यह सरकार की प्रगतिशील नीतियों और सुधारों के कार्यान्वयन का ही परिणाम है, जो विनिर्माण क्षेत्र निर्यात और डिजिटलीकरण आगे बढ़ रहा है। साथ ही, जीएसटी का कार्यान्वयन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय पर अधिक जोर जैसे क्रांतिकारी सुधार आर्थिक वृद्धि ला रहे हैं।

चार्टर्ड अकाउंटेंट
यदि हम देश के आर्थिक विकास को गति देने वाले प्रमुख कारकों का गहन अध्ययन करें तो निम्नलिखित उपलब्धियां सामने आती हैं-
- उच्च एमएसपी, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और अन्य योजनाओं के रूप में सरकारी हस्तक्षेप से संचालित लचीला कृषि क्षेत्र, जिसने अनियमित जलवायु परिस्थितियों के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है।
- कॉरपोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन अत्यंत उत्साहजनक है, जिसने व्यवसाय विस्तार, एक ही व्यवसाय में निवेश, पिछड़े और अग्रिम एकीकरण, अन्य व्यवसायों में प्रवेश करके विविधीकरण और परिणामी रोजगार सृजन जैसे मानकों पर सकारात्मक प्रदर्शन किया है।
- सरकार ने मेक इन इंडिया, पीएलआई, एमएसएमई ऋण जैसी नीतियों के माध्यम से व्यापार के लिए बेहद सुविधाजनक ढांचा तैयार कर उसे प्रभावी ढंग से लागू किया है।
- प्रत्यक्ष उपायों के माध्यम से समाज के निचले और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उत्थान से गरीबों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है और लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से नीतियों और योजनाओं के क्रियान्वयन की लागत, भ्रष्टाचार और लीकेज में कमी आई है तथा पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है।
- जीएसटी का प्रभावी क्रियान्वयन अघोषित आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में प्रमुख कारक है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक से अधिक आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगा है और उन्हें संगठित अर्थव्यवस्था के दायरे में लाया जा रहा है।
- राजकोषीय अनुशासन और विवेकपूर्ण शासन लाने पर सरकार के फोकस ने पूंजीगत व्यय पर अधिकाधिक खर्च कर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद की है।
- सेवा क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था के विकास में भारी योगदान दिया है, जिसमें सेवाओं का निर्यात विकास के प्रमुख चालकों में से एक रहा है। मजबूत औद्योगिक और उपभोक्ता मांग के कारण लॉजिस्टिक्स और खुदरा क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि देखी गई।
- मोदी सरकार को विरासत में नाजुक अर्थव्यवस्था मिली थी। संप्रग के कार्यकाल के दौरान गलत लोगों को ऋण बांटा गया, जिससे बैंकों का एनपीए बढ़ता चला गया और उनकी हालत खराब हो गई थी।
- सुधारों का असर भारत और इसकी अर्थव्यवस्था पर वैश्विक स्तर पर बढ़ते भरोसे के रूप में दिखाई दिया। इसके परिणामस्वरूप भारी मात्रा में एफडीआई प्रवाह हुआ, जिससे देश में निवेश बढ़ा।
प्रति व्यक्ति आय (लाख रुपये में)
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, बेहतर नीति-निर्माण और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली के माध्यम से लाभों के बेहतर वितरण से प्रेरित होकर, वित्तीय वर्ष 2024-25 (वित्त वर्ष 25) में मौजूदा कीमतों पर भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2.35 लाख रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले दो वित्तीय वर्षों में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में 40,000 से अधिक की वृद्धि हुई है।
भारत सरकार ने पिछले एक दशक में बुनियादी ढांचे पर खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जो राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी), पीएम गतिशक्ति और विभिन्न क्षेत्रीय कार्यक्रमों जैसी पहलों से प्रेरित है।
10 वर्ष में बुनियादी ढांचे में क्षेत्रीय निवेश
अर्थव्यवस्था को दोगुना करने में एक और कारक सहायक रहा है, निर्यात में वृद्धि। वैश्विक कंपनियों के कई वैश्विक क्षमता केंद्रों की स्थापना के कारण कुल माल निर्यात में निर्मित वस्तुओं की हिस्सेदारी में वृद्धि और मूल्य वर्धित सेवाओं की हिस्सेदारी में वृद्धि के साथ विदेशी व्यापार की संरचना में बदलाव आया है। इनसे न केवल शुद्ध निर्यात संतुलन को कम नकारात्मक बनाने में मदद मिली है, बल्कि चालू खाता संतुलन के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद मिली है। भारत का कुल निर्यात (अमेरिकी डॉलर अरब में)
रिजर्व बैंक द्वारा सेवा क्षेत्र के लिए नवंबर 2024 में जारी आंकड़े में भारत का कुल निर्यात (वस्तुएं और सेवाएं) के दिसंबर 2024 में 70.67 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है। यह पिछले वर्ष समान अवधि (दिसंबर 2023) की तुलना में 0.92 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दिखाता है। दिसंबर 2024 के लिए कुल आयात (वस्तुएं और सेवाएं दोनों) के 77.44 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। इसमें दिसंबर 2023 की तुलना में 6.40 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि हुई है।
इसी प्रकार, भारत के कुल निर्यात के अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान 602.64 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। यह 6.03 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान कुल आयात के 682.15 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो 6.91 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी अपने 10 वर्ष के शासन के कार्यकाल के दौरान देश की जीडीपी को दोगुना करने में सफल रहे हैं।
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