मध्य प्रदेश

भोपाल गैंगरेप और ‘लव जिहाद’: पैटर्न वही, बस बदल जाती हैं शक्लें और नाम

लड़कियों के नाम बदलते हैं, जगहें बदलती हैं और यहाँ तक कि उनकी उम्र भी बदल जाती हैं, मगर एक चीज नहीं बदलती है, प्रेम जाल में फंसकर जिहादियों के नापाक मंसूबों में कैद उनकी पीड़ा और अट्टहास करते जिहादी

Published by
सोनाली मिश्रा

भोपाल में गैंगरेप और एक ही धर्म की लड़कियों को निशाना बनाने की घटना ने एक बार फिर सामने आई है। कुछ मुस्लिम युवकों ने हिंदू छात्राओं को शिकार बनाया। दुर्भाग्य की बात यह है कि इतना होने के बाद भी, धार्मिक पहचान को आधार बनाकर किये गए अपराधों के बाद भी अपराधियों को सजा दिलाने का विमर्श आगे नहीं बढ़ पाता है।

भोपाल में एक निजी कॉलेज में मुस्लिम युवकों ने हिन्दू छात्राओं को प्रेम जाल में फंसाया। सारी समस्या इसी प्रेम जाल शब्द में है। प्यार की आजादी जैसी धारणा हमारी बेटियों के मन में कच्ची उम्र से ही न जाने कैसे बैठा दी जाती है कि वे सहज ही शिकारियों के जाल में फंस जाती हैं। शिकारी तो बैठा ही रहता है शिकार में। वह तो यूनाइटेड किंगडम से लेकर भारत तक ऐसी लड़कियों की तलाश में है ही। वह दूसरे देश में किसी और नाम से लड़कियों को फंसाता है, मगर उसका शिकार वही लड़कियां होती हैं, जो आजाद ख्याल की होती हैं। ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स के शिकारियों ने भी उन्हीं लड़कियों को निशाना बनाया था, जिनके कुछ सपने थे। जो कुछ करना चाहती थीं। कुछ करने की चाह को इश्क की चाह में बदल कर उन्हें बलात्कार, सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाया, उन्हें ड्रग्स का शिकार बनाया और भी न जाने क्या-क्या!

तमाम कहानियां इस समय सोशल मीडिया पर उस समय की शिकार लड़कियां बता रही हैं। मगर कथित रूप से सामाजिक सक्षम लड़कियां पीड़ाओं की उन कहानियों को जानती नहीं हैं, या फिर पढ़ती भी होंगी तो शायद यह कहकर किनारा कर लेती होंगी कि उनका “अब्दुल” ऐसा नहीं है। फिर कैसा है? कैसा है उनका अब्दुल? जब तक पता चलता है, तब तक वे ऐसे जाल में फंस जाती हैं, जहां से निकलना संभव ही नहीं है।

भोपाल में जिस प्रकार लड़कियों को फंसाया गया है, वह न ही पहला है और न ही आखिरी। बल्कि वह तो निरंतर चलती रहने वाली वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से काफिरों की लड़कियों को समाप्त किया जाना है। उनका मॉडस ओपेरंडी एक ही है। लालच देकर लड़कियों को फंसाना।

एक बहुत बड़ा शब्द है, जिसे फेमिनिस्ट और इस्लामिस्ट औरतें बहुत बोलती हैं, दोहराती हैं। हां, ये दोहराती तभी हैं, जब गाज़ा की औरतों पर इजरायल हमला करता है। और यह शब्द है “बहनापा।“ इस बहनापे की असलियत यह है कि भोपाल वाले मामले में मुख्य आरोपी फरहान खान की बड़ी बहन ही लड़कियों को भाई के साथ संबंध बनाने को उकसाती थी।

वह ब्रेनवाश करती हुई कहती थी कि आगे बढ़ने के लिए इन बातों का ध्यान मत दो, जैसा फरहान कहता है करती जाओ। “आगे बढ़ने के लिए इन बातों का ध्यान मत दो” यही तो आजादी गैंग कहता है। प्यार की आजादी वाला गैंग यही बात करता है कि “लड़की को प्यार की आजादी होनी चाहिए, उसे शादी से पहले संबंधों की आजादी होनी चाहिए, उसे लिव इन में रहने की आजादी होनी चाहिए!। आगे बढ़ने के लिए यह सब करना ही चाहिए!”

यही आजादी उन्हें जाल में फंसाती है। और इसी के चलते वे कभी फरहान के जाल में फंसती हैं तो कभी किसी के। इस बार भी लड़की प्रेम जाल में फंस गई।

बैतूल निवासी पीड़िता ने वर्ष 2022 में भोपाल में निजी कॉलेज में प्रवेश लिया और फिर उसी वर्ष उसकी मुलाकात फरहान से हुई। कॉलेज की किसी सहेली के माध्यम से वह उससे मिली। अप्रेल 2022 में फरहान उसे और उसकी बहन को अपने परिचित आरीन, आदर्श के साथ हामिद नामके युवक के पास जहांगीरबाद लेकर गया। और फिर वहां पर उसके साथ बहुत बुरा हुआ। फरहान ने उसके साथ दुष्कर्म किया, उसके धार्मिक विश्वासों से परे जाकर उसे जबरन नॉनवेज खिलाया।

और फिर अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर वह अन्य हिन्दू लड़कियों के साथ दोस्ती का दबाव डालता रहा।

यही तो हमने हाल ही में राजस्थान में ब्यावर जिले में विजयनगर में देखा था कि कैसे आरोपी लड़कियों को पहले सोशल मीडिया या किसी और तरीके से जाल में फंसाते थे और फिर अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल की धमकी देते थे। रोजा रखने, कलमा पढ़ने और बुर्का पहनने तक का दबाव डाला गया था। प्यार की कथित आजादी हिन्दू लड़कियों के धार्मिक अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरी है, जिसमें उन्हें यह पता ही नहीं चलता है कि कब वे ऐसे गिरोह का शिकार हो गई हैं, जो उनकी धार्मिक पहचान को हर प्रकार से मिटाना चाहता है। फिर चाहे वह मांस खिलाना हो, बुर्का पहनाना हो, कलमा पढ़वाना हो या फिर रोजा रखवाना हो!

लड़कियों के नाम बदलते हैं, जगहें बदलती हैं और यहाँ तक कि उनकी उम्र भी बदल जाती हैं, मगर एक चीज नहीं बदलती है, प्रेम जाल में फंसकर जिहादियों के नापाक मंसूबों में कैद उनकी पीड़ा और उन पीड़ाओं पर अट्टहास करते जिहादी।

 

 

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