प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनैतिक विषयों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया है, कि जातियों की गणना को आने वाली जनगणना में शामिल किया जाएगा। सरकार की तरफ से कहा गया है कि वर्तमान सरकार देश और समाज के सर्वांगीण हितों और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है। जब समाज के गरीब वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया समाज के किसी घटक में तनाव उत्पन्न नहीं हुआ था। विपक्ष ने खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीते चुनावों में जाति जनगणना को मुद्दा बनाया था। अब यह मुद्दा भी विपक्ष के हाथ से निकल गया है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने समिति के निर्णय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया। आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना नहीं की गयी। वर्ष 2010 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इसके बाद एक मंत्रिमण्डल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनैतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, एक सर्वे कराना ही उचित समझा जिसे SECC के नाम से जाना जाता है।
जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यों में यह कार्य सूचारू रूप से संपन्न हुआ है, वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनैतिक दृष्टि से और गैरपारदर्शी ढंग से सर्वे किया है। इस प्रकार के सर्वे से समाज में भ्रांति फैली है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए और सरकार ने यह निर्णय लिया कि सामाजिक ताना बाना राजनीति के दबाव मे न आये, जातियों की गणना एक सर्वें के स्थान पर मूल जनगणना में ही शामिल हो। इससे यह सुनिश्चित होगा, कि समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश की भी प्रगति निर्बाध होती रहेगी।
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