22 अप्रैल को पहलगाम जिहादी हमले के बाद से दुनिया के विभिन्न देशों ने आतंकवाद और उसके प्रायोजक जिन्ना के देश को बुरी तरह लताड़ा है और यह क्रम अब भी जारी है। इस संदर्भ में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का वक्तव्य गौर करने लायक है। याद रहे सुबियांतो का इंडोनेशिया इस्लामी देश और जिन्ना के देश से कहीं अधिक मुस्लिम वहां रहते हैं। राष्ट्रपति सुबियांतो ने इस्लामी कायदों और शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा है कि यह किसी भी प्रकार की हिंसा या हत्या की अनुमति नहीं देता है। उन्होंने परोक्ष रूप से जिन्ना के देश की ओर संकेत करते हुए यह भी कहा है कि जो देश आतंकवाद फैलाने की नीति पर चल रहा है उसे उससे बाज आना चाहिए।
भारत और इंडोनेशिया के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गत जनवरी माह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति से मिले भी थे। दोनों देशों के बीच समन्वय और संबंधों को नई गति देने की बात हुई है। इस दिशा में सकारात्मकता के साथ बढ़ा जा रहा है, क्योंकि सुबियांतो जानते हैं कि भारत की नीति वैश्विक शांति और साझा विकास की है। इसमें कोई दुराव—छिपाव नहीं है। इन्हीं सुबियांतो ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है और भारत के साथ आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी जताई है। उन्होंने कहा है कि इंडोनेशिया में प्रचलित इस्लामी शिक्षाओं में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है और यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकता।

जैसा पहले बताया, सुबियांतो ने सीधे तौर पर जिन्ना के देश का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनके बयान से साफ है कि इशारा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान जैसे देशों की ओर ही है। उन्होंने कहा कि हथियारों की बजाय बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए क्योंकि आतंकवाद से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सकता है।
इस्लामी देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का उक्त बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश होने के नाते इस्लाम पर अपना तर्क स्पष्टता से रख सकता है और इस्लामी किताबों का उसका विवेचन मायने रखता है। सुबियांतो के बयान से यह भी इशारा होता है कि कुछ सभ्य, लोकतांत्रिक और सही समझ वाले मुस्लिम देशों में भी आतंकवाद के विरुद्ध सख्त रुख अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
पहले जैसा उल्लेख किया, भारत और इंडोनेशिया के बीच पहले से ही मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग इस साझेदारी को और मजबूत कर सकता है। दोनों देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर और पुख्ता तरीके से काम करने पर सहमति भी जताई है। बेशक, खुद को इस्लाम का झंडाबरदार समझने वाले पाकिस्तान को सुबियांतो के उक्त कथन को गंभीरता से लेना चाहिए। जिन्ना के मजहबी उन्मादी देश को अपने रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री के उन संकेतों को समझकर दुनिया से माफी मांगनी चाहिए कि पाकिस्तान 30 साल से आतंकवाद को पालता आ रहा है और इससे उनके देश की छवि पर बट्टा ही लगा है। यह काला धब्बा और गहरा होता जा रहा है। इस्लामाबाद को समझ लेना चाहिए कि आतंकवाद को दुनिया का कोई भी सभ्य देश किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर सकता। पहलगाम के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ खड़ा है।
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