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हांगकांग में महात्मा बुद्ध से जुड़े पिपरहवा रत्नों की नीलामी रुकी, भारत सरकार ने सोथबी को दिया नोटिस

इन अवशेषों को पिपरहवा रत्न के नाम से जाना जाता है, और वे भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात उनके धातु अवशेषों का वह भाग हैं, जिन्हें शाक्य वंशजों ने कपिलवस्तु में संरक्षित किया था

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WEB DESK

नई दिल्ली, (हि.स.)। भारत सरकार की नोटिस के बाद कपिलवस्तु पिपरहवा के बुद्ध कालीन पुरावशेषों की हांगकांग में नीलामी को सोथबी ने रोकने का भरोसा दिया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को सोथबी हांगकांग और क्रिस पेप्पे, विलियम क्लैक्सटन पेप्पे के उत्तराधिकारियों को एक कानूनी नोटिस जारी किया जिसमें “ऐतिहासिक बुद्ध के पिपराहवा रत्न, मौर्य साम्राज्य, अशोक युग, लगभग 240-200 ईसा पूर्व” शीर्षक वाली नीलामी को तत्काल रोकने की मांग की गई, जो 7 मई 2025 के लिए निर्धारित थी।

संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि नोटिस के जवाब में नीलामी करने वाली संस्था ने आश्वासन दिया है कि वह सात मई को हांगकांग में पिपरहवा स्तूप के अवशेषों की बिक्री को लेकर चिंताओं का समाधान करेगा।

उल्लेखनीय है कि यह अवशेष 1898 में अंग्रेज अफसर विलियम क्लैक्सटन पेपे द्वारा कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश) में खोदाई के दौरान अन्य कलाकृतियों के 331 पवित्र रत्न प्राप्त हुए थे, उन्हें औपनिवेशिक काल में भारत से बाहर ले जाया गया था। इन अवशेषों को पिपरहवा रत्न के नाम से जाना जाता है, और वे भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात उनके धातु अवशेषों का वह भाग हैं, जिन्हें शाक्य वंशजों ने कपिलवस्तु में संरक्षित किया था।

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