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पहलगाम नरसंहार के बाद, त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए भारत सरकार ने जिन्ना के देश की मुश्कें कसने के लिए जो कदम उठाए उनका असर अब दिखने लगा है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले ने पाकिस्तान में गंभीर संकट पैदा कर दिया है। इस निर्णय के बाद पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में पानी की इतनी कमी महसूस की जा रही है कि आपस में तनाव चरम पर पहुंच चुका है। कई स्थानों पर मारपीट, आगजनी के दृश्य नजर आ रहे हैं तो नुक्कड़ों पर उग्र विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लगता नहीं कि ये हालात जल्दी सुधरने वाले हैं। इस्लामाबाद इस स्थिति को हल्के में लेते हुए भारत के विरुद्ध उग्र बयानबाजी में लगा है और गीदड़भभकियां देकर अपनी उस लस्त—पस्त फौज में जोश भरने की असफल कोशिश कर रहा है जिसमें से हजारों सैनिक कथित तौर पर भारत की सैन्य ताकत से घबराकर सेना छोड़ कर जा चुके हैं।
भारत ने जिन्ना के देश विरुद्ध यह जो तुरुप का पत्ता चला है उससे जिन्ना का देश गर्मी के मौसम में कुलबुलाने लगा है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने दुनिया को स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। भारत को इस संदर्भ में विश्व के अनेक शीर्ष देशों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने भी अपनी सेना को पूरी स्वतंत्रता देकर प्रतिक्रिया का समय और ठिकाना खुद चुनने को कहा है। पहलगाम में इस्लामी जिहादियों की गोलियों से 26 मासूम हिन्दुओं की मृत्यु को लेकर पूरे देश में आक्रोश है, लेकिन यहीं बसे अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, राहुल गांधी जैसे पाकिस्तान परस्त नेता और सेकुलर लोग सच से मुंह फेरे हुए हैं। भारत सरकार ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बताने में कोई देर नहीं की है और दुनिया को उसका सबूत भी दिखा दिया है।
सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करना एक प्रभावी कदम साबित हो रहा है। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को सीमित किया है, अटारी बॉर्डर बंद किया है और पाकिस्तानी नागरिकों को वीसा रद्द कर चुन—चुनकर देश से बाहर निकाला जा रहा है।
सिंधु के पानी को रोकने के फैसले की बात करें तो पाकिस्तान की 85 प्रतिशत कृषि अर्थव्यवस्था सिंधु जल प्रणाली पर टिकी है। भारत के इस फैसले से सिंध और पंजाब में पानी की भारी किल्लत महूसस होने लगी है। इसके कारण वहां के किसानों और आम जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। सिंध प्रांत में लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जगह जगह आगजनी और मारपीट देखने में आ रही है।
इन परिस्थितियों में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत के इस कदम को ‘राजनीतिक चाल’ करार देते हुए कहा है कि ‘पाकिस्तान इसका कड़ा जवाब देगा।’ वहीं, पूर्व सिंधु जल आयुक्त एके बजाज ने कहा कि भारत ने दो साल पहले ही सिंधु जल संधि की शर्तों पर बातचीत नए सिरे से शुरू की थी और पाकुलदुल तथा बर्सर वाटर स्टोरेज प्रोजेक्ट पर काम तेज कर दिया था।
जल संधि के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान में पानी की कमी इसी प्रकार बनी रही, तो वहां गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। सिंध और पंजाब के बीच राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ सकता है, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता पर गंभीर असर पड़ सकता है। कहना न होगा कि भारत के इस कदम से पाकिस्तान पर दीर्घकालिक असर देखने में आ सकता है। अब यह भारत पर निर्भर है कि मानसून के दौरान बाढ़ की चेतावनी साझा करे अथवा न करे। इससे पाकिस्तान को आपदा प्रबंधन में मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि भारत के इस कदम ने पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से घुटनों पर ला दिया है। अगर पाकिस्तान जल्द ही कोई समाधान नहीं निकालता अथवा अपनी गलती नहीं स्वीकारता तो वहां ऐसी सामाजिक अशांति फैल सकती है कि जिसकी कल्पना इस्लामाबाद या रावलपिंडी ने नहीं की होगी। भारत के इस कदम को रणनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है, जिससे पाकिस्तान को अपनी सीमा पार आतंकवाद फैलाने की कुटिल चाल पर पछतावा हो और ऐसा करने से बाज आए।
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