कश्मीर के पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, उसका तरीका हमास के आतंकी हमले जैसा है। हमास के आतंकियों ने इसी तरह 7 अक्तूबर, 2023 को इस्राएल पर हमला कर 1,300 इस्राएली नागरिकों की हत्या कर दी थी। पहलगाम में भी आतंकियों ने पहचान के आधार पर हिंदुओं को निशाना बनाया। इस हमले से दो दिन पहले पाकिस्तान के बहावलपुर में हमास और जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष आतंकियों की बैठक हुई थी।
भारत के खिलाफ आतंकी संगठनों को एकजुट करने में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका है। उसकी सरपरस्ती में ही आतंकी हमले की योजना बनी थी। पहलगाम में हमले से ठीक पहले हमास के शीर्ष आतंकी पीओजेके में बहावलपुर स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय आए थे।
कश्मीर में आतंकी हमले के संकेत इस साल फरवरी से मिल रहे थे, क्योंकि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर (पीओजेके) में 2 फरवरी को लश्कर-ए-तैयबा के कमांडरों की दो बैठकें हुई थीं। इनमें से एक बैठक को पहलगाम नरसंहार के मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद कसूरी ने संबोधित किया था। उसने साफ कहा था,‘हम कश्मीर में अपनी गतिविधयां तेज करेंगे और अगले एक साल में कश्मीर के हालात बदल देंगे।’
इसके बाद 5 फरवरी को पीओजेके के रावलकोट में हमास, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और कुछ अन्य आतंकी संगठनों के शीर्ष आतंकी एक साथ दिखे थे। हमास के आतंकी जैश और लश्कर के बुलावे पर आए थे और उन्होंने कश्मीर सॉलिडेटरी डे (कश्मीर एकजुटता दिवस) के दिन अल अक्सा फ्लड डे (7 अक्तूबर को इस्राएल के खिलाफ संगठित आतंकी हमला दिवस) मनाया था।
पाकिस्तानी फौज को पहलगाम में इस आतंकी हमले की योजना की जानकारी थी, यह पाकिस्तानी फौज के प्रमुख आसिम मुनीर के बयान से स्पष्ट है। हिंदुओं के इस नरसंहार की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। आतंकियों ने इस घटना की वीडियोग्राफी भी की। गत मार्च महीने में भी भारत की गुप्तचर एजेंसियों को यह जानकारी मिली थी कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में हमले की ताक में हैं। चूंकि अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों को लगा कि आतंकी उस समय हमला करेंगे।
हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में कुछ संवेदनशील इलाकों को चिह्नित कर सुरक्षा के इंतजाम भी किए थे, लेकिन इनमें पहलगाम की बैसरन घाटी का नाम नहीं था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में लगभग 60 विदेशी आतंकी सक्रिय हैं, इनमें लश्कर के 35, जैश के 21 और हिज्बुल मुजाहिदीन के 4 आतंकी हैं। इसके अलावा, लगभग 20 स्थानीय आतंकी भी सक्रिय बताए जाते हैं।
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