22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले ने भारत की राष्ट्रीय अंतरात्मा को इस तरह झकझोर दिया है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा 26 हिंदू पर्यटकों की चयनित हत्या मानवता के खिलाफ अपराध है। भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध अबतक राजनयिक, आर्थिक और सैन्य तरीकों से नपे-तुले ढंग से उत्तर दिया है। पाकिस्तान को इस अकल्पनीय भूल के लिए अकल्पनीय कीमत भी चुकानी पड़ेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सैन्य बलों के प्रमुखों को खुली छूट दे दी है। इस समय,राष्ट्रीय एकता की सबसे ज्यादा जरूरत है। समय के साथ इस एकता की भावना को और ज्यादा पुख्ता होना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अमरावती, आंध्र प्रदेश से राष्ट्रीय एकता का संदेश एक बार फिर दिया।
जम्मू और कश्मीर में पिछले आतंकवादी हमलों के विपरीत, पहलगाम हमलों ने विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाया, जिसका दोहरा उद्देश्य था। एक तथाकथित इस्लामी श्रेष्ठता पर जोर देना था और दूसरा भारत के अधिकांश हिस्सों में प्रमुख सांप्रदायिक दंगों को भड़काना था। इसका श्रेय मोदी सरकार को जाता है कि पाकिस्तान दोनों उद्देश्यों को हासिल करने में विफल रहा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने आतंकवादी हमले की स्पष्ट शब्दों में निंदा की और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने निर्दोष लोगों की मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेकर राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया है। इसके अलावा, देश के भीतर बड़े पैमाने पर आक्रोश और क्रोध के बावजूद, भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार, भारतीयों ने एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में हमारे बढ़ते कद को दर्शाते हुए महान अनुपात की राष्ट्रीय एकजुटता दिखाई है।
दुख और संकट की इस घड़ी में, सभी देशभक्त भारतीयों की राष्ट्रीय एकता पाकिस्तान के नापाक मंसूबों के खिलाफ सबसे शक्तिशाली हथियार है। भारतीयों के राष्ट्रीय आक्रोश और सामूहिक आवाज ने न केवल पाकिस्तान को डराया है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने हमारी राष्ट्रीय इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है। मुझे इस वर्ष जनवरी- फरवरी में 45 दिन चले सबसे शानदार महाकुंभ 2025 की याद आई, जिसने पवित्र शहर प्रयागराज में 66 करोड़ से अधिक भारतीयों को एकजुट किया। इस विशाल आयोजन का संचालन एक सैन्य अभियान की तरह था और अब युद्ध जैसे माहौल में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना हम सभी का कर्तव्य है।
पहलगाम आतंकी हमले ने चौंकाया है और इसलिए पाकिस्तान से निपटने की तैयारी युद्ध स्तर पर होनी चाहिए। एक राष्ट्र के रूप में भारत को पाकिस्तान-चीन-बांग्लादेश की मिलीभगत वाली गतिविधियों से निपटने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। हर दिन महत्वपूर्ण है और सभी राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियों को ओवरटाइम काम करना होगा। भारतीय इस अवसर पर उठ खड़े हुए हैं और इस कायरतापूर्ण आतंकी हमले ने भारत को एकजुट किया है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। इसलिए, एक राष्ट्र के रूप में हमें पाकिस्तान और उसका समर्थन करने वालों से निपटना होगा।
यहां हम इज़राइल से सीख ले सकते हैं। वहाँ पर जरूरत पड़ने पर नागरिक स्वेच्छा से सैन्य सेवा और सैन्य सहायता के लिए वालन्टियर करते हैं।
महाकुंभ 2025 में वैश्विक पदचिह्न थे। इस वैश्विक आयोजन के दौरान 100 से अधिक देशों के विदेशियों, राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने प्रयागराज का दौरा किया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद की विश्व स्तर पर निंदा की गई और अधिकांश दुनिया ने मानव जाति के खिलाफ इस अपराध के अपराधियों को दंडित करने के भारत के अधिकार का समर्थन किया है। भारतीय कूटनीति को अब पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए ओवरड्राइव मोड में काम करना होगा। पहला आतंकवाद का प्रायोजक होने के लिए और दूसरा किसी भी खतरे के लिए पहली प्रतिक्रिया के रूप में परमाणु हमले की धमकी को लेकर। दुनिया को अस्थिर पाकिस्तान से खतरों का एहसास है, जहां जिहादी तत्व जल्द ही सत्ता पर कब्जा कर सकते हैं।
देशवासियों को यह भी पता होना चाहिए की युद्ध अब एक जटिल अभियान हो गया है। दुश्मन को कभी कमजोर नहीं आंकना चाहिए। सेना की भाषा में कहा जाता है कि युद्ध की आपकी सारी योजना पहली गोली चलते ही बदलने लगती है। इसका मतलब है कि एक सैन्य अभियान को जमीन पर स्थिति के आधार पर वास्तविक लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो तेजी से बदलता रहता है। युद्ध में सैनिक वीरगति को प्राप्त होते हैं और हमें हर बलिदान के लिए भी तैयार रहना होगा।
शुरुआती एकजुटता दिखाने के बाद राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है। यह एक चिंता की बात है। सभी राजनीतिक दलों को राष्ट्रहित में इस समय विशेष परिपक्वता दिखानी होगी। कुछ राजनीतिक वक्तव्य सेना का मनोबल गिरा सकते हैं। मीडिया को भी जिम्मेवारी से अपनी बात रखनी होगी। मीडिया दुश्मन पर मनोवैज्ञानिक दवाब बना सकता है। लेकिन मीडिया को हमारे सामरिक प्लान और हमारी गुप्त सूचना को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। दुश्मन भी हमारे बारे में गलत खबर फैलाएगा और हमें उसकी हर चाल को समझना होगा।
आतंक के विरुद्ध युद्ध के लिए ‘संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण’ की आवश्यकता है जिसका अर्थ है कि सभी भारतीयों को कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इस तरह के युद्ध में आम जनता की, विशेष रूप से सीमावर्ती राज्यों मे, विशेष भागीदारी होती है। राष्ट्र को एक लंबी अवधि की असुविधा और पीड़ा के लिए तैयार रहना होगा। पाकिस्तान से निपटने के लिए इस राष्ट्र युद्ध में हमारी जीत निश्चित है। जय भारत!
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