी जाती रही है। यहीं से 600 से ज्यादा नौजवान आतंकी बनकर निकले हैं। जिहादी मसूद अजहर और दूसरे जिहादी सगरना इस जगह आते रहते थे और नौजवान जिहादियों में नफरत और हिंसा का जहर भरते रहते थे। जैश वही आतंकी गुट है जिसने भारत में कितने ही बड़े हमलों के पीछे खुद को जिम्मेदार बताया है। इन्हीं बड़े हमलों में साल 2001 में भारत की संसद पर किया हमला तथा साल 2019 में पुलवामा में किया गया हमला भी है।
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