पहलगाम नरसंहार का षड्यंत्र रचने वाला जिन्ना का देश अब हर पल खौफ के साए में जी रहा है। सीमा पार से आ रही खबरें इस बात की पुष्टि करती हैं कि जहां जिन्ना की लचर सेना का अरबपति अगुआ जनरल असीम मुनीर कहीं बंकर में जा छुपा है वहीं नेता अपने बाल—बच्चों को अफरातफरी में विदेश भेज रहे हैं। जिन्ना के देश का हर आदमी इस डर से कांपा हुआ है कि जाने किस पल भारत की फौज किस मोर्चे से उन्हें उनकी शैतानी की सजा देने आ जाए। संभवत: यही वजह है कि अपनी गोद में पल रहे भाड़े के जिहादियों की सुरक्षा को लेकर भी उनका आका चिंतित दिख रहा है। पता चला है कि पीओजेके में चल रहीं ‘आतंक की फैक्ट्रियों’ और आतंकी लांच पैडों को खाली करने के फरमान जारी किए जा चुके हैं। और ये फरमान लिखित नहीं, मुंहजबानी दिए गए हैं। जिन्ना के देश के आकाओं को अपने पाले जिहादियों की जान के लाले नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह साफ दिखाता है कि पाकिस्तान के सत्ता अधिष्ठान को भारत के औचक हमले का डर है और शायद इसीलिए उसने अपने दुष्प्रचार तंत्र और घुटने टेके बैठे रहने वाले मीडिया संस्थानों को फर्जी खबरें चलाने को कहा है। पाकिस्तान के चैनल देखिए, साफ पता चलता है कि अपनी लचर फौज का वह किस तरह गुणगान करके गीदड़भभकियां दे रहे हैं।

पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के हिस्से (पीओजेके) में आतंकी लॉन्च पैडों को खाली कराने के समाचार एक तरफ जिन्ना के देश की कमजोर रीढ़ की ओर इशारा करते हैं वहीं ये यह भी बताते हैं कि भारत का उस देश में कितना खौफ है। यह परिस्थिति भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘पीड़ितों को उचित न्याय दिलाने’ के सख्त संदेश के बाद बनी है। प्रधानमंत्री मोदी पिछली 22 अप्रैल को पहलगाम में हिन्दुओं के नरसंहार को पर बहुत आहत हैं, और आक्रोश में हैं। इस नरसंहार में पाकिस्तान सरकार की मिलीभगत की पुष्टि होने के बाद तो हालात और तनावपूर्ण होते जा रहे हैं।
गत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष हिन्दुओं की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अनेक सख्त कदम उठाए हैं। भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने सहित कूटनीतिक स्तर पर भी कड़ी प्रतिक्रिया की है। इस घटना से अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, रूस सहित दुनिया के सभ्य देश और संगठन आहत हैं और लगभग सभी ने इस स्थिति में भारत के पक्ष में खड़े होने की घोषणा की है।
लेकिन उधर जिन्ना के देश की हालत खराब है। उसे अपने आका चीन से भारत विरोधी बयान की उम्मीद थी लेकिन बीजिंग ने भी इस मुद्दे पर उसे ठेंगा ही दिखाया है। अब पाकिस्तान सरकार ने रूस की ओर हाथ पसारे हैं कि कुछ रहम टपकाए, लेकिन रूस ने भी अभी तक उसके पक्ष में लगने जैसा कोई बयान नहीं दिया है। ऐसे में उसे भारत के संभावित हवाई हमले का डर और बेचैन किए हुए है। पाकिस्तानी सेना द्वारा पीओजेके में स्थित आतंकी लॉन्च पैडों और जैश-ए-मोहम्मद के बड़े वाले आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को खाली कराना शुरू किया जाना बताता है कि उसकी हालत पतली है। समाचारों के अनुसार, जैश का 18 एकड़ में पसरा बावलपुर मुख्यालय भी खाली करा लिया गया है। इतना ही नहीं, खैबर पख्तूनख्वा और पीओजेके के अन्य क्षेत्रों से भी भाड़े के इस्लामी हत्यारों को सुरक्षित ठिकानों पर भेजने की कवायद जारी है।

इधर भारत ने परिस्थिति को देखते हुए वायुसेना का राजस्थान में “आक्रमण” नाम से युद्ध अभ्यास शुरू किया है, जिसमें राफेल लड़ाकू विमान भी शामिल होकर अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय सेना ने सीमा पर निगरानी बढ़ा दी है और आतंकियों के खिलाफ खोजी ऑपरेशन तेज कर दिया है। यह आपरेशन कश्मीर घाटी में सौ से ज्यादा सक्रिय आतंकियों को चुन-चुनकर खत्म करने के लिए चलाया जा रहा है।
आने वाले दिनों के भारत और पाकिस्तान के बीच तब तक तनाव बढ़ने की संभावना है जब तक कि जिन्ना का देश भारत के सामने घुटने नहीं टेक देता। भारत का सख्त रुख पाकिस्तान को रणनीतिक तौर पर कमजोर कर चुका है। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की जल नीति और सैन्य तैयारियां पाकिस्तान को और ज्यादा दबाव में डाल सकती हैं।
भारत की ओर से उठाए जा रहे कदम शांत प्रकृति के इस देश की आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को एक बार फिर से रेखांकित करता है। बढ़ते तनाव के माहौल के बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के पक्ष में आ खड़ा हुआ है जो भारत की कूटनीतिक कुशलता का परिचायक है।
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